हीरा होती गीता, तो कबीरा का होता कायाकल्प सड़क, नाला, पेयजल व आवास की समस्या से ग्रस्त है कबीरागीता ने कथित पिता जर्नादन महतो को पहचानने से किया इनकारकुमार आशीष,
सहरसा : नगरबीते 13 वर्षों से पाकिस्तान के लाहौर स्थित ईदी फाउंडेशन में पल बढ़ रही गीता सोमवार को पाकिस्तान एयरलाइंस से सकुशल दिल्ली पहुंच गयी हैं. दिल्ली पहुंचने के बाद गीता को कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था के बीच विदेश मंत्रालय ले जाया गया है. जहां भारत आगमन के बाद होने वाली सभी कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद गीता के पिता होने का दावा करने वाले स्थानीय निवासी जर्नादन महतो से गीता को मिलवाया गया.
लेकिन गीता ने जर्नादन को देखते ही पहचानने से इनकार कर दिया. हालांकि इसके बाद भी विदेश मंत्रालय पूर्व निर्धारित डीएनए जांच की कार्रवाई को पूरी करेगी. इन सबों के बीच गीता के कथित पिता जर्नादन महतो के गांव कबिराधाप के कायाकल्प को लेकर भी शुरु हुई चर्चा पर अचानक विराम लग गया है.
पूर्व में लोगों को विश्वास था कि जर्नादन महतो की बेटी साबित होने पर मीडिया में छाया कबीरा गांव की समस्या भी सरकार व प्रशासन के सामने आयेगी. स्थानीय लोगों ने बताया कि काश जर्नादन महतो की गुम हुई बेटी हीरा ही गीता होती तो कबीरा में मौजूद समस्याओं का समाधान भी हो जाता. फिर धूमिल हुई विकास की उम्मीदगीता को अपनी बेटी बनाने का दावा देश के चार परिवार ने विदेश मंत्रालय के समक्ष किया था. जिसके बाद मंत्रालय द्वारा दावेदारों की तस्वीर पाकिस्तान भेजी गयी थी. जहां गीता ने कबीराधाप के जर्नादन महतों को अपना पिता बताया था. जिसके बाद कबीरा के लोगों में भी खुशी की लहर दौर गयी थी. इसके बावजूद भारत सरकार ने डीएनए जांच के बाद गीता को उसके परिजनों को सौंपने की बात कह कबीरा के लोगों को हैरत में डाल दिया है.
लोगों को उम्मीद थी कि गीता के गांव आने पर सरकार भी क्षेत्र के विकास को लेकर सकारात्मक प्रयास करेगी. सोमवार को गीता ने जर्नादन को देखने के साथ ही पिता होने के दावे को खरिज कर दिया है. पेयजल व सड़क की समस्याजनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक उदासीनता का शिकार बनी कबिरा गांव में पेयजल व सड़क की समस्या विकराल बनी हुई है.
गांव के लोगों को नाव से नदी पार कर शहर तक की दूरी तय करनी पड़ती है. गांव में कच्ची सड़कों पर उड़ती धूल जीवन का हिस्सा बन चुकी है. गांव के अंदर भी चचरी पुल से पार होकर एक जगह से दूसरे जगह तक जाना पड़त है. स्थानीय राजेश, विकास बताते है कि गीता प्रकरण के बाद देश भर की मीडिया व सरकार की नजर गांव की दुर्दशा पर पड़ी थी. लेकिन गीता का हीरा नहीं बनने से समस्या जस की तस रह जायेगी. काश, लौट कर आ जाती हीरागीता प्रकरण में जर्नादन महतो के परिवार सहित हीरा के पुत्र को भी मां से मिलने की उम्मीद दिखने लगी थी. अखबारों में छप रही गीता की तसवीर को वह बालक अपनी समझने लगा था.
वर्षों से खोयी बेटी के वापस आने का इंतजार मां भी करने लगी थी. भाई बलराम को उम्मीद थी कि इस बार भातृ द्वितीया पर बहन जरूर रस्म पूरी करेगी. हीरा से जुड़े ग्रामीण भी गांव का कायाकल्प को लेकर सपने संजोने लगे थे. इधर दिल्ली में गीता के पहचानने से इंकार करने के बाद सभी स्तब्ध हो चुके है. फोटो- गीता 6- जर्नादन महतो की बेटी हीरा फोटो- गीता 7-कबिरा गांव के अंदर भी चचरी पुल का सहाराफोटो- गीता 8- नाव ही हैं आवागमन का सहारा