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मंदिर में स्कूल, कैसे मिले अंडा

छपरा(नगर) : मध्याह्न भोजन योजना में शुक्रवार के मेनू में अंडा शामिल किये जाने के बाद स्कूलों की रौनक बदली हुई दिखायी पड़ी. अन्य दिनों की अपेक्षा छात्रों की उपस्थित ज्यादा रही. कई स्कूलों के हेडमास्टर बाइक या अन्य साधनों से अंडा की पेटी लादकर विद्यालय पहुंचे. चूंकि शुक्रवार से अंडा खिलाने की शुरुआत होनी […]

छपरा(नगर) : मध्याह्न भोजन योजना में शुक्रवार के मेनू में अंडा शामिल किये जाने के बाद स्कूलों की रौनक बदली हुई दिखायी पड़ी. अन्य दिनों की अपेक्षा छात्रों की उपस्थित ज्यादा रही. कई स्कूलों के हेडमास्टर बाइक या अन्य साधनों से अंडा की पेटी लादकर विद्यालय पहुंचे. चूंकि शुक्रवार से अंडा खिलाने की शुरुआत होनी थी, ऐसे में प्रधानाध्यापक से लेकर रसोइया, बच्चे और अभिभावकों में उत्सुकता देखने को मिली. प्रभात खबर ने शहर के प्रारंभिक विद्यालयों का जायजा लिया, जहां अंडा बनने के कारण सामान्य दिनों से ज्यादा उपस्थिति देखने को मिली.

मध्य विद्यालय नेवाजी टोला में बच्चों की जरूरत बना एमडीएम : दिन के लगभग 12 बजे हम पहुंचे सोनारपट्टी के निचले इलाके में स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय, नेवाजी टोला में. वैसे तो यह विद्यालय शहर में है, पर निचले इलाके में होने के कारण रिविलगंज प्रखंड में आता है. यह विद्यालय भवन विहीन है और यहां किचेन भी नहीं है. मंदिर प्रांगण में चलने वाले इस विद्यालय में गुरुजी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देते नजर आये. बच्चे भी होनहार थे.
यहां दो रसोइया भोजन बनाती हैं. शुक्रवार को यहां एमडीएम नहीं बना था क्योंकि एक रसोइया सीरियस बीमार होने के कारण छुट्टी पर थी. लिहाजा बच्चों की संख्या भी कम थी. स्कूल के एक छात्र राहुल कुमार ने बताया कि एमडीएम हमारी जरूरत है. हम गरीब परिवार से हैं, ऐसे में एक वक्त का भोजन मायने रखता है. इस विद्यालय में लगभग सभी बच्चे गरीब परिवार से आते हैं. एमडीएम के अंतर्गत बन रहा भोजन अब इनकी जरूरत बन गयी है. वैसे मंदिर में विद्यालय होने के कारण यहां अंडा तो नहीं बनेगा पर प्रभारी प्राचार्य अखिलेश्वर सिंह ने बताया कि यहां बच्चों को शुक्रवार को एक-एक सेब दी जायेगी.
जगह के अभाव में खुले में बनता है एमडीएम : दिन के लगभग 12:30 में हम पहुंचे शहर के प्राथमिक विद्यालय महिला शिल्प में. आशा कुमारी यहां की प्रभारी प्राचार्य हैं. दो कमरों के इस विद्यालय में अलग-अलग शिफ्ट में तीन स्कूल संचालित होते हैं. आसपास जलनिकासी की व्यवस्था नहीं होने से विद्यालय के छोटे से मैदान में पानी जमा रहता है. जगह नहीं है,
लिहाजा किचेन बनाना संभव नहीं है. मेंटेनेंस के नाम पर विद्यालय में कुछ भी नहीं दिखा. बरामदे के आगे खुले मैदान में खाना बनाया जा रहा था. रसोइया चूल्हे की आंच पर अंडा ब्वॉयल कर रही थीं. दूसरी रसोइया चावल धोने में व्यस्त थीं. इस विद्यालय में 130 बच्चे नामांकित हैं पर नियमित रूप से लगभग 50 बच्चे ही उपस्थित रहते हैं. आज अंडा बना था इसलिए 70 के आसपास बच्चे आये थे. स्कूल की पांचवीं कक्षा की छात्रा गुड़िया ने बताया कि खाना तो रोज मिलता है पर और कोई सुविधा नहीं मिलती.
ॉजब एक ही भवन में तीन विद्यालय चलेंगे तब विद्यालय का विकास कैसे संभव है.
स्कूल एक नजर में
बाल ज्योति संस्थान मध्य विद्यालय सलेमपुर
बच्चों की संख्या650
दैनिक उपस्थिति500
प्रभारी प्राचार्यवीरेंद्र प्रसाद राम
किचेन शेडनहीं
उ.म.वि नेवाजी टोला
बच्चों की संख्या383
नियमित उपस्थिति250
भवननहीं
किचेननहीं
मंदिर में चलता है विद्यालय
प्रभारी प्राचार्यअखिलेश्वर कुमार सिंह
प्राथमिक विद्यालय महिला शिल्प, कचहरी स्टेशन
बच्चों की संख्या130
नियमित उपस्थिति50
किचेन शेडनहीं
कमराएक
प्रभारी प्राचार्यआशा कुमारी
गुरुजी बाइक से लेकर आये थे अंडा
प्रभात खबर ने शुक्रवार को सबसे पहले शहर के कचहरी स्टेशन स्थित बाल ज्योति संस्थान मध्य विद्यालय, सलेमपुर का जायजा लिया. दिन के करीब 11 बजे जब यहां पहुंचे तो विद्यालय की छुट्टी का समय नजदीक आ रहा था. प्रभारी प्राचार्य वीरेंद्र प्रसाद राम की बाइक पर अंडे की पेटी लदी थी, इसे देखकर हम समझ गये कि आज विद्यालय में अंडा उबाल कर बच्चों को खिलाया गया है. रसोइया बरतन मांजने में व्यस्त थी. इस विद्यालय में लगभग 650 बच्चे नामांकित हैं. प्रतिदिन लगभग 500 बच्चों की उपस्थिति होती है. बच्चों ने बताया कि छोला चावल और एक ब्वॉयल किया हुआ अंडा आज खाने को मिला है. पहली बार स्कूल में अंडा खाकर गरीब परिवार के बच्चों के चहरे पर खुशी थी. एमडीएम बनाने और खिलाने की तत्परता दिख रही थी.

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