नाला उड़ाही. बैठक में सात दिनों का दिया गया था समय, तीन दिन शेष
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अब तक शुरू नहीं हुआ काम
नाला उड़ाही. बैठक में सात दिनों का दिया गया था समय, तीन दिन शेष सरकार के निर्देशानुसार 15 मई तक सभी नालों की उड़ाही होनी थी. नहीं हुई. 28 मई की बैठक में सांसद व विधायक के समक्ष नप अधिकारी ने सफाई के लिए सात दिनों का समय दिया था. अब सिर्फ तीन दिन बचे […]
सरकार के निर्देशानुसार 15 मई तक सभी नालों की उड़ाही होनी थी. नहीं हुई. 28 मई की बैठक में सांसद व विधायक के समक्ष नप अधिकारी ने सफाई के लिए सात दिनों का समय दिया था. अब सिर्फ तीन दिन बचे हैं, लेकिन सफाई का काम शुरू नहीं हो सका है. बरसात में स्थिति गंभीर हो जाती है. नाले का पानी घर में घुसता है. लेकिन नगर परिषद अकर्मण्य बना हुआ है.
सहरसा मुख्यालय : बरसात को देखते सरकार ने सभी नगर सरकार को 15 मई तक नालों की उड़ाही करने का निर्देश दिया गया था. लेकिन सहरसा नगर परिषद ने सरकार के निर्देश का अनुपालन नहीं किया. 28 मई को नगर परिषद में सांसद व विधायक की मौजूदगी में हुई नप की बैठक में नप के कार्यपालक पदाधिकारी ने नाले की उड़ाही नहीं कर पाने की बात भी स्वीकारी.
जिस पर स्थानीय विधायक अरुण कुमार ने एक सप्ताह के अंदर शहर के नालों की पूर्ण सफाई कराने का निर्देश दिया था. लेकिन उस कमिटमेंट के चार दिनों बाद भी शहर के किसी नाले की उड़ाही शुरू नहीं की जा सकी है. ऐसे में शेष बचे तीन दिनों में काम पूरी होने की संभावना कहीं से नजर नहीं आती है. लिहाजा इस बरसात शहर का कीचड़मय होना तय है. मुहल्लों का पानी में डूबना तय है.
दुर्गंध करते हैं गंदे नाले
नरक बना दिया गांधी पथ को
वैसे तो नगर परिषद क्षेत्र के सभी नालों ने शहर की स्थिति को नारकीय बना दिया है. उनमें भी गांधी पथ की दुर्दशा अत्यंत शर्मनाक है. यहां के लोगों को अब गांधी पथ का निवासी कहलाने में शर्म महसूस होने लगी है. प्रवेश करते ही सड़क पर बहते नाले का दर्शन होता है तो अंत तक डेढ़ फीट की नाली चार फीट में फैली व उफनाती दिखती है. कमोवेश यही स्थिति कलाली रोड, बनगांव रोड, मारूफगंज, बटराहा व नगर परिषद के कार्यालय वाले वार्ड गंगजला वार्ड नंबर 18, सभापति के वार्ड नंबर 19 और वार्ड नंबर 26 की है. यहां सालों भर दुर्दशा बनी रहती है. लेकिन नप व्यवस्था सुधारने की दिशा में कभी गंभीर नहीं हुआ और न ही उस दिशा में गंभीर होता दिख रहा है.
उफना रहे हैं शहर के सभी नाले
सहरसा नगर परिषद के नालों की स्थिति संभवत: बिहार में सबसे गंदी है. यह स्थिति सिर्फ और सिर्फ नगर परिषद की लापरवाही से बनी हुई है. परिषद में 280 सफाईकर्मियों की नियुक्ति होने और उन्हें साढ़े 17 लाख रुपये का मासिक भुगतान किये जाने के बाद भी सभी नाले उफना रहे हैं.
एक तो नियम के विरुद्ध शहर के 90 फीसदी नाले अनढके हैं. वहीं दूसरी ओर चारों ओर नालों का ओवरफ्लो होकर सड़कों पर बहने का सिलसिला लगातार जारी है. नाले के पानी का घरों में भी प्रवेश बेरोक-टोक जारी ही है. नागरिकों द्वारा की जाने वाली शिकायत का परिषद के पार्षद अथवा अधिकारी पर कोई असर नहीं हो रहा है.
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