पटोरीः स्याह पड़े पिचके गालों पर उगी हुई दाढ़ियां. ललाट पर उभरी गहरी रेखायें परेशानियों को साफ बयां कर रही थी. बगल में भवन के अंदर प्रवेश करने के लिए बनी चौड़ी सी धाप पर बैठे सफेद धोती और कुरता के साथ हाथ में छड़ी थामे कुछ सभ्रांत लोग परिसर की पगडंडी को यूं दूर तक निहार रहे थे, जैसे अरसे बाद बेटी आने की सूचना पर बेसब्र मां-बाप राहों में पलकें बिछाये रखते हैं. इन्हें इंतजार था अंचल कार्यालय के उस कर्मी की जिसके पास ऑफिस की चाबी हो. कार्यालय खुलने पर अपनी परेशानियों को दूर करवाने की दिशा में प्रयास किया जा सके.
उस वक्त 11.30 बजे चुके थे. उसम भरी गर्मी से बेचैन लोग इधर-उधर टहलने के बाद वापस निराश होकर उसी स्थल पर धम्म से बैठ जाते और अपनी परेशानियों से बगल वाले को शेयर कर उसे समय गुजारने का जरिया बनाने का भरसक प्रयास कर रहे थे. इसमें किसी को भूमि का रसीद तो किसी को फोर लेन सड़क में गयी जमीन का मुआवजा लेना था.
इसी बीच किसी ने जानकारी दी कि कर्मचारी यहां नहीं चाय की दुकान पर मिलेंगे. बस क्या था लोग यूं भागे जैसे हाजीपुर जाने वाली सवारी गाड़ी आने की स्टेशन से घोषणा कर दी गयी हो. लेकिन वहां भी निराशा ही हाथ लगी. तब तक घड़ी की सूई ने 1.25 के कांटे को छू दिया था. कुछ यही दास्तां प्रखंड कार्यालय की थी. दोपहर 1.25 तक कार्यालय में ताले लटक कर कर्मचारी के आने की प्रतीक्षा कर रहे थे. हां काम काज के लिए पहुंचने वाले लोग जरुर यहां आ जाकर शोभा बढ़ाने में जुटे रहे. लेकिन उन्हें निराशा के सिवाय और कुछ हाथ नहीं लग रहा था.
साहेब दर्द यहां है..पटोरी मालपुर गांव की भुल्ली देवी का कहना है कि एक वर्ष पूर्व दाखिल खारिज के लिए आवेदन दिया था. चक्कार काट काट कर थक गये तो मेरा बेटा मेघन पासवान पिछले सप्ताह आकर खूब हल्ला किया. तब कर्मी ने 2 तारीख को आने के लिए कहा था. आज यहां कोई मिल ही नहीं रहा है. सरहद की जागो देवी ने बताया कि ताजपुर बख्तियारपुर फोर लेन में उसकी जमीन चली गयी. मुआवजे के लिए हर रोज अंचल में दस्तक देने आ रही है. कोई कुछ बताने तक के लिए तैयार नहीं है. जोड़पुरा के दुखन सहनी ने बताया कि दाखिल खारिज, रसीद व वंशावली के लिए दो महीने पूर्व आवेदन दिया था. डीसीएलआर से भी मिले. थक कर 29 जुलाई को सूचना अधिकार का सहारा लिया है. दरबा की सुधा देवी व जनार्दन राय मई महीने से दाखिल खारिज कराने यहां आ रहे हैं. हसनपुर सूरत के टांडा निवासी राजेश कुमार ने बताया कि जन्म प्रमाण पत्र के फार्म जमा करने प्रखंड कार्यालय आये थे. लेकिन यहां कोई मिल ही नहीं रहे. बहादुरपुर के मिलकिया चक पोखर निवासी दुखन राम पेंशन के लिए रोज आ रहे हैं. इनका कहना है कि कल्याण बाबू कहते हैं पंचायत सचिव से मिलो वहीं कल्याण होगा.
लगुनिया की सरिता कुमारी का बताना है कि 23 जनवरी को विकलांगता प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था. लेकिन अब तक प्रमाण पत्र दूर कोई कुछ बता तक नहीं रहा है.