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खुल गयी अनुमंडल की सड़कों की पोल

इंद्र देवता की कृपा से पिछले चार दिनों से जम कर हो रही बारिश ने एक ओर जहां चिलचिलाती गरमी से आम लोगों को राहत दी है. वहीं दूसरी ओर पूरे अनुमंडल की सड़कों की पोल खोल कर रख दी है. सिमरी : बारिश का ये असर हुआ कि अनुमंडल की लगभग सभी मुख्य सड़कें […]

इंद्र देवता की कृपा से पिछले चार दिनों से जम कर हो रही बारिश ने एक ओर जहां चिलचिलाती गरमी से आम लोगों को राहत दी है. वहीं दूसरी ओर पूरे अनुमंडल की सड़कों की पोल खोल कर रख दी है.

सिमरी : बारिश का ये असर हुआ कि अनुमंडल की लगभग सभी मुख्य सड़कें कीचड़ से लथपथ हो गयी. वहीं अंदरूनी इलाके की हालत तो और बुरी हो गयी. ड्रेनेज के अभाव में बरसात का पानी सड़कों पर है एवं सड़कों पर गड्ढों में भरा पानी हादसों की आशंका को जन्म दे रहा है. अनुमंडल अंतर्गत मुख्य बाजार, रानीबाग, शर्मा चौक, बलवा हाट, तेलिया हाट, पहाड़पुर आदि की सड़कों पर कीचड़ के कारण पैदल चलना मुश्किल हो गया है.

जलजमाव फुल, जनप्रतिनिधि गुल: अनुमंडल के मुख्य चौक में से एक स्टेशन चौक पर बारिश ने ही जलजमाव की स्थिति उत्पन्न कर दी है. मुख्य चौक की वजह से इस मार्ग पर सदैव यातायात का दबाव रहता है. सड़क की हालत पूरी तरह खस्ता हो चुकी है और रही सही कसर रिमझिम गिरते पानी ने पूरी कर दी है. कीचड़ व गड्ढों से पटा पड़ा यह चौक स्टेशन से उतरने वाले यात्रियों के लिए सिर दर्द बना है. सबसे ज्यादा परेशानी पैदल जाने वाले यात्रियों को होती है.

सड़क बनी नदी…: सिमरी बख्तियारपुर का मुरली चौक तीन दिनों की बारिश में नरक बन गया है. इलाके में रहने वाले लोगों को अपने ही घरों में रहना दुश्वार हो रहा है. सड़कें है नहीं, नालियां बनायी नहीं गयी. आज हालात यह है कि सड़कें ही नालियां बनी हुई है. इस मुख्य सड़क से गुजरना किसी चुनौती से कम नहीं है.

निवासी पिछले कई सालों से मांग तो करते हैं, लेकिन समस्याएं हल नहीं होती और लोग जिम्मेदारों को कोस कर रह जाते हैं. जितेंद्र केशरी ने बताया कि जनप्रतिनिधि सिर्फ चुनावों मे जागते हैं और पांच सालों तक हम परेशानी भुगतते हैं. वहीं मुरली चौक के अलावा शर्मा चौक या शर्मा चौक से सैनी टोला और शर्मा चौक से बस्ती जाने वाली सभी सड़कें अगले तीन महीने तक जलजमाव से फुल रहने की उम्मीद है.

लगातार ऑटो की संख्या में हो रही है वृद्धि, जल्द मिले स्थायी ऑटो पड़ाव

ऑटो चालकों का कहना है कि बेरोजगारी दूर करने के लिये युवा वर्ग ऑटो चला कर जीवन निर्वाह कर रहे हैं. इस कारण एक दशक से ऑटो की संख्या में निरंतर वृद्धि देखी जा रही है. बताया कि पूर्व में इक्के-दुक्के ऑटो का परिचालन होता था. इस कारण पड़ाव की आवश्यकता नहीं पड़ती थी, लेकिन ऑटो व यात्रियों की संख्या में निरंतर बढ़ोतरी होने के कारण समुचित सुविधा युक्त पड़ाव की आवश्यक्ता है.स्थायी ऑटो पड़ाव नहीं रहने के कारण सवारी को बैठाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

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