17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

लकड़ी पर पक रहा मिड डे मील, धुएं में नौनिहाल

कुव्यवस्था. मिड डे मील में सिमट कर रह गयी बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा छपरा(नगर) : प्रारंभिक विद्यालयों के बच्चों को अल्पाहार की घंटी में मील डे मिल योजना के जरिये पोषक आहार मिल सके इसके लिये सरकार लगातार अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करते रहती है. कभी फल तो कभी अंडा को मेनू में शामिल कर एमडीएम […]

कुव्यवस्था. मिड डे मील में सिमट कर रह गयी बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा

छपरा(नगर) : प्रारंभिक विद्यालयों के बच्चों को अल्पाहार की घंटी में मील डे मिल योजना के जरिये पोषक आहार मिल सके इसके लिये सरकार लगातार अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करते रहती है. कभी फल तो कभी अंडा को मेनू में शामिल कर एमडीएम को आकर्षक बनाने की पुरजोर कोशिश होते रहती है. इसके बाद भी अधिकतर विद्यालय इस योजना को सुचारु ढंग से क्रियान्वित करने में विफल साबित हो रहे हैं. कभी सरकार द्वारा समय पर राशि नहीं मिलना तो कभी अभिभावकों का बढ़ता दबाव. आये दिन शिक्षकों के लिए परेशानी का सबब बनते जा रहा है.
ऐसे में अधिकतर प्रारंभिक विद्यालय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से भटक कर बच्चों को एमडीएम खिलाने तक ही सिमट कर रह गये हैं. गुरुवार को प्रभात खबर ने छपरा के कुछ प्रमुख विद्यालयों में जाकर वहां एमडीएम के संचालन से संबंधित जानकारियां ली और सूरत-ए-हाल जानने का प्रयास किया.
चूल्हे से उठता धुंआ बच्चों को करता है परेशान : सारण जिले के प्रायः सभी विद्यालयों में एमडीएम का संचालन हो रहा है. जिले के एमडीएम को संचालित करने के लिए स्थानीय पदाधिकारियों द्वारा भी हर माह नये-नये गाइडलाइन जारी किये जाते हैं. इसके बाद भी योजना के क्रियान्वयन में कई खामियां देखने को मिल रही हैं. गुरुवार को हम शहर के डीएवी कन्या मध्य विद्यालय, गंडक नगर में पहुंचे. यह
विद्यालय जिला शिक्षा पदाधिकारी तथा सारण के कमिश्नर के आवास से महज चंद कदम की दूरी पर है. विद्यालय में संकुल संसाधन केंद्र भी चलता है और इस मूल विद्यालय में कुल छह विद्यालय टैग कर दिये गये हैं. यहां पठन-पाठन शुरू होते ही रसोइया भोजन बनाने में जुटी हुई थीं. मेनू के अनुसार दाल-चावल और हरी सब्जी बननी थी ऐसे में रसोइया चावल को चुनने का कार्य कर रही थीं. यहां किचेन तो है पर धुंआ उठने के कारण काफी परेशानी होती है लिहाजा रसोइया अपनी सुविधानुसार बरामदे में ही चूल्हा जलाये हुए थीं. एलपीजी गैस से खाना बनाने की योजना लागू तो है, पर इसके लिए अतिरिक्त फंड नहीं आने से लकड़ी पर खाना बनाना पड़ता है. गुरुवार को लगभग 300 बच्चों का भोजन बन रहा था हालांकि इस विद्यालय में कुल नामांकित छात्रों की संख्या 374 है. स्कूल का मैदान काफी बड़ा है और किचेन से कमरों की दूरी भी है. हालांकि एक दो कमरे जो किचेन के ठीक बगल में हैं वहां पढ़ने वाले बच्चों को धुंआ उठने से परेशानी जरूर होती है.
खाने के बाद घर चले जाते हैं बच्चे : जिले के अधिकतर सरकारी विद्यालयों में यह समस्या रही है कि अल्पाहार के बाद की घंटी में बच्चे नदारद दिखते हैं. गरीब परिवार के ज्यादातर बच्चों की शिक्षा सरकारी विद्यालयों पर ही निर्भर हैं. बच्चे भोजन की आस लिये स्कूल आते हैं और भरपेट भोजन करने के बाद आधे समय के बाद घर चले जाते हैं. इस बाबत हमने उर्दू प्राथमिक विद्यालय दहियांवा बालक का जायजा लिया. यहां की प्रभारी प्राचार्या हसीबुल निशा ने बताया कि स्कूल में कुल 64 बच्चे नामांकित हैं. भवन के अभाव में बरामदे में क्लास चलता है. किचेन तो है पर जगह कम होने के कारण खाना बनाने में दिक्कत होती है.
इस विद्यालय में चार घंटी पढाई के बाद अल्पाहार की घंटी लगती है. खाना खाने के बाद आधे से ज्यादा बच्चे घर चले जाते है. स्कूल के आधे शिक्षक दिन भर सिर्फ भोजन प्रबंधन में ही लगे रहते हैं. दुकान से सामान लाना, सामान की सुरक्षा, भोजन बनाने की प्रक्रिया पर नजर बनाये रखना, योजना से जुड़े कागजी कार्य, डेली रिपोर्टिंग, ग्रामीणों का दबाव, बच्चों का हंगामा और न जाने कितनी परेशानी को झेलने के बाद गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे पाना अब शिक्षकों के लिए आसान नहीं रहा है.
जरूरी भी है मिड डे मील
सदर प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय मदनपट्टी में मेनू के अनुसार बच्चों को भोजन परोसा गया था. प्रभारी प्राचार्य उर्मिला श्रीवास्तव ने बताया कि एमडीएम के कारण बच्चों की उपस्थिति बढ़ने लगी है. विद्यालय में 600 से भी ज्यादा बच्चे नामांकित है. रोजाना लगभग 500 बच्चों का भोजन बनता है. इस विद्यालय के बच्चे बड़े चाव से थाली लिये लाइन में बैठे थे ताकि उन्हें एक वक्त का भरपेट भोजन नसीब हो सके. रसोइया बच्चों को खाना परोसा रही थी. यहां भोजन बनने के बाद पहले शिक्षकों द्वारा चखा जाता है उसके बाद ही बच्चों को परोसा जाता है. इस विद्यालय में गरीब परिवार के बच्चों की संख्या ज्यादा है.
इन बच्चों की हालात देख मिड डे मिल की अनिवार्यता जरूरी लगने लगती है.
क्या है मिड डे मील
बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ-साथ उनके शारीरिक विकास के लिए प्रारंभिक विद्यालयों में मध्याह्न भोजन योजना के अंतर्गत पोषक आहार दिया जाता है. सारण जिले के लगभग सभी विद्यालयों में मिड डे मिल योजना का संचालन किया जाता है. सोमवार से लेकर शनिवार तक विभाग द्वारा बनाये गये मेनू के अनुसार अलग-अलग व्यंजन छात्रों को परोसे जाते हैं. इस कार्य के लिये स्कूलों में रसोइया की बहाली की गयी है.
वहीं जिले में इस योजना के सफल संचालन के लिये एक अलग विभाग कार्य करता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें