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दो पुराने मुखियाें की पत्नियों को भी ताज

बिक्रमगंज : बिक्रमगंज प्रखंड में विजयी हुए अधिकतर मुखिया में से दो वर्तमान मुखिया की पत्नी है, तो एक वर्तमान मुखिया के समर्थित प्रत्याशी है. समाचार लिखे जाने तक जीन पंचायतों की घोषणा हुई है उसकी स्थिति कमोबेस ऐसी ही है. प्रखंड के एक नंबर पर स्थित कुसुम्हरा पंचायत के वर्तमान मुखिया छठू दुबे की […]

बिक्रमगंज : बिक्रमगंज प्रखंड में विजयी हुए अधिकतर मुखिया में से दो वर्तमान मुखिया की पत्नी है, तो एक वर्तमान मुखिया के समर्थित प्रत्याशी है. समाचार लिखे जाने तक जीन पंचायतों की घोषणा हुई है उसकी स्थिति कमोबेस ऐसी ही है. प्रखंड के एक नंबर पर स्थित कुसुम्हरा पंचायत के वर्तमान मुखिया छठू दुबे की पत्नी अनुपमा दुबे भारी मतों से चुनाव जीत कर अपनी दबदबा कायम रखी, तो नोनहर पंचायत से लगातार दो बार से मुखिया पद पर काबिज भागीरथी सिंह ने इस बार अपनी पत्नी शोभा सिंह को चुनावी मैदान में उतार कर तीसरी बार झंडा लहराया.

वहीं जमोढ़ी पंचायत के वर्तमान मुखिया सुनील गुप्ता ने अपने समर्थित उम्मीदवार हरिवंश राम बैठा को मुखिया बनाने के लिए मैदान में उतारा और जीत हासिल हुई.

विकास भारी या राजनीति ?
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में इन तीन पंचायतों के मिले परिणाम इस बात का प्रमाण है की कहीं विकास की बजी डंका तो कहीं जातीय राजनीतिक गोलबंदी ने जीत की पटकथा लिखी. आरक्षित सीट वैसे भी अधिकांश ऐसे लोग ही जीत पाते है जो जातीय गोलबंदी में माहिर होते है. नोनहर पंचायत में अपनी विकास की राजनीति और जातीय समीकरण से लगातार सफलता के झंडे बुलंद करते आ रहे मुखिया भागीरथी ने अपनी पत्नी को अपनी छाया बना वोट मांगा और जीत गए. जमोढ़ी पंचायत के दो बार से मुखिया रहे वर्तमान मुखिया सुनील गुप्ता आरक्षण की मार में खड़ा नही हो सके.
तो अपने करीबी हरिबंश राम बैठा को अपना प्रतिनिधि बना चुनावी दंगल में उतार दिया और पुनः तीसरी बार अपनी जीत दर्ज की. चुनाओं में मिले जीत और चर्चाओं के बाजार को माने तो विकास और राजनीति का मिला जुला परिणाम रहा इन तीन पंचायतों का जनादेश रहा है.
मेरे राजनीतिक सफर पर जनता की लगी मुहर : भागीरथी
नोनहर पंचायत के मुखिया और अब मुखिया पति भागीरथी सिंह की राजनितिक राह अब और सफल होती दिखाई पड़ रही है. इस बिधान सभा चुनाव में बिधायक सीट के लिए आवेदन डाल प्रतीक्षा में चुके भागीरथी सिंह के लिए उम्मीदों का सूरज अभी सूर्योदय जैसा महसूस हो रहा है. कहते है कि अभी मेरी उम्र केवल 35 साल की है और इसी में 10 वर्षो तक मुखिया भी बन कर जनता का सेवा किया. अब पंचायत की कमान घरवाली संभाले और मैं अब राष्ट्रीय जनता दल की राजनीति में अपना पूरा वक्त दूंगा. जनता की स्नेह का मैं शुक्रगुजार हूं. और आगे की लड़ाई की इजाजत चाहूंगा.
कांग्रेस की सेवा करना अब आगे की राजनीति : छठु दूबे
पहले खुद और अब पत्नी के सहारे पंचायत की कमान संभालने वाले मुखिया संतोष दूबे उर्फ़ छठु दूबे कहते है की अभी मैं कोंग्रेस पार्टी का प्रखंड अध्यक्ष हूं. आगे की राजनीत के लिए भी कोंग्रेस की हमारी प्राथमिकता है. इसी पार्टी की सेवा करना हमारा धर्म होगा. बताते चले की छठु दूबे भी अभी मात्र 35 साल के ही है.

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