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निजी स्कूलों में महंगी पढ़ाई पर बच्चों ने पीएम को लिखा पत्र

विद्यापतिनगर. सीमित संसाधन हर वर्ष फीस में बढ़ोतरी ने अभिभावकों की चिंता बढ़ा दी है. जिसे महसूस अब बच्चे कर रहे हैं. इसे लेकर निजी स्कूल के बच्चों ने पीएम व सीएम को पत्र लिख व्यवस्था में सुधार की आस लगायी है. निजी स्कूल के वर्ग छह के अभिजीत कुमार ने पीएम को लिखे पत्र […]

विद्यापतिनगर. सीमित संसाधन हर वर्ष फीस में बढ़ोतरी ने अभिभावकों की चिंता बढ़ा दी है. जिसे महसूस अब बच्चे कर रहे हैं. इसे लेकर निजी स्कूल के बच्चों ने पीएम व सीएम को पत्र लिख व्यवस्था में सुधार की आस लगायी है. निजी स्कूल के वर्ग छह के अभिजीत कुमार ने पीएम को लिखे पत्र में बताया है कि वर्ग पांच से वर्ग छह में प्रवेश के लिए स्कूल प्रबंधन दो से तीन हजार रुपये ले रहे हैं. जबकि उसी विद्यालय में परीक्षा शुल्क व डेवलपमेंट चार्ज जमा कर मुख्य परीक्षा उपरांत वर्ग पांच से वर्ग छह में प्रवेश किया है. दूसरे निजी विद्यालय में पढ़ने वाले एक छात्र रजत की पीड़ा भी ऐसी ही है. उसने स्कूल के मनमाने की शिकायत सूबे के सीएम से की है. इसमें अधिक आर्थिक उपार्जन को लेकर निजी स्कूल के बच्चों के स्कूल बैग को भारी भरकम बनाये जाने का जिक्र किया है. निजी विद्यालय किसी खास प्रकाशन की पुस्तकें जिनके मूल्य आसमान छूते हैं को ही अपने स्कूल के लिए चयन करते हैं. विषयवार संख्या भी अधिक होती है. फलस्वरुप बच्चों का स्कूली बैग अधिक वजन का होता है. चर्चा है कि चयनित पाठ्य पुस्तक का मूल्य निजी स्कूलों के मुताबिक होता है. जिसमें इनका कमीशन छुपा होता है. नर्सरी से वर्ग छह तक का स्कूल फीस 900 से 1000 रुपये तक होता है. वहीं वाहन शुल्क 600 से 1200 सौ तक होता अभिभावकों को देनी पड़ती है. विद्यालय विकास शुल्क व आगे की कक्षा में नामांकन के लिए प्रवेश शुल्क अलग से लिया जाता है. कुल मिलाकर निजी स्कूल अभिभावकों का दोहन करने में जुटी है. जिसकी चिंता अब बच्चों में होने लगी है.

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