समस्तीपुर : जिले में बिजली कंपनी जितनी तत्परता बिल वसूली में दिखाती है उतनी ही तत्परता मेंटेनेंस पर दिखाती, तो शायद जिले के उपभोक्ताओं को लो वोल्टेज व पीएसएस को ट्रिपिंग की समस्या से निजात मिल जाती. लो-वोल्टेज, शट डाउन, ब्रेक डाउन जैसी गंभीर समस्याओं पर कंपनी अबतक काबू नहीं पा सका है. व्यवस्था में […]
समस्तीपुर : जिले में बिजली कंपनी जितनी तत्परता बिल वसूली में दिखाती है उतनी ही तत्परता मेंटेनेंस पर दिखाती, तो शायद जिले के उपभोक्ताओं को लो वोल्टेज व पीएसएस को ट्रिपिंग की समस्या से निजात मिल जाती. लो-वोल्टेज, शट डाउन, ब्रेक डाउन जैसी गंभीर समस्याओं पर कंपनी अबतक काबू नहीं पा सका है.
व्यवस्था में सुधार के बावजूद लगभग 90 फीसदी ट्रांसफॉर्मर अभी भी एबी स्विच विहीन है. तार टूटने या ट्रांसफॉर्मर में आयी मामूली खराबी को दुरुस्त करने के लिए सब स्टेशन से पूरे फीडर की लाइन काटी जाती है. कंपनी राजस्व बढ़ाने तथा बिजली चोरी रोकने के लिए अभियान चला रहा है, लेकिन अनहोनी घटनाओं को रोकने के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं बना पा रही है. बिजली कंपनी के अधिकारी भी मानते हैं कि संसाधनों को दुरुस्त करने की जरूरत है, जो जारी है.
आग की भेंट चढ़ जाती हैं फसलें: तल्ख धूप में पछुआ हवा के झोंके के कारण खेतों के ऊपर से गुजर रहे बिजली के हाइ टेंशन तार कब किसके लिए मुसीबत बन जाये, कहा नहीं जा सकता है. आपस में टकराते तारों से निकल कर गिरने वाली चिंगारी किसानों के लिए शामत बन रही है. हाल के दिनों में बिजली कंपनी की लापरवाही के कारण लोगों को इसका भारी खामियाजा भुगतना पड़ा है. रबी सीजन में हर वर्ष जिले में बिजली तार के कारण सैकड़ों एकड़ फसल आग की भेंट चढ़ जाती है. इस वर्ष दो माह पूर्व में कई एकड़ गेहूं की फसल जल कर खाक हो चुकी है. किसानों की मेहनत पर पलभर में पानी फिर गया.
बिल सुधार के नाम पर अधिकांश उपभोक्ता संतुष्ट नहीं: बिजली कंपनी का पूरा ध्यान राजस्व वसूली पर केंद्रित होकर रह गया है. कंपनी द्वारा मेंटेनेंस के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है. ऐसे कई उपभोक्ता है जो बिल में गड़बड़ी का रोना रो रहे हैं. बिल सुधार के लिए कार्यालय का चक्कर लगाते रहते हैं.
सूत्रों की मानें तो बिल सुधार के नाम पर अधिकांश उपभोक्ता संतुष्ट नहीं है. शहरी क्षेत्र में राजस्व की वसूली कर्मचारियों द्वारा कंपनी के काउंटर पर ही की जाती हैं, जबकि मीटर रीडिंग के लिए फ्रेंचाइजी कंपनी का सहारा लिया गया हैं जो कि घर-घर जाकर बिजली मीटर का फोटो खींचकर विपत्र तैयार कर हाथों हाथ दे देते हैं. कंपनी द्वारा उपभोक्ताओं को दी गयी बिजली आपूर्ति के कारण राजस्व में भी लगातार वृद्धि हो रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली कंपनी द्वारा मीटर रीडिंग बिलिंग व राजस्व कलेक्शन के लिए फ्रेंचाइजी का सहारा लिया गया हैं. कंपनी राजस्व वसूली के प्रति इस कदर सचेत है कि एक माह व दो हजार से अधिक बकाया होने पर उपभोक्ताओं के कनेक्शन काटे जा रहे हैं. कनेक्शन काटे जाने के डर से उपभोक्ता भी समय-समय पर विपत्र का भुगतान कर रहे हैं. इसका नतीजा है कि कंपनी प्रतिमाह करीब 22 करोड़ रुपये के राजस्व वसूली तक पहुंच गया हैं.
बावजूद इसके कंपनी का खर्च मेंटेनेंस के नाम पर नाम मात्र ही है. जिले के जर्जर बिजली तारों को बदलकर केबल वायर लगाने की योजना के बावजूद बिजली तारों को बदला नहीं जा सका है. शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक जर्जर बिजली तार झूलते हुए नजर आ रहे हैं. यह झूलते हुए तार जब टूटकर गिरते हैं, तो कंपनी द्वारा इन तारों को जोड़कर
उससे आपूर्ति कर दिया जाता है. जोड़-तोड़ के कारण बिजली तार पहले से और भी कमजोर हो जाते हैं. आंधी तूफान के समय लोगों के अरमानों को जला डालते हैं.