बिक्रमगंज कार्यालय. स्थानीय भूमि निबंधन कार्यालय में हुए चालान घोटाले में खरीदारों के विरुद्ध हुई प्राथमिकी के बाद मामला अब तूल पकड़ने लगा है. खरीदार अपने को निर्दोश बताते हुए अधिकारियों व कर्मचारियों को दोषी बताते हुए इनके विरुद्ध कोर्ट में मुकदमा दर्ज करने की बात कह रहे हैं.
आरोप है कि अधिकारी, कर्मचारियों की मिलीभगत से पिछले दो वर्षों से चालान घोटाले का खेल चल रहा है और अब जब मामले का खुलासा हुआ, तो अपनी जान बचाने के लिए खरीदारों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है. इस गोरखधंधा में जिले के अधिकारियों की भी संलिप्तता की आशंका व्यक्त की जा रही है.
खरीदारों ने बताया कि कार्यालय के अनुसार अभी तक नौ कागजातों में चालान के गड़बड़ी का खुलासा हुआ है, लेकिन सात लोगों के विरुद्ध ही प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. दो अन्य मामले में प्राथमिकी नहीं दर्ज करायी गयी है. क्योंकि उसमें अधिकारियों की गर्दन फंस रही है. खरीदारों ने चालान घोटाले में दलालों की सबसे अहम भूमिका है, जो अधिकारी द्वारा कार्यालय के काम के नाम पर रखा गया है. स्क्रोल की जांच करना और डीड निकालने का काम ये ही दोनों लोगों के द्वारा किया जाता है.
अगर इनकी मिलीभगत नहीं होती तो कैसे गड़बड़ी वाले चालान के डीड का कागजात कार्यालय से निकल गया. जबकि, बिना स्क्रोल की जांच किये कागजात नहीं देना है. खरीदारों ने बताया कि सभी मामले को न्यायालय में दायर कराया जायेगा. इस संबंध में जिला अवर निबंधन पदाधिकारी से पूछे जाने पर कुछ भी कहने से परहेज करते हुए बताया कि डीएम के आदेश से खरीदारों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराया गया है.