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बिजली सप्लाई के अनुपात में कम होना है फिक्स चार्ज

विद्युत विनियामक आयोग के दो फैसलों में एक को लागू करने में बिजली कंपनी जहां तत्पर दिख रही है. वहीं दूसरे फैसले को नजरअंदाज कर रही है

समस्तीपुर. हिंदी में एक कहावत बहुत प्रचलित है मीठा-मीठा गप-गप और कड़वा-कड़वा थू-थू. बिजली कंपनी के साथ यह कहावत बिलकुल चरितार्थ हो रही है. विद्युत विनियामक आयोग के दो फैसलों में एक को लागू करने में बिजली कंपनी जहां तत्पर दिख रही है. वहीं दूसरे फैसले को नजरअंदाज कर रही है. आयोग के एक फैसले के मुताबिक, बिजली कंपनी को स्वीकृत लोड से अधिक लोड खपत पर जुर्माना वसूलने सकती है. जबकि, दूसरे के मुताबिक, पूरा फिक्स चार्ज तभी वसूला जायेगा जब 24 घंटे में कम से कम 21 घंटे बिजली सप्लाई हुई हो. बिजली कंपनी ने पहले फैसले के मुताबिक जुर्माना वसूलना तो शुरू कर दिया है, लेकिन वह उपभोक्ताओं को यह नहीं बता रही है कि उसने प्रतिदिन 21 घंटे की सप्लाई दी या नहीं. और अगर नहीं दी तो उस अनुपात में बिजली के फिक्स चार्ज में कितने प्रतिशत की कटौती की गई? बिजली कंपनी अपना बचाव करने के लिए बिल पर औसत आपूर्ति घंटे अंकित जरूर करती है लेकिन वास्तविकता से यह परे है. बिहार देश का पहला राज्य है जहां 21 घंटे से कम बिजली सप्लाई देने पर फिक्स चार्ज में कटौती का फैसला लागू किया गया है. इस फैसले के मुताबिक, 30 दिन का महीना है तो 630 घंटे, 31 दिन का महीना है तो 651 घंटे बिजली देनी है. इससे कम बिजली सप्लाई करने पर फिक्स चार्ज बिजली सप्लाई के अनुपात में कम हो जायेगा. केवल स्ट्रीट लाइट और कृषि कनेक्शन के उपभोक्ताओं पर यह लागू नहीं किया गया है. लेकिन, ऑन स्पॉट मीटर रीडिंग कर होने वाली बिलिंग में इसका जिक्र नहीं है. उपभोक्ताओं को यह नहीं बताया जा रहा है कि आपको कितने घंटे बिजली दी गयी है. एसडीओ शहरी गौरव कुमार का कहना है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर में कितने घंटे बिजली सप्लाई दी गयी वह दर्ज होती है. साथ ही 21 घंटे बिजली सप्लाई नहीं हुयी तो फिक्स चार्ज में कटौती होता है. वहीं अधिवक्ता प्रकाश कुमार बताते हैं कि बिजली कंपनी बिल पर यह अंकित करे कि उपभोक्ता को तीस दिन में कितने घंटे बिजली मिली और कितने घंटे कटी. लेकिन बिजली कंपनी औसत आपूर्ति घंटे अंकित कर खानापूर्ति कर रही है. हर दिन फ्यूज काॅल बनाने, केबल में आग लगने, ट्रांसफार्मर खराब होने, ब्रेक डाउन होने पर बिजली घंटों गुल रहती है लेकिन बिजली कंपनी 24 घंटे में 21 घंटे बिजली देने का दावा जरूर करती है. शिक्षा और सूचना का अधिकार के बाद अब सरकार लोगों को सप्ताह के सातों दिन लगातार 24 घंटे बिजली पाने का कानूनी अधिकार भी दी है. विद्युत वितरण कंपनी को 24 घंटे की विद्युत आपूर्ति करना कानूनी रूप से बाध्यकारी होगा. ऐसा नहीं करने पर इन कंपनी को भारी जुर्माना चुकाना होगा. लेकिन जागरूकता के अभाव के कारण उपभोक्ता इससे अभी भी वंचित है. अधिवक्ता रजनी रंजन बताते है कि उपभोक्ता जागरूक बने. बिजली (उपभोक्ताओं के अधिकार) नियम, 2020 के तहत 24 घंटे बिजली पाना अब उपभोक्ता का हक होगा. उपभोक्ताओं के अधिकारों का हनन करने पर बिजली वितरण कंपनियों को हर्जाना भी देना होगा. नया कनेक्शन देने, गड़बड़ मीटर हटाने या फिर बिलिंग की गड़बड़ी में सुधार का काम तय समय पर करना होगा. ऐसा नहीं होने पर उपभोक्ता हर्जाना पाने के हकदार होंगे.बिजली उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम (सीजीआरएफ) का गठन किया गया है. शहर के चीनी मिल रोड स्थित बिजली कंपनी के कार्यालय में यह कार्य कर रहा है. उपभोक्ता अपनी शिकायत cgrfsamastipur@gmail.com इस ई मेल के माध्यम से भी दर्ज करा सकते है. शिक्षा और सूचना का अधिकार के बाद अब सरकार लोगों को सप्ताह के सातों दिन लगातार 24 घंटे बिजली पाने का कानूनी अधिकार भी दी है. विद्युत वितरण कंपनी को 24 घंटे की विद्युत आपूर्ति करना कानूनी रूप से बाध्यकारी होगा. ऐसा नहीं करने पर इन कंपनी को भारी जुर्माना चुकाना होगा. लेकिन जागरूकता के अभाव के कारण उपभोक्ता इससे अभी भी वंचित है. अधिवक्ता रजनी रंजन बताते है कि उपभोक्ता जागरूक बने. बिजली (उपभोक्ताओं के अधिकार) नियम, 2020 के तहत 24 घंटे बिजली पाना अब उपभोक्ता का हक होगा. उपभोक्ताओं के अधिकारों का हनन करने पर बिजली वितरण कंपनियों को हर्जाना भी देना होगा. नया कनेक्शन देने, गड़बड़ मीटर हटाने या फिर बिलिंग की गड़बड़ी में सुधार का काम तय समय पर करना होगा. ऐसा नहीं होने पर उपभोक्ता हर्जाना पाने के हकदार होंगे.बिजली उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम (सीजीआरएफ) का गठन किया गया है. शहर के चीनी मिल रोड स्थित बिजली कंपनी के कार्यालय में यह कार्य कर रहा है. उपभोक्ता अपनी शिकायत cgrfsamastipur@gmail.com इस ई मेल के माध्यम से भी दर्ज करा सकते है.

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