तकनीकी कठिनाइयों के समाधान के लिये बनी थी संस्था संस्थागत ढांचा है उद्योग मित्र प्रतिनिधि, समस्तीपुरउद्योगों की स्थापना विकास का द्वार खोलती है. जिले के लोगों में नये उद्योग लगाने को प्रोत्साहित करने के लिये सरकार ने उद्योग मित्र नामक संस्था का गठन किया था. लेकिन औद्योगिक इकाइयों व उद्योग विभाग के बीच की यह कड़ी खोखली साबित हो रही है. कई इकाइयांे को तो इस संस्था की जानकारी तक नहीं है. ऐसे में तकनीकी सहायता तो दूर की बात साबित हो रही है. नये उद्योगो के निर्मरण में आने वाले समस्याओं व उद्यमियों क ो सहायता के लिये सोसाइटी एक्ट 1860 के अंतर्गत उद्योग मित्र नामक संस्था का गठन किया गया था. इसका मुख्य कार्य नये उद्यमियों को उद्योग चयन में उचित सलाह देना है. चयनित उद्योग क ो परियोजना प्रतिवेदन देना व परियोजना के क्रियान्वयन को अनुशंसित करना है. उद्योग मित्र जहां इकाइयों क ी स्थापना में मदद करती है. वहीं इसका औद्योगिक विकास से संबंधित आंकड़ों का भी संकलन करती है. इसके लिये औद्योगिक डाटा बैंक भी इसका अंग है. इसका कार्य क्षेत्र के विकास से संबंधित तकनीकी सूचनाओं को वैज्ञानिक ढंग से विश्लेषण व संग्रहण कर उद्योगों को सांख्यिकी मदद पहुंचाना भी था. प्रथम चरण से लेकर उत्पादन तक सभी जरूरी कागजात को भी उद्योग मित्र उपलब्ध कराता है. लेकिन यह सब फाइलों तक सिमट गया. अब यह कड़ी टूट रही है जो गंभीर विषय है. जिला उद्योग केंद्र के परियोजना प्रबंधक राम शरण राम का इस बाबत कहना है कि उद्योग मित्र के सभी कार्य सीधे पटना से किये जाते हैं. ऐसे में नये उद्योगों के लिये इंटरप्रेनर को सभी सहयोग वहीं से दी जाती है.
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उद्योग मित्र व औद्योगिक इकाइयों के बीच टूट रही कड़ी
तकनीकी कठिनाइयों के समाधान के लिये बनी थी संस्था संस्थागत ढांचा है उद्योग मित्र प्रतिनिधि, समस्तीपुरउद्योगों की स्थापना विकास का द्वार खोलती है. जिले के लोगों में नये उद्योग लगाने को प्रोत्साहित करने के लिये सरकार ने उद्योग मित्र नामक संस्था का गठन किया था. लेकिन औद्योगिक इकाइयों व उद्योग विभाग के बीच की यह […]
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