सहरसा : एक तरफ जहां स्वच्छता को लेकर कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. वहीं जिला मुख्यालय के सब्जी बाजार स्थित बड़ी दुर्गा मंदिर पूजा अर्चना के लिए भक्तों का जाना किसी परीक्षा से कम नहीं है.
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अतिक्रमण व जलजमाव से लोग परेशान
सहरसा : एक तरफ जहां स्वच्छता को लेकर कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. वहीं जिला मुख्यालय के सब्जी बाजार स्थित बड़ी दुर्गा मंदिर पूजा अर्चना के लिए भक्तों का जाना किसी परीक्षा से कम नहीं है. स्थानीय लोगों ने बताया कि मंदिर में चांदनी चौक, रेलवे कॉलोनी, बटराहा, कहरा, रिफ्यूजी कॉलोनी सहित आसपास के […]
स्थानीय लोगों ने बताया कि मंदिर में चांदनी चौक, रेलवे कॉलोनी, बटराहा, कहरा, रिफ्यूजी कॉलोनी सहित आसपास के दर्जनों लोग प्रतिदिन पूजा अर्चना करने आते हैं.
श्रद्धा का केंद्र बड़ी दुर्गा मंदिर जाने के लिए भक्तों को कई परेशानियों से गुजरना पड़ता है. भक्तों को अतिक्रमण, सड़क पर जलजमाव व बाजार में ग्राहक व व्यवसायियों के लिए न ही सार्वजनिक ओर न ही निजी स्तर पर शौचालय की व्यवस्था होने के कारण लोग सड़क पर खड़े होकर ही पेशाब करने लगते हैं.
जिसके कारण भक्तों को काफी परेशानी होती है. लोगों ने कहा कि कई बार इन समस्याओं की तरफ जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया गया, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ. जिसका परिणाम है कि लोग वर्षो से इस परेशानी से जूझ रहे हैं.
सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति बदतर : गांधी जयंती के दिन देश के प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत करते साफ -सफाई को देश की सवा सौ करोड़ जनता का दायित्व बताया था. पीएम के अनुसार सफाई की जिम्मेदारी जनता, नेता, अधिकारी व कर्मचारी सबकी है.
शुरुआती दौर में जनता, जनप्रतिनिधियों के साथ सरकारी अफसर भी झाड़ू थाम सड़कों पर उतरे. लेकिन बाद में अधिकारी कर्मचारी स्वयं को इस सवा करोड़ के आंकड़ों से अलग समझने लगे. तभी तो साफ -सफाई को लंबे समय तक का अभियान बनाने की दिशा में वे प्रतिबद्ध नजर नहीं आ रहे हैं.
सरकारी अफसरों की लापरवाही व लालफीता शाही के कारण ही प्रमंडलीय मुख्यालय के अधिकतर सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति बदतर है. लिहाजा लोगों को शौच के लिए जंगल, रेल की पटरी, खेतों की ओर या सड़कों के किनारे जाना होता है.
फैल रहा दुर्गंध व प्रदूषण: सुबह-सुबह इस मार्ग के अलावे गांधी पथ, महिला कॉलेज रोड, कलेक्ट्रेट रोड, हवाई अड्डा रोड, सराही, बेंगहा, बख्तियारपुर रोड सहित अन्य मार्गों से गुजरना मुश्किल होता है.
इन रास्तों पर लोटा, बोतल लेकर शौच के निकले या बैठे लोग दिख जाते हैं. इन सड़कों पर शाम के बाद भी यही स्थिति होती है. शौच के कारण इन मार्गों के ईद-गिर्द पूरा इलाका दुर्गंध व प्रदूषण से प्रभावित होता है.
बंद पड़े हैं अधिकतर शौचालय: जिला मुख्यालय के अधिकतर सार्वजनिक शौचालयों के बंद होने के कारण ही लोगों को शौच के लिए इधर उधर जाना होता है. सुपर बाजार में कला भवन के बगल में बना शौचालय वर्षों से बंद है.
थाना चौक स्थित सार्वजनिक शौचालय व सदर अस्पताल परिसर का 20 सीटों वाला शौचालय भी दम तोड़ चुका है. शौचालय की सफाई से पहले नाले व टैंक की मरम्मत की भी जरूरत है. थोड़ी सी बारिश में मल बाहर निकल तैरने लगता है. कलेक्ट्रेट के सामने बने सुलभ शौचालय में भी गंदगी का ही साम्राज्य है.
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