सहरसा : नगरदशक पूर्व नेपाल के तराई क्षेत्रों में भारतीय मूल के मधेशियों का अपने अधिकारों को लेकर उग्र आंदोलन हुआ था. आंदोलन में 53 मधेशियों को अपनी शहादत देनी पड़ी थी. उक्त बातें हम (छात्र) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चेतन आनंद ने कही. उन्होंने कहा कि उस आंदोलन की प्रमुख शर्त थी कि तराई के 22 जिलों को ले अधिकार संपन्न मधेश प्रदेश बनाया जाये.
उच्च लोक सेवाओं, नौकरशाही और सेना में समानुपातिक हिस्सेदारी मिले. संसद से लेकर निचले निकायों तक पूर्व में हुए पक्षपातपूर्ण परिसिमन को समाप्त कर विधायिका का आबादी के अनुरूप पुर्नगठन किया जाये. लेकिन इस बार नेपाल में लागू नये संविधान में मधेशियों के हक व अधिकार का हनन किया गया है.
जो न सिर्फ अन्यायपूर्ण है बल्कि सदियों से चले आ रहे भारत-नेपाल में रोटी बेटी के संबंधों को समाप्त करने की गहरी साजिश भी है. उन्होंने कहा कि मधेशियों के बीच आक्रोश की वजह नेपाल का रवैया है. अब तक 50 मधेशियों व दो भारतीय नागरिक की मौत हो गयी है. लंबी नाकाबंदी के कारण नेपाल की स्थिति चरमरा गयी है.
स्थित देख हम ज्यादा दिन चुप नहीं रह सकते हैं. भारत सरकार सकारात्मक रवैया अपनाये. दिसंबर के प्रथम सप्ताह में हम नेपाल और बिहार के सीमावर्ती क्षेत्र वीरपुर, जोगबनी, जयनगर, बैरंगनियां और रक्सौल में सभाएं कर मधेशी आंदोलन के समर्थन में सभाएं करेंगे. इसकी शुरुआत 2 दिसंबर को शहर के वीर कुवंर सिंह चौक से की जायेगी.