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वित्त मंत्री करेंगे समारोह का उदघाटन

प्रभात खबर के बुधवार के अंक में ‘अब तक आमंत्रण कार्ड का नहीं हुआ वितरण’ प्रकाशित होने के बाद जिला प्रशासन ने शाम से कार्ड बंटवाना शुरू किया. आमंत्रण पत्र के अनुसार तीन दिवसीय उग्रतारा महोत्सव का उदघाटन राज्य सरकार के वित्त मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव करेंगे. भूमि सुधार व राजस्व मंत्री समारोह के मुख्य […]

प्रभात खबर के बुधवार के अंक में ‘अब तक आमंत्रण कार्ड का नहीं हुआ वितरण’ प्रकाशित होने के बाद जिला प्रशासन ने शाम से कार्ड बंटवाना शुरू किया. आमंत्रण पत्र के अनुसार तीन दिवसीय उग्रतारा महोत्सव का उदघाटन राज्य सरकार के वित्त मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव करेंगे. भूमि सुधार व राजस्व मंत्री समारोह के मुख्य अतिथि व पर्यटन मंत्री डॉ इकबाल अंसारी विशिष्ट अतिथि होंगे. महोत्सव के तीनों दिन स्थानीय कलाकारों की प्रस्तुति होगी व रात में आमंत्रित कलाकार अपनी सुरों से महफिल सजायेंगे. आमंत्रण पत्र के अनुसार शुक्रवार की शाम मैथिली की प्रसिद्ध गायिका शारदा सिन्हा, शनिवार को भोजपुरी गायिका देवी व अंतिम दिन रविवार की रात गलज सम्राट चंदन दास की प्रस्तुति होगी.

नीतीश का उद्देश्य नहीं हो पाया पूरा. भगवती उग्रतारा व महामीमांसक मंडन मिश्र की महिमा को विश्वस्तर तक पहुंचाने के लिए शुरू किया गया महोत्सव तीसरे वर्ष ही दम तोड़ता नजर आ रहा है. सरकारी उपेक्षा व प्रशासनिक शिथिलता के कारण महोत्सव आयोजन स्थल पर भी नहीं फैल पा रहा है. अब जब तीन दिवसीय महोत्सव का उदघाटन शुक्रवार को होना है, तब भी प्रचार-प्रसार की कहीं कोई व्यवस्था नहीं की गई है. पूरे गांव सहित जिला मुख्यालय में कहीं कोई होर्डिग्स, कहीं किसी पोस्टर पर नजर नहीं पड़ रही है. यह समझ से परे है कि राजकीय महोत्सव का दर्जा पा चुके इस अति महत्वपूर्ण कार्यक्रम के प्रति प्रारंभ से ही राज्य सरकार व जिला प्रशासन इतना सुस्त क्यों बना रहा. हालांकि, स्वयं पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सेवा यात्र के क्रम में महिषी पहुंच व वहां के महत्वों को जान महोत्सव के आयोजन की घोषणा की थी. साल 2012 के पहले आयोजन में उन्होंने स्वयं महोत्सव का उदघाटन भी किया था. उग्रतारा महोत्सव की तिथि भी नवरात्र की द्वितीया से तय ही रहती है.
बेकार रही महोत्सव की सभी बैठकें. उग्रतारा महोत्सव के आयोजन में प्रशासन द्वारा शुरू से बरती जा रही लापरवाही पर महिषी के ग्रामीणों में रोष है. साथ ही महोत्सव के लिए बनी अलग-अलग समितियों के सदस्यों में भी नाराजगी है. वे कहते हैं कि जिला प्रशासन ने तीन दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम, दो दिवसीय सेमिनार पर बैठक दर बैठकें तो की, लेकिन सदस्यों की राय व बैठक में लिए गये सभी प्रस्तावों को अंतिम रूप से दरकिनार कर मनमानी ही की है. गांव के प्रो मदन मोहन ठाकुर ने कहा कि जिला प्रशासन ने महिषी की गरिमा को धूमिल करने का कुछ निर्णय लिया है. उन्होंने समिति सदस्यों को भी इसके लिए दोषी ठहराया है. सुशांत पाठक कहते हैं कि महोत्सव के बहाने गांव में विकास कार्य होना चाहिए. ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. यह सिर्फ नाच-गाने का आयोजन बन कर रह गया है. वहीं प्रेमानंद चौधरी ने कहा कि सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन में ईलता व फूहड़ता को दूर नहीं रखा गया तो आद्यादेवी तारा की भूमि कलंकित हो जायेगी. ग्रामीण अनंत चौधरी ने कहा कि प्रशासन ने सेमिनार का महत्व देते इसे दो दिवसीय करने की बात कही थी. लेकिन अंतिम समय में एक दिन का करने की घोषणा महिषी संस्कृति का अपमान ही है.

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