समस्तीपुर : जिला पुलिस अक्सर अपने कारनामों के कारण चर्चा में रहती है. पुलिस अधिकारी कभी निर्दोष लोगों को केस में फंसाने तो कभी केस से नाम निकालने के नाम पर उगाही करते हुए पकड़े जाते हैं. कुछ इसी तरह एक बार फिर अंगारघाट थाना पुलिस की एक कारगुजारी के कारण जिला पुलिस की कार्यशैली […]
समस्तीपुर : जिला पुलिस अक्सर अपने कारनामों के कारण चर्चा में रहती है. पुलिस अधिकारी कभी निर्दोष लोगों को केस में फंसाने तो कभी केस से नाम निकालने के नाम पर उगाही करते हुए पकड़े जाते हैं. कुछ इसी तरह एक बार फिर अंगारघाट थाना पुलिस की एक कारगुजारी के कारण जिला पुलिस की कार्यशैली कटघरे में आ खड़ी हुई है.
यहां जख्मी के फर्द बयान में ही छेड़छाड़ कर दिये जाने का मामला सामने आया है. बताया जाता है कि पुलिस ने भूमि विवाद में हुई मारपीट के एक मामले में जख्मी के द्वारा अस्पताल में पुलिस के समक्ष दिये गये फर्द बयान पर प्राथमिकी दर्ज की गयी है. लेकिन उसमें वादी के साथ-साथ गवाहों के हस्ताक्षर ही बदल दिये गये हैं. इसके पीछे पुलिस की मंशा क्या है यह तो जांच के बाद ही सामने आयेगा. लेकिन पीड़ित पक्ष का कहना है कि पुलिस ने साजिश के तहत विरोधी को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा किया है.
क्या है मामला: अंगारघाट थाना क्षेत्र के मुरियारो गांव में भूमि विवाद को लेकर 28 जुलाई 2019 की रात कुछ लोगों ने कैलाश महतो की 50 वर्षीया पत्नी मीना देवी को मारपीट कर गंभीर रूप से जख्मी कर दिया था. घटना के बाद उसे बेहोशी की अवस्था में लोगों ने सदर अस्पताल में भर्ती कराया था. जहां से चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार के बाद उसे डीएमसीएच रेफर कर दिया था. डीएमसीएच में बेता ओपी की पुलिस ने 30 जुलाई को जख्मी महिला का फर्द बयान दर्ज किया था. बयान की कॉपी पर पीड़ित महिला के साथ-साथ दिनेश पासवान एवं राज कुमार पासवान से हस्ताक्षर भी करवाया गया था़ फर्द बयान लेकर बेता पुलिस स्थानीय थाने को भेज दी थी. इसके बावजूद उस फर्द बयान पर
अंगारघाट पुलिस ने 41 दिनों बाद 9 सितंबर को प्राथमिकी संख्या 85/2019 दर्ज की.