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मंत्रों के सहारे लिखेंगे विजय की इबारत

मंत्रों के सहारे लिखेंगे विजय की इबारत नीम-करौली बाबा के पास भी जायेंगे प्रत्याशी बंगलामुखी पूजा व रूद्राभिषेक पर विशेष ध्यान कोसी में प्रत्याशी देवताओं के पूजा अर्चना में हो रहे लीन विष्णु स्वरूप / सहरसा नेताओं के घर से उठता हवन का धुआं जहां आध्यात्मिक तौर से जीत के लिए इन नेताओं को मानसिक […]

मंत्रों के सहारे लिखेंगे विजय की इबारत नीम-करौली बाबा के पास भी जायेंगे प्रत्याशी बंगलामुखी पूजा व रूद्राभिषेक पर विशेष ध्यान कोसी में प्रत्याशी देवताओं के पूजा अर्चना में हो रहे लीन विष्णु स्वरूप / सहरसा नेताओं के घर से उठता हवन का धुआं जहां आध्यात्मिक तौर से जीत के लिए इन नेताओं को मानसिक संतुष्टि प्रदान कर रहा है, वहीं दूसरी ओर सुबह के मुहूर्त का ध्यान रख नेताजी रोज सुबह चुनावी सभा में जाने को तैयार हो रहे हैं. मालूम हो कोसी के इलाके में विधानसभा का चुनाव पांचवें चरण में होगा. आठ अक्तूबर से नामांकन शुरू हो गया है. जबकि नाम वापसी की तिथि 18 अक्तूबर रखी गयी है. चुनावी गणना के बीच प्रत्याशी व उनके समर्थकों द्वारा टोना टोटका सहित पूजा पाठ पर इन दिनों अत्यधिक ध्यान दिया जा रहा है. उच्चारण, अभिषेक शुरू नेताओं ने अपनी जीत को सुनिश्चित करने के लिए लगातार पंडितों के संपर्क में हैं. पंडित उन्हें बंगलामुखी का जाप सहित महामृत्युंजय के जाप करने का भी सलाह दे रहे हैं. शहर स्थित एक नेता को उनके राशि के हिसाब से शिव का रुद्राभिषेक करने को कहा गया है. जिससे उनकी विजय सुनिश्चित हो सके. सोनवर्षा से लड़ने वाले एक प्रत्याशी को यहां नामांकन से पहले बंगलामुखी जाप से विरोधियों को वश में किये जाने का प्रयास शुरू हो गया है. पंडित बलराम झा का कहना है कि विरोधियों को परास्त करने के लिए बंगलामुखी मंत्र का जाप अभिष्ट सिद्धि प्रदान कर हर क्षेत्र में विजय दिलाता है. पहली बार चुनाव लड़ रहे एक प्रत्याशी नीम करौली बाबा, कैचीधाम, देहरादून में बाबा के दरबार में माथा टेकने जायेंगे. पूछने पर बताते हैं कि उन्हें ज्ञात हुआ कि फेसबुक और ह्वाट्सएप के निदेशक ने भारत आकर कैचीधाम की यात्रा की और सफल हुए. वे भी सफल होने पर ऐसा अवश्य करेंगे. इंजीनियरिंग से स्नातक प्रत्याशी इसे अंधविश्वास नहीं मानते, वे इसे प्रेरणा और आस्था का विषय मानते हैं. पंडितों द्वारा शुभ मुहूर्त नामांकन की तिथि पांचवें चरण में 15 अक्तूबर तक तय की गयी है. 16 तारीख को नाम वापसी का दिन है. 12 अक्तूबर को पितृपक्ष की समाप्ति के बाद 13 अक्तूबर को शारदीय नवरात्र के आरंभ को सर्वाधिक शुभ मुहूर्त मानते हैं. 14 अक्तूबर को कुमारी पूजन के बाद का समय अभिष्ट फल दायक माना गया है. पंडित शंकर भरोस झा कहते हैं कि नौ अक्तूबर को गुड़ खाकर नामांकन के लिए प्रस्थान करें. 12 अक्तूबर को पार्वण के बाद का समय उपयुक्त माना गया है. पंडित बताते हैं कि 12 अक्तूबर से बेल के पेड़ को देखकर यात्रा करने वाले नेताओं को बाधाओं से मुक्ति मिलेगी. विश्वास या अंधविश्वास की बात नहीं मानते हुए अधिकांश प्रत्याशी इसे आस्था की बात मानते हैं. वे कहते हैं कि पूजा अर्चना द्वारा मानसिक संबल प्राप्त होता है. वे दुगुनी ताकत से अपने विरोधियों को परास्त करने में जुड़ जायेंगे. अभी यूं तो नामांकन शुरू नहीं हुआ है. लेकिन, दशहरा में 10 दिन संपूर्ण दुर्गा सप्तमी का पाठ कमोबेश सभी प्रत्याशियों के यहां तय हो चुके हैं. नामांकन के साथ ही विशेष पूजाएं भी शुरू हो जायेगी.

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