समस्तीपुरः ‘सुनील’ अपने देशीय चिंतन के सहारे बौद्धिक समुदाय के गतानुगतिक नकलची दिमाग पर आजीवन दस्तक देते रहे. वे मानते थे कि भारत की स्थिति, संस्कृति, परिवेश अन्य देशों से भिन्न है, इसलिए यहां की समस्याओं का निदान पश्चिम के आयातित चिंतन से नहीं वरण देशीय चिंतन के सहारे ही संभव है.
यह बातें स्थानीय विधि कॉलेज में प्रख्यात समाजवादी चिंतक एवं सामयिक वार्ता के संपादक सुनील के निधन के उपरांत आयोजित श्रद्धांजलि सभा में वक्ताओं ने कही. शहर के लॉ कॉलेज में सभा को संबोधित करते हुए पूर्व प्राचार्य सुरेश नारायण शर्मा ने कहा कि सुनील का व्यक्तित्व आने वाले पीढ़ी के लिए हमेशा प्रेरणादायक रहेगा. वार्ता मंच के नवेंदु प्रियदर्शी ने कहा कि सुनील जी आजीवन वैश्वीकारण एवं साम्प्रदायिकता के खिलाफ लड़ते रहे.
वे देशाज परंपरा के गिने चुने चिंतक थे. वहीं डा. हरिओम शाही, अधिवक्ता पंकज कु मार देव, प्राध्यापक निशांत कुमार, रंजीत आदि ने भी उनके व्यक्तिव पर प्रकाश डाला. अध्यक्षता सुरेश नारायण शर्मा ने की. संचालन नवेंदु प्रियदर्शी ने किया. मौके पर जिला पार्षद रंजीत निगरुणी, प्रो. मिनी पांडेय, सच्चिदानंद, राजीव गौतम, गणोश कुमार पासवान, पंकज कुमार देव, सुरेंद्र कुमार, डा. मिथलेश कुमार, प्रवीण कुमार, फूलबाबू, संजय कु मार बबलू, रामचंद्र राय, प्रो. शारदा सिन्हा, राम पुनीत ठाकुर आदि मौजूद थे.