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कीचड़ में चलेंगे, तो पकड़ेंगे बस

बस स्टैंड. रोजाना नौ हजार की वसूली और सुविधा कौड़ियों की भी नहीं बस पड़ाव की स्थिति इतनी नारकीय बनी हुई है कि यात्रियों को बस तक पहुंचना पहाड़ लगता है. चारों ओर कीचड़ ही कीचड़ है. बस भी कीचड़ के बीच ही खड़ी रहती है और यात्रियों को भी कीचड़ में पैर डाल कर […]

बस स्टैंड. रोजाना नौ हजार की वसूली और सुविधा कौड़ियों की भी नहीं

बस पड़ाव की स्थिति इतनी नारकीय बनी हुई है कि यात्रियों को बस तक पहुंचना पहाड़ लगता है. चारों ओर कीचड़ ही कीचड़ है. बस भी कीचड़ के बीच ही खड़ी रहती है और यात्रियों को भी कीचड़ में पैर डाल कर ही बस में सवार होना पड़ता है.
सहरसा : हरसा के मुख्य बस पड़ाव से रोज पटना, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, भागलपुर, कटिहार, पूर्णिया, अररिया, सुपौल, मधेपुरा सहित जिले के कोने-कोने के लिए हजारों बस खुलती है.
इन बसों से नगर परिषद रोज नौ हजार रुपये वसूलती है, लेकिन इतनी उगाही के बाद भी नप कोई भी यात्री सुविधा नहीं दे रहा है. बस पड़ाव की स्थिति इतनी नारकीय बनी हुई है कि यात्रियों को बस तक पहुंचना पहाड़ लगता है. चारों ओर कीचड़ ही कीचड़ है. बस भी कीचड़ के बीच ही खड़ी रहती है और यात्रियों को भी कीचड़ में पैर डाल कर ही बस में सवार होना पड़ता है. बारिश होने की स्थिति में उनकी परेशानी यहां और भी कई गुनी बढ़ जाती है. क्योंकि यहां यात्रियों के लिए न तो कोई शेड है और न ही बैठने के लिए कोई बेंच ही.
गड्ढे से परेशानी
शहर की सबसे अधिक व्यस्त रहने वाली बस स्टैंड की सड़क बिल्कुल जर्जर हो चुकी है. बस स्टैंड के से लेकर प्रशांत सिनेमा के आगे पूरब बाजार मोड़ तक सडक कही से भी चलने लायक नहीं रह गयी है. सड़क पर गड्ढा परेशानी कर रहा है. सड़क की हालत ऐसी है कि यदि थोड़ी भी बारिश हो जाती है तो फिर यह सड़क कही से भी चलने लायक नहीं रह जाता है.
हर ओर कीचड़ का साम्राज्य : रह-रह को हो रही बारिश से बस स्टैंड में कीचड़ का साम्राज्य बन गया है. बस पकड़ने आने वाले यात्रियों को इन कीचड़ की वजह से काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
साथ ही थोड़ी सी चूक से दुर्घटना ग्रस्त हो रहे है. यूं तो पूरा शहर जल जमाव से पीड़ित है लेकिन मुख्य बस अड्डे में कीचड़ के कारण बाहर जाने वाले यात्रियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
टूटी-फूटी है बस स्टैंड की सड़क
बस पड़ाव में यात्रियों के पाने के लिए पानी तक की व्यवस्था नहीं है. रोशनी के लिए एक हाइमास्ट लाइट लगे भी हैं तो उसके आधे से अधिक बल्ब कई महीनों से खराब पड़े हैं. पड़ाव स्थित शौचालय व स्नानागार सुव्यवस्थित स्थिति में है तो वहां तक पहुंचने का कोई मार्ग ही नहीं है. लिहाजा नौबत आने पर लोग बस के पीछे अपना ठिकाना बनाते हैं. बीते वर्ष नप ने गंगजला चौक से बस स्टैंड के अंदर थोड़ी दूर तक सड़क का निर्माण करा कर छोड़ दिया. जबकि उससे आगे पूरे पड़ाव सहित प्रशांत मोड़ तक सड़क के नाम पर सिर्फ गड्ढे ही बचे हुए हैं. रिक्शा, ऑटो या बाइक हिचकोला खाते हुए पहुंचती है. चूंकि यहां पार्किंग की भी कोई व्यवस्था नहीं है. लिहाजा यात्रियों को छोड़ने जाने वाले वाहन वहां पल भर भी नहीं रूक पाते हैं. पश्चिम को पूरब से जोड़ने वाला मुख्य व अति व्यस्त मार्ग होने के कारण वे बैक भी नहीं हो पाते हैं. उन्हें सीधे प्रशांत मोड़ जाना होता है. यात्रियों ने कमिश्नर से नप पर शिकंजा कसने व स्टैंड की दशा सुधारने की मांग की है.

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