मोहिद्दीननगर : जहां धार्मिक, जातीय, राजनैतिक, आर्थिक एवं राष्ट्रीयता का पूर्वाग्रह मानवता के प्रसाद को प्रकम्पित, विचलित व खंडित कर रहा हो, वहां सार्वभौमिक प्रेम, शांति, सौहार्द एवं एकता का विषय अतिमहत्वपूर्ण है. क्योंकि यह सृजन, सद्भाव, साहचर्य, सुख साध्य तथा मानवीय मूल्यों का संवाहक है,
किन्तु इसके लिए सद्विवेक एवं अन्त:करण व पूर्वाग्रह का सर्वया त्याग परमावश्यक है ताकि इस तत्त्व का आधार दृढ़, उसका संस्थापन अचल तथा उसका प्रसाद पुष्ट हो सके. अस्तु, सम्पूर्ण पृथ्वी एक देश है, हम सभी उसके नागरिक की अवधारणान्तर्गत सार्वलौकिक शांति का के लिए इस प्रकार होना चाहिए कि सर्व समुदाय, जाति तथा धर्म आदि उसमें अपनी श्रेष्ठतम इच्छा का प्रत्यक्षीकरण कर सके अन्यथा राम, कृष्ण, गांधी, ईशा, मूसा, बुद्व, हजरत मुहम्मद, बहाउल्लाह की घरती वह मंजर देखेगा.
जिससे मानवता अस्त, व्यस्त एवं संतस्त्र हो उठेगी.’ उक्त बातें पंचायत लोक शिक्षा केन्द्र, राजाजान में आयोजित सार्वभौमिक प्रेम, शांति एवं एकता विषयक सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए क्षेत्रिय बहाई परिषद् बिहार एवं झारखंड के सचिव, ओम नम: शिवाय सिंह ने रविवार को कही़