सासाराम कार्यालय : शहर में अतिक्रमण सबके लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. आम नागरिक हो या प्रशासन के अधिकारी. हाइकोर्ट के आदेश पर ही सही प्रशासन के अधिकारी कभी-कभी अतिक्रमण हटाने के लिए मेहनत करते हैं. जिला परिवहन पदाधिकारी, सीओ, नगर पर्षद के अधिकारी सहित कर्मचारी सड़क पर उतरते हैं. अपना पसीना बहाते हैं. हजारों रुपये अर्थमूवर्स (जेसीबी) को चलाने में खर्च हो जाते हैं. लेकिन, इन सब मेहनत व खर्चों पर पुलिस पानी फेर दे रही है.
हाइकोर्ट का स्पष्ट निर्देश है कि अतिक्रमण हटाने के बाद दोबारा उक्त स्थान का अतिक्रमण न हो इसकी जिम्मेवारी संबंधित क्षेत्र के थाना की होगी. लेकिन, शहर में ऐसा नहीं होता. शहर में दो थाना का क्षेत्र है. दोनों के क्षेत्र में अतिक्रमण है. प्रशासन दोनों के क्षेत्र में कई बार अतिक्रमण हटा चुकी है. लेकिन, उसे अक्षुण्ण रखने में इन थानों कि पुलिस सजग नहीं है. तभी तो मंगलवार व बुधवार को नगर पार्षद ने अपने कार्यालय व कलेक्ट्रेट के सामने अतिक्रमण को हटाया. अतिक्रमण हटाने के बाद दल के मुड़ते ही उक्त स्थल पर दुकानें दोगुने जोश से लग गयी.
अतिक्रमणकारियों को पुलिस का भय नहीं: गौरतलब है कि पोस्टऑफिस चौक पर इंस्पेक्टर सहित पांच पुलिस बलों की नियुक्ति है. इसके अलावा नगर व मॉडल थाने की पुलिस इस रास्ते कई बार गुजरती है, लेकिन वे इस ओर देखते भी नहीं. तभी तो अतिक्रमणकारियों में पुलिस का भय नहीं है.
पुलिस का नहीं मिलता सहयोग: नगर पर्षद कार्यपालक पदाधिकारी मनीष कुमार ने बताया कि हम तो अतिक्रमण हटा रहे हैं, लेकिन इसके बाद पुलिस का सहयोग नहीं मिल रहा है.
पुलिस निभाए जिम्मेवारी
डीएम अनिमेष कुमार पराशर से पुलिस की कार्यशैली के बारे में पूछा गया तो वे बोल-यह तो सबके लिए परेशानी का कारण है. सबके सहयोग से ही अतिक्रमण पर भी काबू पाया जा सकता है. पुलिस को अपनी जिम्मेवारी निभानी चाहिए. डीएम कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सके.