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पूसा प्रखंड प्रमुख की कुरसी पर संशय बरकरार

पूसा : प्रमुख उदय शंकर राय पर लगे अविश्वास प्रस्ताव पर संशय बरकरार ही प्रतीत हो रहा है. इस आलोक में पक्ष व विपक्ष दोनों ओर से पंचायत समिति सदस्यों ने अपना अपना जुगार लगाने में प्रयासरत हैं. आखिर ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो जिला पदाधिकारी या फिर समय ही फैसला कर पायेगा. वर्तमान […]

पूसा : प्रमुख उदय शंकर राय पर लगे अविश्वास प्रस्ताव पर संशय बरकरार ही प्रतीत हो रहा है. इस आलोक में पक्ष व विपक्ष दोनों ओर से पंचायत समिति सदस्यों ने अपना अपना जुगार लगाने में प्रयासरत हैं. आखिर ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो जिला पदाधिकारी या फिर समय ही फैसला कर पायेगा.
वर्तमान प्रमुख की ओर से प्रधान सचिव अमिताभ वर्मा के पत्रांक के माध्यम से 2/8/13 को जारी जिला पदाधिकारी के नाम पत्र में कहा गया है कि प्रावधानों के बावजूद शिकायतें प्राप्त हो रही है कि बुलायी गयी बैठक को स्थगित कर बैठकों के लिए अगली तिथि निर्धारित की जा रही है. बुलायी गयी बैठक संपन्न नहीं होने के कारण पुन: बैठक के लिए दूसरी तिथि निर्धारित की जा रही है कि निर्धारित तिथि को मतदान नहीं हो सका.
उपरोक्त तीनों ही स्थितियों में बुलाई गयी बैठक अधिनियम 2006 की धारा 44 के प्रावधानों के विपरीत है. चूकि धारा 44(3)(7) के प्रावधानों के अनुसार विशेष बैठक के लिए निर्गत नोटिस में निर्धारित तिथि को लाये गये अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान द्वारा निर्णय किया जाना है एवं धारा 44(3)(1) एवं (7) के अनुसार निर्धारित तिथि को अविश्वास प्रस्ताव पारित नहीं हुआ तो प्रमुख पूर्व की भांति अपने पद पर बने रहते हुए पूर्ववत कार्य करते रहेंगे. इसके साथ ही पंचायत समिति पहले अविश्वास प्रस्ताव के लिए निर्धारित तिथि के एक वर्ष बाद ही लाया जा सकेगा.
तत्कालीन प्रधान सचिव अमिताभ वर्मा ने उपरोक्त पत्रांक के माध्यम से स्पष्ट करते हुए निर्देश दिया था कि यदि अविश्वास प्रस्ताव पर विचार के लिए निर्धारित तिथि को बुलायी गयी बैठक सम्पन्न नहीं हो सकी तो कार्यरत प्रमुख अपने पद पर बने रहेंगे. इधर, पंचायत समितियों में विरोधी खेमे से पंसस रंजीत शर्मा के आवेदन पर अमल करते हुए उप निदेशक पंचायत राज कार्यालय दरभंगा की ओर जारी पत्रांक के अनुसार जिला पदाधिकारी के नाम पत्र में कहा है कि बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 की धारा 44 के अंतर्गत विशेष बैठक आहूत करवाने के संबंध में यथा शीघ्र आवश्यक कार्रवाई करने को निर्देश दिया गया.
अब सबल पैदा हो रहा है कि आखिरकार जिला पदाधिकारी किसकी सुने. प्रधान सचिव या फिर उप निदेशक दरभंगा कुल मिलाकर पंचायत विकास के अंतिम समय में पूसा प्रखंड सदमा से गुजर रहा है. चूंकि जब कुरसी ही हिल रहा हो तो विकास एवं जनता का कौन सुनेगा. पिछली वित्तीय वर्ष का लेखा जोखा के साथ आने वाले वित्तीय वर्ष की नवीन योजनाओं पर बिना बैठक प्रश्न चिह्न् लगना तो तय ही माना जा रहा है.

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