कुमार मनीष
सहरसा : जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष मधेपुरा से लोकसभा प्रत्याशी शरद यादव की हार पार्टी के लिए गहन अध्ययन का विषय है. वैसे तो पूरे राज्य में जदयू का प्रदर्शन बेहद खराब रहा. लेकिन मधेपुरा की सीट पर बार-बार समीक्षा करने की आवश्यकता है. क्योंकि सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वयं दस दिनों तक कैंप कर चुनावी गतिविधियों पर निगरानी की थी. इसके अलावे राज्य सरकार के कई विशिष्ट मंत्रियों ने भी इस लोकसभा क्षेत्र में जम कर प्रचार-प्रसार किया था.
वोट बैंक पर पकड़ रखने वाले सूबे के ऊर्जा मंत्री कद्दावर नेता बिजेंद्र प्रसाद यादव, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह, अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण मंत्री जीतन राम मांझी, विधि मंत्री नरेंद्र नारायण यादव, ग्रामीण विकास मंत्री नीतीश मिश्र, छातापुर विधायक नीरज कुमार बबलू, सिंहेश्वर विधायक रमेश ऋषिदेव, मोहद्दीनगर के बागी भाजपा विधायक राणा गंगेश्वर सिंह, समता पार्टी के संस्थापक सदस्य एनके सिंह ने न सिर्फ कैंप किया. बल्कि अपने प्रभाव वाले गांवों में घूम-घूम कर लोगों को नीतीश कुमार के विकास कार्यो को दिखा शरद के लिए वोट मांगा था.
बाहर से आये पार्टी प्रतिनिधियों के अलावे लोकसभा क्षेत्र के वर्तमान व स्थानीय विधायकों, विधान पार्षदों,पूर्व विधायकों ने भी शरद की जीत के लिए दिन-रात एक कर दिया था. लेकिन दुर्भाग्य सूबे के मुखिया नीतीश कुमार का नाम शरद के काम न आ सका और वे काउंटिंग में दूसरे नंबर पर सिमटे रह गये.