समस्तीपुर : जिस मुफलिसी से पीछा छुड़ाने के लिए अपने वतन को छोड़ कर नेपाल के काठमांडू शहर के सुन्धारा में जाकर बसर कर रहे थे बीते दिनों आये जलजले के कहर ने वर्षो बाद फिर से उसी मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया है.
अब फिर से रोजी-रोटी के लिए इन्हें दूसरों का मुंह ताकना पड़ रहा है. हालात इतने खराब हो चले हैं कि जो हाथ दूसरों की मदद के लिए उठा करते थे, आज खुद के पेट की आग बुझाने की खातिर दूसरों के आगे फैल रहे हैं.
समस्तीपुर के पटोरी प्रखंड अंतर्गत हवासपुर गांव पहुंचे 90 लोगों के जत्थे में शामिल इन लोगों की हुनरमंद कलाइयां अब काम ढूंढ रहीं हैं लेकिन यहां वह भी नसीब नहीं हो रहा है.
इससे भूखों मरने की स्थिति पैदा हो गयी है. जब सारे रास्ते बंद मिले तो अपने वतन को लौटे इन लोगों ने डीएम के पास पहुंच कर रोजगार के लिए मदद मांगी है. इस क्रम में इन्होंने साफ कह दिया कि अब ये वापस नेपाल नहीं जाना चाहते क्योंकि वहां आयी भूकंप की त्रसदी ने भूगोल को इस कदर झकझोड़ा है कि उसे जुबानी बयां करना कम होगा.
जिलाधिकारी एम. रामचंद्रुडू को सामूहिक रुप से अपनी व्यथा सुनाते हुए नेपाल से लौट कर वापस आये असलम अली, रुस्तम अली, शिव कुमार पोद्दार, मदन पोद्दार, दिनेश सिंह, विजय पोद्दार, महेश पोद्दार, साबिर हुसैन, बसीर, दिनेश पोद्दार, कुमोद पोद्दार, मुरारी पोद्दार, रंजीत पोद्दार, संतोष पोद्दार, विमला देवी, प्रमिला देवी, बिरजू पोद्दार, देवेंद्र पोद्दार, शंभू पोद्दार, धीरज कुमार राम, भिखारी पोद्दार, अजरुन पोद्दार, सुनील पोद्दार, लक्ष्मी पोद्दार, पिंटू पोद्दार, जितेंद्र पोद्दार, विनोद पोद्दार, अरविंद पोद्दार, प्रमोद पोद्दार, सूरज पोद्दार, विपिन पोद्दार, चंद्रशेखर पोद्दार, भोला पोद्दार, रोहित पोद्दार, हरेराम पोद्दार, लक्ष्मी पोद्दार आदि ने कहा है कि वर्षो पहले रोजगार की तलाश में इन लोगों ने अपना घरवार छोड़ कर पड़ोसी देश नेपाल के काठमांडू से सटे सुंधरा में जाकर रोजी करने लगे. गत 25 अप्रैल को आये भूकंप ने वहां सब कुछ बरबाद कर दिया. इससे उनकी रोजी-रोटी छिन गयी.
पेट की आग और अपनी जान बचाने के लिए लोग वापस अपने वतन लौट आये हैं. इसमें कुछलोगों ने हिम्मत कर फिर से नेपाल का रुख किया जबकि 90 लोगों ने अब वापस नेपाल नहीं जाने का फैसला किया है.
लेकिन यहां रोजगार नहीं मिलने के कारण उनकी तंगहाली ने भूख से बिलविलाना शुरू कर दिया है. पीड़ितों ने उम्मीद भरी निगाह से कहा है कि सरकार से वे इनकी मदद के लिए अनुरोध करें ताकि उनकी उजर चुकी गृहस्थी की बगिया में फिर से बहार लौट सके.