पंचायत के विकास का काम भी हो रहा है प्रभावित सौरबाजार . बीडीओ और सामाजिक कार्यकर्ता के बीच नोंकझोंक और विवाद मामले को लेकर इन दिनों प्रखंड कार्यालय चर्चा में है. विवाद के बाद यानी 19 फरवरी से बीडीओ कार्यालय नहीं आ रही है और न हीं प्रमुख और उपप्रमुख का कार्यालय खुलता है. जिसके कारण प्रखंड कार्यालय में कार्यरत कर्मी और अन्य विभाग के अधिकारी मनमाने तरीके से कार्यालय आते हैं और लोगों के काम का सही तरीके से निष्पादन नहीं किया जा रहा है. दो सप्ताह से अधिक समय से प्रखंड के शीर्ष अधिकारी के कार्यालय में नहीं रहने से जहां लोगों का काम प्रभावित हुआ है, वहीं प्रखंड के सभी पंचायतों में विकास का काम भी धीमी पड़ गया है. स्थानीय लोगों, जनप्रतिनिधियों और विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों ने अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों व सामाजिक कार्यक्रताओं के बीच विवाद के कारण काम काज प्रभावित नहीं रहे, इसके लिए जिला के वरीय पदाधिकारी को संज्ञान लेकर पहल करने की मांग की है. मालूम हो कि 19 फरवरी को लोजपा (रा) प्रखंड अध्यक्ष अभिषेक आनंद के साथ चंदौर पूर्वी पंचायत के ललन कुमार और बबलू सम्राट द्वारा प्रखंड मुख्यालय की गड़बड़ी को दिखाने के उद्देश्य से फेसबुक लाइव वीडियो बनाते हुए प्रखंड निर्वाचन कार्यालय पहुंचा. जहां मौजूद प्रखंड विकास पदाधिकारी नेहा कुमारी से उनकी बहस हो गयी और लाइव वीडियो बनाने से मना करने पर नोंक-झोंक हो गयी. बीडीओ ने उनके मोबाइल को झपटना चाहा. जिसमें ललन कुमार का मोबाइल फोन गिरकर टूट गया. जिसके बाद विवाद बढ़ गया. कुछ देर के लिए प्रखंड मुख्यालय में अफरा-तफरी का माहौल हो गया. जिसे पुलिस द्वारा प्रखंड मुख्यालय पहुंचकर शांत कराया. बीडीओ ने अभिषेक आनंद, ललन कुमार, बबलू सम्राट और प्रमुख पति नूर आलम उर्फ लंबू पर सरकारी काम में बाधा उत्पन्न करने समेत अन्य कई आरोप लगाते हुए थाना में मामला दर्ज कराया. पुलिस ने मामला दर्ज करने के बाद कार्रवाई करते हुए प्रमुख पति नूर आलम को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भी भेज दिया है और अन्य की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही है. जबकि बीडीओ द्वारा आरोपी बनाये गये सभी चारों लोगों ने भी बीडीओ पर मनमानी करने मोबाइल फोन तोड़ने समेत अन्य कई आरोप लगाते हुए जिला और प्रमंडल के वरीय पदाधिकारी को आवेदन देकर जांच की मांग की है. इन लोगों ने बीडीओ पर न्यायालय में नालसी मुकदमा भी दर्ज करने की भी बात कही है. अब मामले में जिला और प्रमंडल के वरीय पदाधिकारी पर सबकी नजर टिकी हुई है कि आखिर पदाधिकारी की जांच में काँन लोग दोषी होते हैं और उन पर क्या कार्रवाई होती है.
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