एकरारनामा लेने व वर्गफीट के हिसाब से किराया तय करने का लिया था निर्णय
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60 से 400 ” तक ही है किराया, फिर भी नहीं दे रहे लोग
एकरारनामा लेने व वर्गफीट के हिसाब से किराया तय करने का लिया था निर्णय छह माह बाद भी लिये गये किसी निर्णय पर नहीं हुई कार्रवाई हाल सहरसा-बनगांव गोशाला का सहरसा : शहरी क्षेत्र में दुकान के लिए मकान मिलना मुश्किल होता है. यदि मुख्य सड़क के किनारे या किसी कॉम्प्लेक्स में दुकान मिल भी […]
छह माह बाद भी लिये गये किसी निर्णय पर नहीं हुई कार्रवाई
हाल सहरसा-बनगांव गोशाला का
सहरसा : शहरी क्षेत्र में दुकान के लिए मकान मिलना मुश्किल होता है. यदि मुख्य सड़क के किनारे या किसी कॉम्प्लेक्स में दुकान मिल भी जाती है तो उसके लिए लाखों रुपये पगड़ी (एडवांस) के रूप में देना पड़ता है. हजारों रुपये महीने का कराया अलग. लेकिन लगभग दो दशक पूर्व चांदनी चौक स्थित सहरसा-बनगांव गोशाला में 60 रुपये से लेकर 400 रुपये तक के मासिक किराये पर दुकान-मकान लिये लोगों को इतनी छोटी राशि जमा करने में भी परेशानी हो रही है. वह छोटी राशि आज बढ़ कर हजारों में पहुंच गयी है. किराया जमा नहीं होने के कारण गोशाला का विकास नहीं हो रहा है.
किसी के पास 91 से तो किसी के पास 2010 से है बकाया: बीते 23 जून को गोशाला समिति की हुई बैठक में बकाया किराये की सूची जारी की गयी थी. सूची के अनुसार, कसी के पास 1991 से तो किसी के पास 2010 से दुकान-मकान का किराया बाकी है. गोशाला समिति के अध्यक्ष तत्कालीन एसडीएम सौरभ जोड़वाल ने यह भी निर्णय लिया था कि जिन्हें मामूली दर पर दुकान-मकान उपलब्ध कराया गया है, उनसे एकरारनामा मांगा जाये. अगली बैठक से पूर्व सीओ के माध्यम से जमीन मापी करा वर्गफीट के हिसाब से किराये का निर्धारण किया जाये. लेकिन छह माह बीत जाने के बाद भी न तो अगली बैठक की तारीख निर्धारित हो सकी है. न जमीन की मापी करायी जा सकी है और न ही बकाया किराया ही वसूल किया जा सका है. मतलब एसडीओ जोड़वाल की अध्यक्षता में हुई बैठक का कोई महत्व नहीं रहा. वह भी सिर्फ कोरम पूरा करने वाली ही साबित हुई.
2016 तक के बकायेदारों की सूची हुई थी जारी
ब्रह्मदेव भगत के पास जनवरी 2001 से 251 रुपये की दर से 17134 रुपये, प्रकाश कुमार के पास 1992 से 251 रुपये की दर से 12104, पंकज कुमार के पास 1997 से 251 रुपये की दर से 14066 रुपये, संजीव कुमार के पास 2010 से 350 रुपये की दर से 16550 रुपये, रामानंद सिंह के पास 1994 से 251 रुपये की दर से 18758 रुपये, मीनाक्षी देवी के पास 2010 से 250 रुपये की दर से 16800 रुपये, चंद्रिका पोद्दार के पास 1991 से 80 रुपये की दर से 3472 रुपये, ललित शर्मा के पास 2003 से 400 रुपये की दर से 10800 रुपये, रतन मिश्र के पास 1995 से 100 रुपये की दर से 6600 रुपये, गोपाल प्रसाद के पास 1995 से 100 रुपये की दर से 14200 रुपये, शिवजी प्रसाद के पास 1995 से 100 रुपये की दर से 6590 रुपये, डॉ बीएन झा के पास 1995 से 100 रुपये की दर से 13733 रुपये, अरूण सिंह के पास 2000 से 100 रुपये की दर से 5600 रुपये, लक्ष्मी जायसवाल के पास 1999 से 100 रुपये की दर से 5600 रुपये, राजीव कुमार रंजन के पास 1999 से 100 रुपये की दर से 6599, पंकज जायसवाल के पास 2003 से 400 रुपये की दर से 32400 रुपये, प्रमोद कुमार के पास 2004 से 200 रुपये की दर से 3200 रुपये, आनंद शर्मा के पास कोई बकाया नहीं है.
मो सलाउद्दीन के पास 2002 से 300 रुपये की दर से 13700 रुपये, संजीव कुमार के पास 2005 से 350 रुपये की दर से 32200 रुपये, रंजीत कुमार भगत के पास 2008 से 400 रुपये की दर से 29400 रुपये, गायत्री देवी के पास 2007 से 250 रुपये की दर से 15000 रुपये, दीपक कुमार के पास 2008 से 200 रुपये की दर से 13100 रुपये, प्रभु नारायण सिंह के पास 2009 से 400 रुपये की दर से 30500 रुपये किराये के रूप में बाकी हैं.
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