शिवाजीनगर : पीएचसी में ठंड में भी महिलाओं को बंध्याकरण के बाद अस्पताल के बरामदे पर लिटा दिया जाता है. इसके बाद होश आने तक वहीं उनका उपचार भी किया जाता है. जगह नहीं रहने के कारण अस्पताल बंध्याकरण के लिए पहुंची महिलाओं को वापस लौटा दिया जाता है.
वहीं ऑपरेशन कराने पहुंची महिलाएं अपने साथ पुआल व गर्म कपड़ा लेकर आने को विवश हैं. पीएचसी में मात्र 6 बेड दिया जाता है. प्रसव कराने पहुंची महिलाओं को बेड के अभाव में बरामदे पर ही भरती होना पड़ता है. दवा काउंटर कर्मी के पदस्थापित नहीं होने के कारण अधिकांश समय बंद ही रहता है.
ओपीडी के समय में चतुर्थ वर्गीय कर्मियों या एंबुलेंस चालक के द्वारा दवा का वितरण किया जाता है. यहां ना ही एक्सरे की व्यवस्था है. अगर गंभीर रूप से बीमार मरीज या इमरसेंजी मरीज पहंुचते हैं तो उनको प्राथमिक उपचार के बाद रेफर कर दिया जाता है. यहां टेक्निशियन के अभाव में जांच की व्यवस्था भी बंद है, जिसके कारण मरीजों को बाहर से जांच करवाने की विवशता बनी रहती है.
ऑपरेशन के बाद निकली गंदगी अस्पताल के पीछे फेकी जाती है जिसके कारण उसमें दुर्गंध अस्पताल परिसर में फैल जाती है. मरीजों के परिजनों का बताना है कि यहां ऑपरेशन के नाम सिर्फ खानापूर्त्ति ही होती है. हमें दवा भी बाहर से लाना पड़ता है. पीएचसी प्रभारी डॉ टीपी चौधरी ने बताया कि जगह व दवाइयों की कमी के बारे में कई बार वरीय अधिकारों को कई बार जानकारी दी गयी है. लेकिन अब समुचित व्यवस्था नहीं हो सकी है.