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अब स्कूली बच्चों को बैंक खाते से मिलेगी राशि

समस्तीपुर : सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का अब अभियान चलाकर शिक्षा विभाग की ओर बैंक खाता खुलवाया जायेगा. स्कूली बच्चों को सरकार की ओर से मिलने वाली राशि उनके खाते में दी जायेगी. पहले चरण में मैट्रिक तथा इंटर के छात्र-छात्राओं का बैंक में खाता खुलवाया जायेगा. जबकि प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण कर रहे […]

समस्तीपुर : सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का अब अभियान चलाकर शिक्षा विभाग की ओर बैंक खाता खुलवाया जायेगा. स्कूली बच्चों को सरकार की ओर से मिलने वाली राशि उनके खाते में दी जायेगी. पहले चरण में मैट्रिक तथा इंटर के छात्र-छात्राओं का बैंक में खाता खुलवाया जायेगा.

जबकि प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों को खाता दूसरे चरण में खोला जायेगा. जिला शिक्षा पदाधिकारी बीके ओझा ने बताया कि राज्य शिक्षा मुख्यालय से इसको लेकर आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया जा चुका है. इस बार मैट्रिक तथा इंटर की परीक्षा के लिये पंजीकरण कर रहे सभी छात्र- छात्राओं का बैंक खाता ले रहे हैं.

लेकिन पंजीकरण की तिथि समाप्त होने की वजह से शिक्षा विभाग की परेशानी बढ़ गई है. इसको लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी ने बताया कि चूंकि विभाग से पत्र मिलने तथा चुनाव के कारण 12 नवंबर को ही पंजीयन की तिथि समाप्त हो चुकी है. अब हमलोग पंजीयन के शुद्धीकरण के समय सभी पंजीकृत छात्रों का बैंक एकाउंट लेंगे. उन्होंने कहा कि पहले चरण में हमलोग वर्ग 9 से 12 तक के सभी छात्र-छात्राओं का बैंक एकाउंट लेंगे.
उसके बाद प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण कर रहे वर्ग एक से आठ तक के सभी बच्चों का खाता संख्या लिया जायेगा. विभाग की ओर से जारी निर्देश के अनुसार छात्रों का बैंक एकाउंट, बैंक ब्रांच का नाम तथा बैंक का आईएफएससी कोड भी देना होगा. छात्रवृत्ति समेत अन्य योजनाओं में विद्यालय के प्रधान शिक्षकों द्वारा धांधली किए जाने का मामला लगातार सामने आ रहा था.
बच्चों को मिलने वाली राशि में बंदरबांट रोकने के लिए शिक्षा विभाग ने यह कदम उठाया है. मालूम हो कि छात्रवृति तथा अन्य सहायता के लिए बच्चों का 75 प्रतिशत उपिस्थति अनिवार्य है. सीधे अकाउंट में जाने के कारण विभाग उपिस्थति पंजीकरण का नियमति जांच करेगी ताकि गलत तथा अनुचित बच्चों को लाभ नहीं मिल सके.
इस बाबत एक प्रधान शिक्षक ने बताया कि इस अभियान से गलत बच्चे के अभिभावक अनुचित दवाब नहीं दे सकेंगे. दूसरी ओर शिक्षाविदों का कहना है कि पूरे मामले में शिक्षा विभाग को पारदर्शिता रखनी होगी. तभी यह अभियान सफल हो पायेगा.

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