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कुमाता को कोस रहे लोग, ममता की छांव देने फैले कई आंचल

बच्चे को किसी भी सूरत में न फेंके, करें सुपुर्द सहरसा सिटी : लड़की को लोग देवी का रूप मानते है. दुर्गापूजा में कुंवारी खिलाने की भी प्रचलन है. जिसमे लोग दुर्गासप्तशती का पाठ भी करते है, जिसमें कहा गया है कि माता कभी कुमाता नहीं हो सकती, भले पुत्र कपूत हो जाये. लेकिन अब […]

बच्चे को किसी भी सूरत में न फेंके, करें सुपुर्द

सहरसा सिटी : लड़की को लोग देवी का रूप मानते है. दुर्गापूजा में कुंवारी खिलाने की भी प्रचलन है. जिसमे लोग दुर्गासप्तशती का पाठ भी करते है, जिसमें कहा गया है कि माता कभी कुमाता नहीं हो सकती, भले पुत्र कपूत हो जाये. लेकिन अब यह गलत साबित हो रहा है. पुत्र के साथ-साथ माता भी कुमाता होने लगी है.
शायद बुधवार की देर शाम सदर अस्पताल रोड में एक झाड़ी में मिली नवजात बच्ची भी उसी कुमाता के द्वारा ठुकरायी गयी बच्ची है. नवजात भले ही अपनी मां के आंचल के प्यार से दूर है, लेकिन उसे पाने के लिये बुधवार की शाम के बाद कई मां का हाथ बढ़ने लगा है. मालूम हो कि अपने एक परिचित से मिलकर वापस लौट रहे शिक्षक कॉलोनी निवासी वार्ड नंबर 23 निवासी अशोक कुमार झा की नजर झाड़ी के समीप कुता की भीड़ पर पड़ी.
इसी दौरान उन्हें नवजात के रोने की भी आवाज सुनायी दी. नजदीक जाकर देखते ही वह दंग रह गये. उन्होंने इसकी सूचना सदर अस्पताल सुधार संघर्ष समिति के मंजीत सिंह को दी. जिसके बाद बच्ची को उठा मामले की जानकारी सदर थानाध्यक्ष संजय कुमार सिंह को दी. सूचना पर पहुंचे सदर थाना के सअनि अरविंद मिश्र सहित पुलिस बल बच्ची को डॉक्टर से दिखा सदर अस्पताल स्थित एनआइसीयू में भरती कराया. जहां उसका इलाज चल रहा है.
न फेंके बच्चे को : किसी भी सूरत में बच्चों को अपने से अलग न करें. यदि विषम परिस्थिति में आप बच्चों को रखने में असमर्थ हैं, तो बच्चों को कहीं फेंके नहीं. बल्कि दत्तक गृह को सौंप दे. दत्तक गृह की प्रबंधक श्वेता कुमारी ने बताया कि शून्य से छह वर्ष तक के बच्चों को सभी सुविधा के साथ रहने की व्यवस्था है.
उन्होंने बताया कि यदि किसी कारणवश कोई अपना बच्चा को संस्थान को सुपुर्द करते हैं तो उनका नाम गोपनीय रखा जायेगा. वहीं कहीं यदि कोई बच्चा कहीं भटक रहा है, तो उसे भी कोई व्यक्ति संस्थान को सूचना देकर सुपुर्द कर सकता है. प्रबंधक श्वेता ने बताया कि सिमराहा में संचालित बालिका गृह में शून्य से 18 वर्ष तक के आयु वर्ग वाली युवती को रखने की व्यवस्था है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में दर्जनों बच्चे संस्थान में है. सभी थानाध्यक्ष बाल कल्याण पदाधिकारी होते हैं. वह भी ऐसे बच्चों को संस्थान में भरती करा सकते है.
गोद लेने की भी है व्यवस्था
दत्तक गृह संस्थान की प्रबंधक ने बताया कि यहां से लोग बच्चे को गोद भी ले सकते हैं. उन्होंने बताया कि किसी बच्चे को परिवार प्रदान करने के इच्छुक दंपति उसे गोद ले सकते हैं. किशोर न्याय अधिनियम 2000 के अंतर्गत भी अनाथ बच्चों को गोद लिया जा सकता है. इसके लिए गोद लेने वाले माता पिता की आय का उचित और नियमित श्रोत होना चाहिए. दंपति में किसी को भी गंभीर बीमारी न हो, आपराधिक रिकार्ड नहीं हो,
दंपति की आयु कुल मिलाकर 90 से अधिक नहीं होनी चाहिए. एकल माता-पिता भी बच्चा गोद ले सकते हैं. प्रबंधक श्वेता ने बताया कि गोद लेने के लिए डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट कारा डॉट एनआइसी डॉट इन पर पंजीकरण करायें. नजदीकी सारा द्वारा गृह अध्ययन रिपोर्ट अपलोड किया जाएगा. काउंसिलिंग के माध्यम से अधिकतम छह बच्चों का विवरण उपलब्ध कराया जाएगा. जिसमें 48 घंटा के अंदर चुनाव करना होगा.
यदि आपको बच्चा पसंद हो गया तो आप अपने पसंद के चिकित्सक से चिकित्सीय परीक्षण करा सकते हैं. कानूनी कार्रवाई प्रारंभ होने के साथ ही आप बच्चे को प्री एडोप्सन में ले जा सकते है. उन्होने कहा कि दतक ग्रहण के अलावे किसी अस्पताल या अन्य संस्थानों या माध्यम से बच्चा गोद न लें. यह कानून की नजर में अपराध है.

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