सरायरंजन : नेपाल, मलेशिया, तिब्बत आदि जगहों से सरायरंजन व मोरवा के लगमा चंद्रहांसा, खेमैठ झील, दरबा, बसही, रायपुर आदि चौरों में आनेवाले मेहमान प्रवासी पक्षियों का शिकार किया जा रहा है. शिकारी पक्षियों को पांच सौ से एक हजार रुपये तक बेच जा रहे हैं. वन्य प्राणी व जीव जंतु संरक्षण नियमों का यहां कोई प्रभाव नहीं देखा जा रहा है.
मेहमान पक्षियों का शिकार कोई नयी बात नहीं है. प्रशासनिक उदासनीता के कारण इसमें इजाफा हुआ है. इन पक्षियों में खेसरा, लालसर, डुमरा, दधौंच, नकटा, अधंगी, अरुण आदि प्रमुख हैं.
स्थानीय लोगों के अनुसार, ठंड के मौसम शुरू होते ही इस झील में प्रवासी पक्षियों का आना प्रारंभ हो जाता है तथा गर्मी शुरू होते ही वे पुन: लौटने लगते हैं. लेकिन, त्रासदी है कि आते हैं वे बड़ी संख्या में, पर लौटते हैं मुट्ठी भर.
इससे इनकी संख्या घट रही है. यह प्रवासी पक्षी अधिक ठंड से बचने, भोजन व सुरक्षित ठहराव तथा प्रजनन के लिए हिमालय के उतरी क्षेत्र चीन, जापान, साइबेरिया, मंगोलिया, नेपाल, तिब्बत से यहां आते हैं. इनका मुख्य भोजन धान, कीड़े-मकोड़े, केकड़े, घोंघा एवं मछली आदि हैं, जो पर्याप्त मात्रा में उन्हें यहां मिल जाते हैं. पर्यावरण संतुलन के दृष्टिकोण से भी इन पक्षियों की रक्षा करना लोगों का कर्तव्य बन जाता है, पर खेद है कि सरकार खुद ही पक्षियों को मारने की बंदोबस्ती करती है,
तो इन पक्षियों का रक्षा कौन कर सकेगा. इतना ही नहीं, क्षेत्र के खेमैठ झील अपनी सुंदरता के लिए भी प्रसिद्ध है, जहां लाल लाल कमल के फूल और उसके हरे-भरे पते, उजले कुमदनी के झुंड सौंदर्य में चार चांद लगते हैं, इन मनोहरी दृश्य को निहारते लोग अधा नहीं पाते है़ं इस संबंध में पूछे जाने पर घटहो ओपी प्रभारी राधेश्याम प्रसाद ने बताया कि वन्य जीवों का शिकार करने पर पूर्णत: पाबंदी है. यह दंडनीय अपराध है. पकड़े जाने पर शिकार करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी. वैसे इन पक्षियों की सुरक्षा के लिए गश्त लगानी शुरू कर दी गयी है.