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सहरसा : आदेश पर आदेश के चक्कर में लटका है ओवरब्रिज निर्माण
सहरसा : शहर में जाम की समस्या हो या ओवरब्रिज की समस्या, इस पर किसी विभाग को कोसना शायद अब गलत होगा. वैसे जाम को लेकर हर दिन कोई ना कोई समस्या उत्पन्न होती रहती है. घंटों जाम में फंस कर लोग अपने कार्यों को पूरा नहीं कर पाते. गंगजला ढाला इस शहर का सबसे […]
सहरसा : शहर में जाम की समस्या हो या ओवरब्रिज की समस्या, इस पर किसी विभाग को कोसना शायद अब गलत होगा. वैसे जाम को लेकर हर दिन कोई ना कोई समस्या उत्पन्न होती रहती है. घंटों जाम में फंस कर लोग अपने कार्यों को पूरा नहीं कर पाते. गंगजला ढाला इस शहर का सबसे व्यस्त मार्ग माना जाता है.
बस पड़ाव नजदीक होने के कारण यहां से काफी बसों का आवागमन होता है. साथ ही मुख्य बाजार में स्थित होने के कारण इस सड़क पर शहरवासियों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों का भी आवागमन काफी होता है. लोगों का मानना है अब इस तरह की जाम में ज्यादा समय तक रहने के बाद गाड़ी से निकलने वाले धुंआ से दम घुटने लगता है. इस से बचने का एकमात्र विकल्प है ओवरब्रिज.
17 वर्षों से बनी है समस्या
ओवरब्रिज की समस्या इस शहर में 17 वर्षों से लटकी पड़ी है. ना जाने कितनी बार शिलान्यास होने के बाद भी कौन सी जाल में फंसा है ओवरब्रिज किसी को नहीं पता है. जानकारी के अनुसार एक तरफ ओवरब्रिज को लेकर जिस समय रेलवे तैयार थी तो वहीं उस वक्त एनएचएआई तैयार नहीं थी. उसके बाद जब एनएचएआइ तैयार हुई तब शहर के बड़े राजनीतिज्ञों ने इस पर अपना सियासी खेल खेलना शुरू कर दिया. बड़े मंत्री व नेताओं के बीच फंसी ओवरब्रिज की समस्या का हल अब तक नहीं हो पाया है. पिछले वर्ष के अंत में इस कार्य को पुल निगम के हाथों सौंप दिया गया. पुल निगम द्वारा लगभग सर्वे भी पूरा कर लिया गया.
लेकिन आने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर या सही मायनों में कहा जाय तो फिर से सियासी दांव पेच में फंस कर रह जायेगा ओवरब्रिज का मुद्दा. जाम में फंसे लोगों ने कहा कि इस शहर का विकास नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है. यहां की जनता शहर के विकास के लिए तरसती है.
यहां के लोग विकास के लिए विभाग को गालियां देते हैं. यहां तक कि लोग विभाग में घुस कर तोड़ फोड़ कर निकल लेते हैं. सरकार की लाखों, करोड़ों की संपत्ति नष्ट कर देते हैं. लेकिन विभाग चुप्पी साधे रहती है. विभाग करे भी तो क्या करे. कोई भी विभाग चाहकर भी लोगों की जिद को पूरा नहीं कर सकती है. विभाग से ऊपर मंत्री का आदेश, मंत्री के उपर सरकार का आदेश और सरकार का जितना आदेश उतना ही कार्य.
जाम की समस्या अब भी है बरकरार
जाम को लेकर कुछ भी कहना अब मूर्खता होगी. समय के साथ जाम की समस्या भी विकराल होती जा रही है. जबकि जाम की समस्या वर्षों पुरानी समस्या है. लोगों द्वारा कुछ वर्षों से इस समस्या से निबटने के लिए मुहिम तो शुरू की गयी. लेकिन अफसोस उनकी मुहिम को इस शहर के कुछ बड़े लोग अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने के कारण समस्या का महाजाल उत्पन्न कर दिया. पिछले एक वर्षों में बढ़े महाजाम के कारण इस शहर की दुर्दशा हो गयी है.
वैसे जाम का मुख्य कारण यह भी है कि शहर के चारों ओर अंदर व बाहर अतिक्रमण है. शहर के अंदर सड़क किनारे अतिक्रमणकारियों के कारण भी जाम की समस्या हमेशा बनी रहती है. शहर में प्रशासन को सुधि लेने की जरूरत है. सड़क के दोनों ओर अवैध अतिक्रमण को हटा कर पार्किंग बनाने की जरूरत है. शहर में कहीं भी पार्किंग की कोई सुविधा नहीं है. जिसके कारण यहां के लोग सड़कों पर ही अपनी वाहन खड़ी कर देते हैं और जाम की समस्या उत्पन्न कर देते हैं.
शहर में जहां एक तरफ रेलवे की विस्तारीकरण से शहर का विकास हो रहा है. वहीं दूसरी तरफ रेलवे द्वारा अपने कार्य को लेकर दिनभर गुमटी बंद करने व खोलने के कारण शहर में जाम की समस्या और भी विकराल होती जा रही है. जाम के कारण पहले लोग दबी जुबान से कोसते थे. लेकिन अब जाम में फंसे लोग खुलेआम कोसते नहीं थक रहे है. लोगों का कोसना भी वाजिब है. जो जाम में फंसते हैं वही अन्य की पीड़ा भी समझ सकते हैं.
अभी तो इस समस्या से जूझते लोग कोसने तक ही सीमित हैं. आने वाले समय में जाम में फंसे लोगों के आक्रोश को झेल पाना यहां के पदाधिकारियों के लिए कहीं मुश्किल ना पैदा कर दे. जाम की समस्या से बाहर निकलने के लिए यहां के वरीय पदाधिकारियों को एक ठोस कदम उठाना होगा. जिससे इस शहर की जनता को जाम जैसी मुश्किल समस्याओं से निजात मिल सके. जाम की समस्या इस शहरवासियों के लिए बहुत बड़ी जनसमस्या है.
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