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गंदगी के बीच सिमटी जिंदगी

लापरवाही. शहर की सफाई व्यवस्था ध्वस्त, फैली बदबू गंदगी सहरसा की नियति बनती जा रही. नप प्रशासन इसकी बेहतर व्यवस्था करने में विफल है. लोग कूड़ा कहां फेंकें, यह भी एक सवाल है. कूड़ेदान कहीं-कहीं दिखता है. इस वजह से शहर में हर अोर गंदगी दिखायी देती है. लोगों को नाक पर रूमाल रख कर […]

लापरवाही. शहर की सफाई व्यवस्था ध्वस्त, फैली बदबू

गंदगी सहरसा की नियति बनती जा रही. नप प्रशासन इसकी बेहतर व्यवस्था करने में विफल है. लोग कूड़ा कहां फेंकें, यह भी एक सवाल है. कूड़ेदान कहीं-कहीं दिखता है. इस वजह से शहर में हर अोर गंदगी दिखायी देती है. लोगों को नाक पर रूमाल रख कर सड़कों, गलियों से गुजरना पड़ता है. नप प्रशासन को व्यवस्था सुदृढ़ करने की जरूरत है.
सहरसा : नप प्रशासन हर समस्या का जल्द से निदान करने व नये-नये प्रावधानों को जल्द ही शुरू करने की मात्र घोषणा ही करती है. इसमें से अधिकतर सिर्फ हवा हवाई बन कर रह जाते हैं. घोषणा पर अमल नहीं हो पाता है. कभी गंदगी के अंबार को तीन दिनों के अंदर हटा देने की घोषणा होती है, तो कभी जलजमाव की समस्या का निदान करने की बड़ी-बड़ी बातें की जाती है. कभी अतिक्रमण से शहर को मुक्त कर देने में भी नप प्रशासन आश्वासन देने से पीछे नहीं रहता, लेकिन आज तक न तो इन समस्या का निदान हो पाया है और न ही नप के आश्वासन व झूठी घोषणाएं ही पूरी हो पाती है.
नहीं हटी गंदगी
शहर में गंदगी का अंबार है. इसको हटाने के पीछे सालाना करीब करोड़ रुपये खर्च भी किये जा रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी शहर में गंदगी जस की तस है, जब भी लोग गंदगी की समस्या को लेकर नप प्रशासन के पास जाते हैं तो नप प्रशासन तुरंत इस गंदगी को हटाने का आश्वासन देता है. यह मामला वर्षों से चल रहा है, लेकिन आज तक गंदगी को हटाने में नप को सफलता नहीं मिल सकी है. शहर के प्राय: हर चौक चौराहा, कॉलोनी व मोहल्ला में गंदगी का ढेर लगा दिख जायेगा.
नाले की उड़ाही नहीं
शहर में जलजमाव की समस्या भयंकर है. बारिश होते ही लोगों के रूह कांपने लगते है. नप प्रशासन शहर के नाला की सफाई का भी सिर्फ आश्वासन ही देती रहती है. आज तक इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं हो सकी है. इस कारण हल्की सी बारिश होने पर भी जलजमाव की भयंकर समस्या उत्पन्न हो जाती है. इससे आवागमन भी बाधित हो जाता है. फिलवक्त मुख्य मार्ग पर कहीं कहीं नाला साफ कर लिया गया है, लेकिन मोहल्ले में नप के सफाई कर्मी नहीं पहुंच सके है.
सड़क पर फेंकते हैं कचरा
नगर परिषद क्षेत्र में रोजाना सैकड़ों सफाई कर्मी के कार्य करने के बावजूद गंदगी का ढेर कम नहीं हो पाता है. गली मोहल्ले की सड़क हो या मुख्य बाजार, लोग घर की गंदगी को बीच सड़क पर फेंक कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं, जबकि कचरा प्रबंधन के जरिये सड़क से लेकर घर तक को साफ रखा जा सकता है. इसके बावजूद लोग सड़क को गंदा कर रहे हैं.
कचरे से परेशान हैं शहर के लोग
कूड़ादान की हालत ठीक नहीं
नगर परिषद क्षेत्र के सभी 40 वार्ड में विभागीय मद से आपूर्ति किये गये कूड़ादान कुछ ही माह में जमींदोज हो गये, जबकि कूड़ादान की खरीद में लाखों रुपये खर्च किये गये थे. उपसभापति रंजना सिंह बताती है कि कूड़ादान में सफाई की जगह कमीशन का उद्देश्य बनाया गया था. नगर की सड़कों पर टूट चुके डब्बे कमीशन की कहानी स्वयं बयां कर रहीं है.
कहते हैं अधिकारी
कार्यपालक पदाधिकारी दिनेश राम ने बताया है कि नप प्रशासन अपने स्तर से हर संभव कोशिश करती है कि समस्या का निदान किया जाये. जल्द ही शहर के सभी नाला को साफ कर लिया जायेगा. वहीं, साफ-सफाई का काम भी लगातार किया जा रहा है.
कही दस, तो कहीं दो सफाईकर्मी
नगर परिषद में भी सफाई व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए स्थायी नीति नहीं बनायी जाती है, जिसका परिणाम है कि जमादारों के भरोसे लाखों की आबादी वाले प्रमंडलीय मुख्यालय में सफाई का ताना-बान बुनने का काम किया जा रहा है. स्थानीय पार्षद बताते हैं कि नगर परिषद किसी वार्ड में दस तो किसी में दो सफाई कर्मी को भी नियमित नहीं भेजते हैं. इस वजह से प्रतिदिन नगर की सभी सड़कों की सफाई नहीं हो पाती है.

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