सहरसा : मुख्यालयमुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनाव से पूर्व किए अपने सात निश्चयों में से पहले निश्चय को पूरा करने की घोषणा कर दी. पहले अप्रैल से राज्य में पूर्ण शराबबंदी की घोषणा कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घर-घर लोगों के हृदय में अपनी जगह बना ली है. खासकर महिलाएं उनकी मुरीद हो गयी हैं.
उन्हें ऐसा लग रहा है कि ईश्वर ने उनकी सबसे बड़ी मनोकामना पूरी कर दी है. उनके मन में सीएम नीतीश कुमार के लिए ईश्वर सा सम्मान दिखने लगा है. वे उन्हें भगवान तुल्य मानने लगी हैं. दूसरी ओर ऐसे पिता की खुशी का भी ठिकाना नहीं है. जिनके जवान बेटों को शराब की बुरी आदत लग गयी है. जिन्हें अपने शांत घर में रोज किच-किच बरदाश्त करने की आदत डालनी पड़ी है. जिन्होंने अपनी आंखों के सामने असमय युवाओं की अरथी उठती देखी है.
सीएम की घोषणा से वे आज से ही खुश हैं. उनके मन में नए सिरे से सपने जगने लगे हैं. उनके मन में समाया खौंफ भी किनारा लगने लगा है. कहा, एक निर्णय-करोड़ बधाईमुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सात निश्चयों में से पूर्ण शराबबंदी के निर्णय से खुश हो विपिन कुमार सिंह ने कहा कि चुनाव पूर्व यह सीएम का चुनावी जुमला मात्र लग रहा था.
लेकिन इस व्यक्ति के मुंह से निकली बात पर कहीं न कहीं भरोसा भी था. पिछले दस वर्षों से ये आधुनिक बिहार के निर्माता के रूप में देखे जा ही रहे थे. एक बार इस घोषणा पर भी विश्वास किया. भगवान का शुक्र है सीएम ने अपने निश्चयों पर शुरुआत शराबबंदी से ही शुरू की. संतोष कुमार ने कहा कि राज्य में शराबबंदी पर पूर्ण प्रतिबंध संभव नहीं दिख रहा था.
क्योंकि सरकार के ही कद्दावर व वरिष्ठ मंत्री ने यह सार्वजनिक रूप से एलान किया था कि उत्पाद विभाग की आमदनी से ही नियोजित शिक्षकों के वेतन में तीन हजार रुपये प्रतिमाह की बढ़ोतरी की गई है. बावजूद नीतीश कुमार ने कोई समझौता नहीं किया. वे धन्यवाद के पात्र हैं. चंदन भारती ने कहा कि विश्वास नहीं हो रहा कि नये वित्तीय वर्ष की शुरुआत से चौक -चौराहे पर खुली शराब की दुकानें नहीं दिखेंगी. क्योंकि अभी शाम ढ़लते ही बाजार रंगीन हो जा रही है.
गाली-गलौज व अपराध की बातें होने लगती है. बाजार निकलना भी दूभर हो गया है. दीपक कुमार ने बताया कि यदि सही में पहले अप्रैल से राज्य में शराब नहीं बिकेगी तो प्रदेश के हर मां-बाप खुशनसीब होंगे.
अपनी अपनी अगली पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित नजर आएगा. विजय कुमार झा ने कहा कि शराब पर अंकुश लगने का सीधा मतलब समाज में सुख, शांति व समृद्धि से है और जब समाज समाज समृद्ध होगा तो राज्य व राष्ट्र का विकास स्वाभाविक है. सिर्फ शराबबंदी से राज्य उंचे मुकाम को हासिल कर सकता है. फोटो- शराब 1- भेजी जा रही तसवीर प्रतीकात्मक रूप से लगा देंगे.