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प्रकृति मना रही नया साल, यह भारतीय संस्कृति का नया साल है

प्रकृति मना रही नया साल, यह भारतीय संस्कृति का नया साल है ध्यानार्थ : डाक एडिशन के लिए भी………………………………………-स्वामी आगमानंद के नेतृत्व में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के पूर्व निकाली गयी हिंदी नववर्ष जागरण शोभायात्रा- शामिल हुए विभिन्न जिलों के सैकड़ों श्रद्धालुफोटो नंबर : सुरेंद्र जी संवाददाता, भागलपुरअपनी मिट्टी का उपजा हुआ अन्न खाते हैं, अपनी […]

प्रकृति मना रही नया साल, यह भारतीय संस्कृति का नया साल है ध्यानार्थ : डाक एडिशन के लिए भी………………………………………-स्वामी आगमानंद के नेतृत्व में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के पूर्व निकाली गयी हिंदी नववर्ष जागरण शोभायात्रा- शामिल हुए विभिन्न जिलों के सैकड़ों श्रद्धालुफोटो नंबर : सुरेंद्र जी संवाददाता, भागलपुरअपनी मिट्टी का उपजा हुआ अन्न खाते हैं, अपनी संस्कृति में जीते हैं. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर विक्रम संवत्सर पर हिंदी नववर्ष धूमधाम से मनाएं, जो यथार्थ में है. चूंकि जिस प्रकृति में जीते हैं, वह बता रहा है कि नया साल आया है. वृक्ष में नयी कोंपले, नये मंजर आ गये हैं. नये कार्य, नयी प्रगति, नयी दिशा व नयी पद्धति की ओर इसी मौसम में आगे बढ़ते हैं. यह बातें स्वामी आगमानंद ने गुरुवार को जयप्रकाश उद्यान परिसर स्थित योग स्थल में अपने संबोधन में कही. स्वामी आगमानंद ने अपने संबोधन में भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला. इससे पहले मदरौनी से स्वामी आगमानंद के नेतृत्व में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की पूर्व संध्या पर हिंदी नववर्ष जागरण शोभायात्रा निकाली गयी, जो नवगछिया, तेतरी, गंगा पुल, जीरोमाइल, तिलकामांझी चौक होते हुए जयप्रकाश उद्यान पहुंची. यहां पर हिंदी नववर्ष को लेकर लोगों को जागरूक किया गया. इसके बाद फिर सैंडिस कंपाउंड से शाेभायात्रा निकाली गयी, जो कचहरी चौक, घंटाघर, खलीफाबाग चौक, कोतवाली, गोशाला, नया बाजार, बूढ़ानाथ, दीपनगर, आदमपुर, तिलकामांझी चौक होते हुए बरारी स्थित रूप विहार परिसर तक पहुंची. यहां पर स्वामी आगमानंद ने पुन: लोगों को संबोधित करते हुए हिंदी नववर्ष जागरूकता के लिए वक्तव्य प्रस्तुत किया. इसमें उन्होंने कहा कि आज के दौर में लोग जिस तरह से पश्चिमी सभ्यता के प्रति आकर्षित होते जा रहे हैं, भारतीय संस्कृति के हित में नहीं है. एक जनवरी को केवल खाना-पकाना, मारपीट करना आदि कार्य के साथ पिकनिक मनाने तक ही लोग सीमित रह गये हैं. इसका भारतीय सभ्यता संस्कृति में कोई स्थान ही नहीं है. उन्होंने कहा कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर भारत में आज के दिन रामजी का जन्मदिन हुआ. प्रकृति बता रही है कि नया साल आया है. हर साल इस चीज को बढ़ावा देंगे. स्वामी जी ने भजन गाया. इसी दौरान संगीत गुरु शंकर मिश्र नाहर, बलवीर सिंह बग्घा आदि ने भी भजन गाये. जबकि कार्यक्रम की शुरुआत पवन दुबे ने गणेश वंदना से की. इसके बाद प्रो तपेश्वर नाथ रचित पुस्तक प्रकृति के वातायन पुस्तक का लोकार्पण किया गया. लोकार्पण कार्यक्रम में पूर्व डीएसडब्ल्यू डॉ ज्योतिंद्र चौधरी, प्रो नृपेंद्र वर्मा, आमोद मिश्र, गीतकार राजकुमार ने विचार व्यक्त किये. मंच का संचालन रोशन सिंह ने किया, जबकि कार्यक्रम का संचालन मृत्युंजय सिंह गंगा ने किया. इस माैके पर विधायक गोपाल मंडल, जिला परिषद अध्यक्ष सविता देवी, पूर्व विधायक शंकर सिंह, विनय सिंह परमार, मनोरंजन सिंह, शिवशक्ति योगपीठ के अध्यक्ष अनिमेष सिंह, कुंदन सिंह आदि उपस्थित थे.

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