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स्केच व रंगों के जरिये बच्चों की कल्पना ले रही आकार

स्केच व रंगों के जरिये बच्चों की कल्पना ले रही आकार प्रभात विशेषबच्चों की नहीं, कागज पर दिखती है रंगों की किलकारीचित्रकार राम दे रहे बच्चों को पेंटिंग की शिक्षा दानकुमार आशीष/सहरसा नगरदीदी, देखो परियों की दुनियां से आया है राजकुमार…रागिनी तुम भी देखो जंगल का राजा शेर आया है… उम्र के उस छोटे पड़ाव […]

स्केच व रंगों के जरिये बच्चों की कल्पना ले रही आकार प्रभात विशेषबच्चों की नहीं, कागज पर दिखती है रंगों की किलकारीचित्रकार राम दे रहे बच्चों को पेंटिंग की शिक्षा दानकुमार आशीष/सहरसा नगरदीदी, देखो परियों की दुनियां से आया है राजकुमार…रागिनी तुम भी देखो जंगल का राजा शेर आया है… उम्र के उस छोटे पड़ाव में बच्चे जहां ककहरा भी ठीक से समझ नहीं पातें हैं वैसे में इन मासूमों की पेंटिंग व चित्र कल्पना को परवाज दे रहे हैं. बच्चों की इन रंग बिरंगी दुनियां से रू-ब-रू होने के लिए आपको चित्रकार राम कुमार रमाणी के कुटिया कला मंदिर में आना होगा. प्रतिभा उम्र की नहीं, मार्गदर्शन का मोहताजठंड की ठिठुरन में वयस्क लोगों के हाथ ठीक से काम नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में शहर के चांदनी चौक स्थित काली मंदिर परिसर में बने कला मंदिर में छोटे व नन्हें बच्चों की अंगुलियां बाल मन के स्वप्न को स्केच व पेसिंल के जरिये कल्पना को आकार देकर रंग भरने का काम कर रही है. चित्रकार राम कुमार रमाणी के निर्देशन में बच्चे हाथ में पेंसिल व रंग का उपयोग बड़ी ही शिद्दत के साथ कर रहे है. बच्चों को कल्पनाशील बनाना है लक्ष्यचित्रकार राम के शब्दों में कहे तो बच्चों के अंदर जो कल्पना उभर कर सामने आती है उसमें सारा संसार समाहित होता है. राम बताते है कि पेटिंग का व्यवसायिक महत्व भी है, लेकिन मस्तिष्क में सृजनशीलता का भाव भी जगाता है. जिसका उपयोग लोग कीचन रुम से लेकर खेल के मैदान व अपने कार्यालय तक में करते है. राम कहते है कि छोटे बच्चें मिट्टी के ढेले के सामान ही होते है, उसे जिस रूप ढालना चाहे वह उसी रूप में आकार ग्रहण कर लेता है. राम में है पेटिंग की दिवानगी जिले में दीवाल लेखन से पैटिंग की शुरुआत करने वाले राम कुमार व उनकी संस्था राम आर्ट‍‍स किसी परिचय की मोहताज नहीं है. वर्तमान में फ्लेक्स होर्डिंग का दौर आने के बाद राम ने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने बच्चों को नि:शुल्क शिक्षित करने का बीड़ा उठाया. राम की जीवटता संस्था के छोटे-छोटे मासूम बच्चों की उंगलियों में देखी जा सकती है. स्थानीय ललन तिवारी, रतन गुप्ता, अशोक ठाकुर, जयप्रकाश शर्मा व अनिल मिश्रा बताते हैं कि दो बच्चों से शुरू हुई पेंटिंग कला का कारवां बनता चला जा रहा है. फोटो-पेंटिंग 16- काली मंदिर में पेंटिंग सिखाते राम

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