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सहरसा के विकास में अहम है मारवाड़ियों का योगदान

शैक्षणिक व व्यावसायिक क्षेत्र में खींची विकास की लकीर सामाजिक कार्यों में अग्रणी रहा है मारवाड़ी समाज सहरसा : भारती मंडन के गौरवाशाली अतीत, कोशी की विपदा व प्रत्येक वर्ष होने वाले पलायन के दर्द को दफन कर सहरसा इन दिनों व्यवसायिक व शैक्षणिक विकास की दौर में रोज फर्राटे भर रहा है. जिले के […]

शैक्षणिक व व्यावसायिक क्षेत्र में खींची विकास की लकीर

सामाजिक कार्यों में अग्रणी रहा है मारवाड़ी समाज
सहरसा : भारती मंडन के गौरवाशाली अतीत, कोशी की विपदा व प्रत्येक वर्ष होने वाले पलायन के दर्द को दफन कर सहरसा इन दिनों व्यवसायिक व शैक्षणिक विकास की दौर में रोज फर्राटे भर रहा है. जिले के निरंतर हो रहे विकास में मारवाड़ी समाज के अभूतपूर्व योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है. स्थानीय स्तर पर शैक्षणिक माहौल के विस्तार की बात हो या बाजार को आगे बढ़ाने की पहल राजस्थान से पहुंचे मारवाड़ी समाज के लोगों ने अहम भूमिका निभायी है. क्षेत्र में सांस्कृतिक उत्थान की कवायद में समाज की भागीदारी रही है. मारवाड़ी समुदाय के प्रभाकर टेकरीवाल ने बताया कि वर्ष 1904 में राजस्थान से व्यवसाय करने के उद्देश्य से समाज के लोगों का सहरसा सहित कोसी क्षेत्र में पहुंचने का सिलसिला शुरु हुआ था. जिसमें मनोहर लाल टेकरीवाल, भोला राम मस्करा,
श्रीनिवास भीमसेरिया, केदारनाथ दहलान सहरसा आकर बस गये. हालांकि इसके बाद कालांतर में सीताराम शर्मा, राम कुमार केडिया, बनारसी लाल खेमका, मदन लाल सुरेका, सागरमल यादुका, उमराव लाल अग्रवाल, गौरीशंकर पचेरिया, गौरीशंकर संघई, तुलाराम डोकानियां, बनारसी तुल्सयान भी कोसी के वातावरण को भांप यहां की सरजमीन पर बस गए. वर्तमान में ढ़ाई सौ परिवार के करीब पहुंच चुके मारवाड़ी समाज को भी अब बिहारीपन रास आने लगा है.
एजुकेशनल हब का देखा था स्वप्न: कहते है कि महान लोग वर्तमान को बेहतर रुप देने के अलावा भविष्य को प्रगतिशील बनाने का स्वप्न भी देखते है. सूबे के पूर्व वित्त मंत्री स्व शंकर प्रसाद टेकरीवाल के दादा व राधाकृष्ण टेकरीवाल के पिता राय साहब मनोहर लाल टेकरीवाल ऐसी ही शख्सियतों में शामिल रहे है. इन्होंने सहरसा को भविष्य में एजुकेशनल हब बनाने का स्वप्न देख शैक्षणिक माहौल देने की पहल की थी. जिले में एमएलटी कॉलेज की स्थापना व मनोहर उच्च विद्यालय सहरसा एवं बैजनाथपुर की स्थापना का श्रेय मनोहर लाल टेकरीवाल को जाता है. वहीं पूर्व मंत्री शंकर प्रसाद टेकरीवाल ने पूरब बाजार में राजकीय बालिका उच्च विद्यालय की स्थापना कर पूर्वजों की परंपरा को आगे बढ़ाने का काम किया था. इसके बाद समाज के शोभाराम व मणीलाल तुलस्यान द्वारा बनगांव रोड में स्थापित रुपवती कन्या उच्च विद्यालय के सरकारीकरण कराने का श्रेय शंकर प्रसाद टेकरीवाल को ही मिला था.
आर्थिक उन्नति की डाली थी नींव
जिले में कपड़ा, किराना, गल्ला, मिठाई के कारोबार की शुरुआत कर क्षेत्र के आर्थिक उन्नति की नींव डालने का श्रेय मारवाड़ी समाज को ही जाता है. लोग बताते है कि मनोहर लाल टेकरीवाल ने महावीर चौक पर किराना का व्यवसाय शुरु किया था. श्रीनिवास भीमसेरिया ने कपड़े के थौक कारोबार की शुरुआत की थी. वहीं मणिलाल तुलस्यान को गल्ला व्यवसाय एवं सीताराम शर्मा देशी घी की मिठाई का कारोबार अपना चुके थे. वर्तमान में व्यापक हुआ स्थानीय बाजार को आधारभूत संरचना देने में मारवाड़ी समुदाय के लोगों की कोशिश अब उड़ान भरने लगी है. वर्तमान में शहर के एक से बढ़कर एक शो रुम समाज की बुलंदी को परिभाषित कर रही है. वर्तमान में समाज की नई पीढ़ी चिकित्सा, प्रशासनिक, आर्थिक, वित्तिय, इंजीनियरिंग जैसी महत्वपूर्ण सेवा में अपना योगदान देकर समाज को गौरवान्वित करने का काम कर रही है.
पहचान बने टेकरीवाल
राज्य सरकार में दशकों तक महत्वपूर्ण मंत्रालय का दायित्व संभाल चुके शंकर प्रसाद टेकरीवाल ने राजनीति के क्षेत्र में लगभग तीन दशक तक अपने नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवाया. उन्होंने वित्त, खनन, परिवहन, खाद्य आपूर्ति सहित कई बड़े महकमे में किये गये कार्यों से कोसी क्षेत्र का नाम रौशन किया. वर्तमान में उनके पुत्र व उच्च न्यायालय के अधिवक्ता प्रभाकर टेकरीवाल राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे है.

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