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26 वर्ष पहले ड्राइवर की मौत, फिर नहीं चली कॉलेज की बस

जिले के विभिन्न हिस्सों से बस व टेंपों से आती है छात्राएं सहरसा : जिले के इकलौते अंगीभूत महिला कॉलेज रमेश झा महिला महाविद्यालय में छात्राओं को महाविद्यालय तक आने व वापस घर जाने की कोई सुविधा नहीं है. शहरी क्षेत्र से दूर रहने वाली छात्राओं को यात्री बस व ऑटो से धक्के खाकर कॉलेज […]

जिले के विभिन्न हिस्सों से बस व टेंपों से आती है छात्राएं

सहरसा : जिले के इकलौते अंगीभूत महिला कॉलेज रमेश झा महिला महाविद्यालय में छात्राओं को महाविद्यालय तक आने व वापस घर जाने की कोई सुविधा नहीं है. शहरी क्षेत्र से दूर रहने वाली छात्राओं को यात्री बस व ऑटो से धक्के खाकर कॉलेज आना होता है. सीट नहीं मिलने की स्थिति में अक्सर बस में खड़े-खड़े आना और जाना पड़ता है. फिर भी कॉलेज व विश्वविद्यालय प्रशासन की संवेदनहीनता समाप्त नहीं हो रही है.
नियमित रूप से चलती थी कॉलेज की बस : साल 1973 में स्थापित रमेश झा महिला महाविद्यालय के पास अपना कॉलेज (मेटाडोर) बस थी. यह नियमित रूप से चलती भी थी. कॉलेज बस शहरी क्षेत्र के दूर-दराज इलाकों के अलावे लगभग संपूर्ण जिले से छात्राओं को लाती व पहुंचाती थी. साल 1990 में कॉलेज बस ड्राइवर की मौत के बाद परिसर में खड़ी की गयी बस खड़ी ही रह गयी.
बाद में खड़ी बस पूरी तरह जर्जर व खराब हो गयी. फिर गैराज बना कर उस मेटाडोर को धकेल कर उसमें बंद कर दिया गया. लेकिन उसके बाद कभी कॉलेज प्रशासन ने न तो विवि से ड्राइवर के व्यवस्था की मांग की और न ही कभी दूसरी बस की जरूरत ही बतायी.
सुदूर गांव-देहात से भी पढ़ाई करने आती हैं छात्राएं
महिला कॉलेज की अपनी बस नहीं होने से यहां गांव-देहात से आकर पढ़ने वाली छात्राओं को काफी परेशानी होती है. उन्हें यात्री बस, टेंपो अथवा बैटरी रिक्शा से आना-जाना होता है. जिले के विभिन्न गांवों से आकर पढ़ाई करने वाली छात्राएं बताती हैं कि यात्री बस में अक्सर सीट नहीं मिलने से उन्हें खड़े-खड़े धक्का खाते आना पड़ता है.
उन्हें कभी-कभी फबतियों का शिकार भी होना पड़ता है. बताती हैं कि उस समय बेहद बुरा महसूस करती हैं. लेकिन कॉलेज की क्लास मिस नहीं करने के कारण वह सब कुछ भी झेलना पड़ता है. मालूम हो कि इंटरमीडिएट, स्नातक, बीबीए, बीसीए में जिले के सौरबाजार, पतरघट, महिषी, नवहट्टा, सत्तरकटैया, कहरा, सिमरी बख्तियारपुर, सलखुआ, सोनवर्षाराज सहित अन्य प्रखंड के विभिन्न गांवों की लड़कियां नामांकित हैं और वे नियमित रूप से कक्षाओं में शामिल होती हैं.
कॉलेज बस नहीं होने से छात्राओं को परेशानी
…पदस्थापन के साथ ही विश्वविद्यालय व राज्य सरकार को पत्र भेज कॉलेज बस की अतिआवश्यकता बतायी थी. कोई सकारात्मक जवाब नहीं आया. बस के बिना छात्राओं को परेशानी हो रही है.
डॉ रेणु सिंह, प्रधानाचार्या, रमेश
झा महिला कॉलेज

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