सहरसा नगर : कुसहा त्रासदी के समय बाढ़ पीड़ित लोगों को आश्रय देने के लिए शहर के लोगों ने घरों के दरवाजे भी खोल दिये थे. इसी क्रम में कुछ लोगों ने सरकारी मकानों में भी आश्रय लिया था. समय के साथ जख्म मिटते गये व लोग भी परिवार सहित स्थायी ठिकाने की तरफ कूच […]
सहरसा नगर : कुसहा त्रासदी के समय बाढ़ पीड़ित लोगों को आश्रय देने के लिए शहर के लोगों ने घरों के दरवाजे भी खोल दिये थे. इसी क्रम में कुछ लोगों ने सरकारी मकानों में भी आश्रय लिया था. समय के साथ जख्म मिटते गये व लोग भी परिवार सहित स्थायी ठिकाने की तरफ कूच करने लगे. इसके बावजूद सुपर बाजार स्थित लोक बाजार में तात्कालिक ठहराव को आये कुछ मेहमान सदा के लिए बस ही गये है.
ठहराव ऐसा कि जिन खटालों में दुकानदारों का सामान रखा जाता था वहां भूसा का बोरा नजर आने लगा. अब भूसा बिक्री के प्रमुख स्थल के रूप में सुपर बाजार का यह हिस्सा पहचान बनाने लगा है. शहर में कई बार अतिक्रमण हटाने की कवायद भी हुई, लेकिन भूसे के ढ़ेर में कंपन भी नहीं कर सकी. नतीजतन जिले के बेरोजगारों का सपना तिनके की तरह भविष्य की गोद में उड़ने को विवश है.
बेरोजगारों का सपना था सुपर बाजार : बेरोजगार युवाओं को 1985 में रोजगार के लिए प्लेटफार्म व बाजार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से तत्कालीन डीएम सुरेंद्र प्रसाद के प्रयास व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिंह द्वारा शहर के उत्तरी छोर पर सुपर बाजार का उद्घाटन कर जिले की जनता को एक नायाब तोहफा दिया गया था.
उस समय लगभग 76 लाख रुपये की लागत से सुपर बाजार का निर्माण कराया गया था, जो अपने निर्माण के महज साल भर बाद ही संवरने के बजाय उजड़ने लगा. जिसे बचाने की जहमत जिला प्रशासन सहित किसी राजनैतिक दल या स्वयंसेवी संगठन ने नहीं उठायी. हालांकि बाद के दिनों में कुछेक संगठनों द्वारा इसे कभी-कभार सरकार के सामने तो लाया गया, लेकिन बेअसर रहा.
ध्वस्त होने के कगार पर पहुंचे सुपर बाजार में 85 दुकानें है. जिनमें अधिकांश या तो बंद हो चुकी है या फिर गोदाम के रूप में प्रयुक्त होने लगी है. सुपर बाजार के बंद रहने की वजह से सरकार को प्रति साल लाखों के राजस्व का घाटा भी किराया नहीं आने की वजह से लग रहा है. स्थानीय लोग बताते हैं कि डीएम सुरेंद्र प्रसाद के प्रयास से ही बाजार को बसाया गया था, लेकिन वर्तमान में पदस्थापित अधिकारियों ने बदहाल बाजार को बसाने की जहमत नहीं उठायी है.
कम नहीं, बढ़ता ही गया अतिक्रमण : जीर्णोद्धार के बजाय सुपर बाजार परिसर अतिक्रमणकारियों का कोप भाजन बनता जा रहा है. परिसर के मुख्य द्वारा सहित अंदर के भागों में अतिक्रमण कर कई दुकानें सज गयी है. वहीं परिसर में खुले गैराज की वजह से पहुंच पथ भी जर्जर हो चुका है. बरसात के दिनों में परिसर के ज्यादातर भागों में पानी जमा रहता है. जिस वजह से बाजार में खुली चंद दुकानें भी ग्राहकों का इंतजार करते रहती है.