मधेपुरा : समकालीन हिंदी कविता के सशक्त हस्ताक्षर बिहार प्रलेस से संबंध मधेपुरा निवासी डा अरविंद श्रीवास्तव ने लोक नायक जय प्रकाश नारायण की 113 वीं जयंती अवसर पर मधेपुरा में किसी भी राजनीतिक या गैर राजनीतिक संगठनों द्वारा जेपी को याद नहीं करने पर क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा है
कि जिस जननायक समाजवादी विचारधारा को उभार कर चार पीढ़ियों को अन्याय के खिलाफ आंदोलित और प्रेरित किया. ऐसे राष्ट्र नायक की उपेक्षा समाजवादी धरती के रूप में प्रसिद्ध मधेपुरा में कतई संभव नहीं था.
जेपी से जुड़ी यादों को साजा करते हुए उन्होंने कहा कि कोसी क्षेत्र से जय प्रकाश जी का विशेष लगाव था. स्वाधीनता आंदोलन में ब्रिटिश सत्ता के विरूद्ध जयघोष करने जयप्रकाश जी जब नेपाल प्रवास पर जा रहे थे तो मधेपुरा से हो कर गुजरे थे.
1975 में अपातकाल के दौरान भी उनका मधेपुरा आगमन हुआ था. इस दौरान में इमरजेंसी के दौरान मीडिया और लोकतंत्र को समाप्त करने की साजिश चल रही थी. जय प्रकाश जी ने मधेपुरा की समाजवादी धरती पर युवाओं में नई उर्जा का संचार किया. उनके आहवान पर संपूर्ण देश इमरजेंसी रूपी गुलामी से मुक्त हो पाया था.
इस दौरान मधेपुरा के रासबिहारी स्कूल के मैदान पर जयप्रकाश जी ने संपूर्ण क्रांति का नारा देते हुए युवाओं को व्यवस्था बदलने में अपनी अपनी भूमिका तय करने का आहवान किया था.
सन 1942 में स्वाधीनता आंदोलन के दौरान कोसी इलाके के साथियों के साथ नेपाल स्थित ‘ बकरे का टापू ‘ शिविर पर गुप्त बैठक कर बिहार के स्वतंत्रता आंदोलन की रूप रेखा तय की जाती है. जेपी के लहर को देखते हुए अंग्रेजी शासक इनके कार्यकलाप पर खुफिया निगरानी रखते थे.
कोसी क्षेत्र विशेष कर मधेपुरा के कई स्वतंत्रता सैनानी जेपी के सानिध्य में स्वाधीनता का स्वप्न देख रहे थे. नेपाल में जेपी की गिरफ्तारी फिर कैद खाने से भागने में मधेपुरा के कई लोगों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया.
पुन: मधेपुरा के रास्ते उन्होंने अपने सफर को आगे बढ़ाया. डॉक्टर अरविंद श्रीवास्तव ने जेपी के 113 वीं जयंती पर मधेपुरा सभी साहित्यकार, लेखकों और बुद्धिजीवियों के ओर से जननायक जेपी को नमन किया एवं श्रद्धांजलि अर्पित की.