कर्मियों के वेतन से काटी गयी फर्जी भुगतान की राशि फोटो- कैंपस कैप्शन- विवि गेट का फोटो दे बीएनएमयू: शिक्षा विभाग के फर्जी आदेश से हुआ था तृतीय वर्गीय कर्मियों का भुगतान राशि रिकवरी होने से विवि प्रशासन ने ली राहत की सांस कुलपति डाॅ विनोद कुमार की सजगता से बच गयी विवि की लाखों की राशि प्रतिनिधि, मधेपुराभूपेंद्र नारायण मंडल विवि में शिक्षा विभाग के फर्जी आदेश के आधार पर हुए भुगतान की राशि का संबंधित कर्मियों के वेतन मद से समायोजन कर लिया गया है. जानकारी के अनुसार शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव के नाम से विवि को प्राप्त फर्जी पत्र के आधार पर पांच दर्जन से अधिक कर्मियों का भुगतान किया गया था. इन कर्मियों को माह मार्च व अप्रैल का भुगतान फर्जी पत्र के निर्देश पर विवि प्रशासन ने कर दिया. हालांकि प्रभात खबर के 25 जून के अंक में प्रथम पेज पर प्रधान सचिव के फर्जी आदेश से बीएनएमयू को लाखों का चूना शीर्षक खबर प्रकाशित होते ही विवि प्रशासन समय रहते सजग हो गयी. कुलपति डाॅ विनोद कुमार ने खबर पर संज्ञान लेते हुए प्राथमिकी दर्ज कर फर्जी आदेश पर हुए भुगतान की राशि को अविलंब राशि रिकवरी करने का निर्देश दिया था. शिक्षा विभाग द्वारा फर्जीवाड़ा के मामले में प्राथमिकी दर्ज कराने से विवि प्रशासन ने प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई को स्थगित कर दिया. इस संबंध में विवि प्रशासन ने शिक्षा विभाग को पत्र जारी कर वास्तु स्थिति से अवगत कराया. शिक्षा विभाग को जारी पत्र में कहा गया कि समाचार पत्रों में छपी खबर के आधार पर मालूम हुआ है कि फर्जीवाड़े के मामले में पटना में प्राथमिकी दर्ज हुई है, अगर प्राथमिकी सही में दर्ज हुई है तो वह किस थाना में और कब दर्ज हुई. इसके बाद ही विवि प्रशासन प्राथमिकी दर्ज कराने की प्रक्रिया अपनायेगी. मई के वेतन से किया गया राशि का समायोजन विवि में पांच दर्जन से अधिक कर्मियों को मार्च व अप्रैल माह का वेतन अधिक दिया गया था. इस राशि का समायोजन मई माह के वेतन से कर लिया गया. समायोजन के उपरांत ही मई माह का भुगतान कर्मियों को किया गया. वहीं विवि सूत्रों की माने तो समायोजन की गयी राशि लाखों में बतायी जा रही है. विवि की बच गयी लाखों की राशि विवि में शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आर के महाजन के फर्जी आदेश पर 70 कर्मियों को वेतन का भुगतान कर दिया गया था. इस भुगतान के कारण विवि को लाखों का चपत लग सकता था, लेकिन कुलपति डाॅ विनोद कुमार ने फर्जी भुगतान के मामले को गंभीरता से लेते हुए त्वरित कार्रवाई शुरू दी. इससे विवि की लाखों की राशि बच गयी. भीम राव आंबेडकर विवि मुज्जफ्फरपुर को लगा चूनाशिक्षा विभाग के प्रधान सचिव के फर्जी हस्ताक्षर से जारी पत्र बीएन मंडल विवि के अलावा मगध विवि बोध गया, तिलका मांझी विवि भागलपुर, ललित नारायण मिथिला विवि दरभंगा, पटना विवि पटना, भीमराव आंबेडकर विवि मुज्जफ्फरपुर, जेपी विवि छपरा व कामेश्वर सिंह संस्कृत विवि दरभंगा को भी भेजा गया था. जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के पारित न्यायादेश के अनुपाल के लिए राज्यादेश पत्रों के आलोक में विवि, महाविद्यालय अंतर्गत अनुकंपा आधार पर कार्यरत सभी सहायक लिपिक कर्मी को 01.04.1997 के प्रभाव से 4000-6000 का वेतनमान स्वीकृत किये जाने की बात कही गयी थी. इस फर्जी आदेश ने भीम राव आंबेडकर विवि मुज्जफ्फरपुर को लाखों का चूना लगाया था. वहां भी दर्जनों कर्मियों का भुगतान कर दिया गया था.समीक्षा के दौरान हुआ फर्जीवाड़ा का खुलासा भूपेंद्र नारायण मंडल विवि के वित्त पदाधिकारी हरकेश नारायण सिंह, बजट सह लेखा पदाधिकारी डाॅ अरुण कुमार मिश्रा व निशिकांत झा 19 जून 15 को पटना गये थे. वहां विवि के सत्र 2015-16 के प्रस्तावित बजट की समीक्षा होनी थी. बजट समीक्षा के दौरान विवि के अधिकारियों ने प्रधान सचिव के फर्जी हस्ताक्षर से जारी आदेश पत्र को प्रस्तुत किया. मौके पर देखा गया कि फर्जी पत्र शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आर के महाजन के फर्जी हस्ताक्षर से सूबे के सभी विवि को निर्गत किया गया है. रजिस्ट्रड डाक से विवि को मिला था फर्जी पत्र शिक्षा विभाग से 09 मई 15 को प्रधान सचिव के फर्जी हस्ताक्षर से जारी पत्र बसंतपुर पीओ में 12 मई को रजिस्टर्ड डाक से भूपेंद्र नारायण मंडल विवि को भेजा गया था. यह पत्र 13 मई को विवि प्रशासन ने रिसीव कर लिया. इस पत्र के आलोक में 20 मई को विवि प्रशासन ने अग्रतर कार्रवाई शुरू कर दी. हालांकि 19 मई को ही दर्जनों कर्मियों ने सरकार द्वारा निर्गत पत्र के निर्देशानुसार वेतन भुगतान सुनिश्चित करने की मांग कुलपति से की. कर्मियों के मांग पर विवि प्रशासन ने भुगतान की दिशा में कार्रवाई शुरू कर दी. शिक्षा विभाग ने दर्ज करायी प्राथमिकी बजट समीक्षा के दौरान पटना में इस बात का खुलासा होतेे ही शिक्षा विभाग हरकत में आ गया. शिक्षा विभाग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सचिवालय थाना में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी. गौरतलब है कि फर्जी पत्र के आधार पर विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में कर्मियों का भुगतान तो हो गया, अगर समय रहते शिक्षा विभाग सजग नहीं होती तो सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लग सकता था. हालांकि शिक्षा विभाग ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए सूबे के सभी विवि को पत्र जारी कर इस आदेश को फर्जी करार दिया.
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कर्मियों के वेतन से काटी गयी फर्जी भुगतान की राशि
कर्मियों के वेतन से काटी गयी फर्जी भुगतान की राशि फोटो- कैंपस कैप्शन- विवि गेट का फोटो दे बीएनएमयू: शिक्षा विभाग के फर्जी आदेश से हुआ था तृतीय वर्गीय कर्मियों का भुगतान राशि रिकवरी होने से विवि प्रशासन ने ली राहत की सांस कुलपति डाॅ विनोद कुमार की सजगता से बच गयी विवि की लाखों […]
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