सहरसा : मुख्यालयअंतत: केंद्र सरकार के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को यह आधिकारिक घोषणा कर दी कि जनार्दन का डीएनए गीता के डीएनए से नहीं मिला. जनार्दन को अब वापस घर चले जाना चाहिए. डीएनए नहीं मिलने संबंधी प्रमाण पत्र जनार्दन द्वारा मंत्रालय में उपलब्ध कराये गए पते पर भेज दिया जायेगा. इस धोषणा के बाद लुधियाना में अपने पुत्र के पास रह रहा जनार्दन घर लौटने की तैयारी में जुट गया है.
विदेश मंत्री के सचिव सतीश गुप्ता ने बताया कि 11 वर्ष पूर्व समझौता एक्सप्रेस से भटक कर पाकिस्तान पहुंची भारत की लड़की के संबंध में पाकिस्तानी मीडिया द्वारा खबर दिखाये जाने के बाद भारत के अलग-अलग प्रांतों से पांच दावेदार सामने आए. केंद्र सरकार ने सभी दावेदारों से उनके परिवार की तसवीर मंगायी. जिसे बारी-बारी से पाकिस्तान उच्चायोग को भेजा गया. जहां से तसवीर को उस लड़की के आश्रय स्थल भेजा गया.
उन्होंने बताया कि सहरसा जिले के सलखुआ प्रखंड स्थित कबीराधाप गांव निवासी जनार्दन द्वारा उपलब्ध करायी गयी तसवीर को ही पहचान गीता ने अपना परिवार बताया था. उसी पहचान के आधार पर जनार्दन को दिल्ली बुलाया गया था व गीता को भारत लाने की प्रक्रिया में तेजी लाई गयी. सचिव ने कहा कि मंत्रालय ने पूर्व में ही यह स्पष्ट कर दिया था कि डीएनए जांच में सही पाये जाने के बाद ही गीता को सही परिवार को सौंपा जायेगा. हालांकि भारत वापसी के दिन 26 अक्टूबर को ही गीता ने जनार्दन महतो से मिलने के बाद उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया था.
फिर भी उसक ा डीएनए टेस्ट कराया गया. मिलान नहीं होने पर उनके परिजनों को सूचना दे दी गयी है. दस दिनों तक रहा बिहार निवास में टेस्ट के बाद सरकार की ओर से कोई जबाव नहीं मिलने के बाद भी उसे दस दिनों तक बिहार निवास में रोके रखा गया. उसके बाद वह अपनी पत्नी शांति देवी के साथ अपने बड़े बेटे विनोद के पास लुधियाना चला गया और सहरसा से गए जनार्दन के छोटे पुत्र बलराम महतो, ग्रामीण सुरेश कुमार व कत्थेश्वर महतो भी घर लौट आए थे. फोटो- गीता 25- गीताफोटो- गीता 26- जनार्दन महतो