समस्तीपुर : बिचौलियागिरी हर महकमा पर भारी पड़ रहा है़ यही कारण है कि परिवहन विभाग बिना बिचौलियों के एक कदम भी नहीं चल रहा है़ विभाग में बिचौलियों की पैठ इतनी मजबूत है कि वह नियमों को भी ठेंगा दिखाकर आसानी से काम करा लेता है़
इस कारण लोग भी अधिक पैसा खर्च कर बिचौलियों के चंगुल में फंस जाते है़ वाहन चलाने का लाइसेंस बनाने के लिए कई नियम बने हुये है. प्रशिक्षु के लिए आवेदन देने के लिए परिचय पत्र, आवासीय, मेडिकल जांच की जरूरत पड़ती है़ लेकिन जो मेडिकल जांच आवेदन में लगाया जाता है अगर सिर्फ उसकी जांच हो तो सैकड़ों जांच रिपोर्ट फर्जी साबित हो जायेगा़ जबकि विभाग को चिकित्सक की प्रतिनियुक्ति कराकर शारीरिक सक्षमता के लिए मेडिकल जांच कराना चाहिए़ प्रशिक्षु लाइसेंस छह माह के लिए ही वैद्य होता है़
इस स्थिति में ऐसे लाइसेंस मिलने के 30 दिन बाद लोग स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते है़ आवेदन के बाद उन्हें मोटर यान निरीक्षक के समक्ष वाहन चलाकर दिखाना होता है़ जिसकी स्वीकृति मिलने के बाद लाइसेंस निर्गत होता है़ परंतु यहां ये तमाम सिस्टम सिर्फ बिचौलियों के माध्यम से नहीं जाने वाले आवेदकों के लिए लागू है़ परिवहन कार्यालय के समक्ष मौजूद सुमित कुमार, अभिनंदन ने बताया कि कार्यालय के ईद-गिर्द ही दलाल घूमते रहते है़ लाइसेंस बनाने के लिए निर्धारित दर से पांच गुना अधिक राशि की मांग की जाती है़ नहीं तो कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है़
जिस कारण लोग दलाल के माध्यम से ही अपना काम कराना मुनासिब समझते है़ दलाल मेडिकल से लेकर अन्य कागजात लगाकर आसानी से लाइसेंस उपलब्ध करा देते है़ वो भी कार्ड देते है़ जबकि सीधे तौर पर आवेदन देने वाले लोगों को महीनों तक कार्ड नहीं मिल पाता है़ कभी कहा जाता है कि प्रिंटर खराब है तो कभी कार्ड व रीबन खत्म हो गया है़ पुलिस विभाग द्वारा अपरेशन दलाल अभियान शुरू करने के बाद परिवहन विभाग से ही गिरफ्तारी हुई थी़ जिस कारण कुछ दिनों तक इसका खौफ दिखा़ परंतु यह अभियान जैसे ही समाप्त हुआ़ दलाल फिर से सक्रिय हो गय़े जिला परिवहन पदाधिकारी अरुण कुमार का कहना है ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है़ पूरा सिस्टम पारदर्शी है़ वाहनों चलाने की जांच के लिए तीन दिन टेस्ट ड्राइव करने की तिथि निर्धारित कर दी गयी है.