उदासीनता. कभी था प्रमंडल की शान, पावर कट के बाद हो गया बंद
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बेकार पड़ा है सबसे बड़ा कोल्ड स्टोरेज
उदासीनता. कभी था प्रमंडल की शान, पावर कट के बाद हो गया बंद प्रमंडल की शान कहे जाने वाले कोल्ड स्टोरेज की क्षमता चार हजार मीट्रिक टन है. कुसहा त्रासदी का असर इस पर भी पड़ा है. इसका बिल 91 लाख 35 हजार के बाद यहां की बिजली बिजली काट दी गयी थी. 2009 में […]
प्रमंडल की शान कहे जाने वाले कोल्ड स्टोरेज की क्षमता चार हजार मीट्रिक टन है. कुसहा त्रासदी का असर इस पर भी पड़ा है. इसका बिल 91 लाख 35 हजार के बाद यहां की बिजली बिजली काट दी गयी थी. 2009 में खरीदा गया 33 लाख का संयत्र भी जंग खा रहा है. कोसी प्रमंडल की इस धरोहर को सहेजने की आवश्यकता है.
सहरसा : कोसी प्रमंडल का सबसे बड़ा व मुनाफा कमाने वाला जिला मुख्यालय का एक मात्र बिस्कोमान (कोल्ड स्टोरेज) आज अपनी बदहाली के आंसू रो रहा है. विभागीय उदासीनता व जिला प्रशासन की लापरवाही से बीते चार वर्षों से बंद पड़ा हुआ है. बिहार के अच्छे कोल्ड स्टोरेज में शामिल सहरसा का यह कोल्ड स्टोरेज मुनाफा कमाने की दृष्टिकोण से भी अव्वल था.
2014 में ही काट दी थी बिजली: साल 2008 में आयी कुसहा त्रासदी के ठीक बाद से ही इस कोल्ड स्टोरेज की उल्टी गिनती शुरू हो गयी थी. साल-दो साल तक जैसे-तैसे बिस्कोमान का काम चला. लेकिन फिर यह बंद हुआ तो आज तक नहीं खुल सका है. नेपाल के कुसहा में तटबंध के टूटने और आयी बाढ़ में यहां सुपौल व मधेपुरा जिले के किसानों का रखा आलू समय पर नहीं निकल सका. कोल्ड स्टोर में ही सारा आलू सड़ गया था. बिस्कोमान भवन में ब्लास्ट तक की घटना हुई थी.
बाद में सभी सड़े आलू को बिस्कोमान प्रबंधन को जेसीबी से हटाना पड़ा था. उसी समय से किसानों को मुआवजा व भाड़ा वसूली नहीं होने से बिस्कोमान घाटे में चला गया. इस घाटे की वजह से बिजली विभाग का लगभग 91 लाख पैंतीस हजार से अधिक रकम बकाया हो गया. बिजली बिल के अत्यधिक हो जाने से विभाग ने साल 2014 में बिस्कोमान की लाइन काट दी. तब से लेकर आज तक बिजली की उपलब्धता नहीं रहने की वजह से चार हजार मैट्रिक टन क्षमता वाला यह कोल्ड स्टोर बंद धूल फांक रहा है. कुछ वर्षों पूर्व तक यह कोल्ड स्टोरेज सहरसा, सुपौल व मधेपुरा जिले के आलू उत्पादन करने वाले किसानों के लिये वरदान कहलाता था.
2009 में खरीदा गया 33 लाख का संयत्र जंग खा रहा
सरकार चाहे तो हो सकता है चालू
1986 में राज्य सरकार के तत्कालीन कृषि मंत्री रमेश झा के प्रयास से निर्माण के बाद वर्ष 2008 के कुसहा त्रासदी से पहले तक यह कोल्ड स्टोर काफी कमाऊ स्थिति में था. अभी यहां प्रमंडलीय क्षेत्रीय पदाधिकारी सह बिस्कोमान प्रबंधक मिथिलेश कुमार सिंह का कार्यालय है. वे यहां सिर्फ कागजी फाइलों को निबटाते हैं. वे कहते हैं कि बिजली विभाग द्वारा गलत बिल देने व लाइन काटे जाने से बिस्कोमान ठप पड़ा हुआ है. गलत बिल के विरुद्ध पूर्णिया में मामला भी चल रहा है.
कहा कि अभी भी बिजली की व्यवस्था हो जाय तो यह कोल्ड स्टोरेज चालू हो जाएगा. श्री सिंह ने बताया कि वर्ष 2009 में तैंतीस लाख की लागत से नया उपकरण भी लगाया गया था. जो बंद होने के कारण अब जंग लगने की कगार है. अधिकारी ने बताया कि बिस्कोमान प्रबंध निदेशक ने बताया कि कई बार अखबार में भी इसे लिज पर चलाये जाने के लिए विज्ञापन प्रकाशित कराया गया. लेकिन कोई सामने नहीं आया. यदि विभाग और सरकार प्रयास करे तो आज भी चार सालों से बंद पड़ा यह कोल्ड स्टोरेज पुराने रूप में लौट सकता है. फिर से जिले सहित इस पास के जिले के किसान आलू रखने की व्यवस्था हो सकती है.
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