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सिर्फ नाम का है रोहतास का पीएचसी

सासाराम/रोहतास : सरकार ने गांव–गांव तक स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए सभी प्रखंडों में चिकित्सा केंद्र स्थापित किये हैं. लेकिन, रोहतास के किसी प्रखंड में यह व्यवस्था सुचारु रूप से नहीं चल रही है. कारण तो कई हैं, लेकिन मुख्य समस्या वही ले–दे कर चिकित्सकों की कमी है. यहां चाह कर भी आम लोगों […]

सासाराम/रोहतास : सरकार ने गांवगांव तक स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए सभी प्रखंडों में चिकित्सा केंद्र स्थापित किये हैं. लेकिन, रोहतास के किसी प्रखंड में यह व्यवस्था सुचारु रूप से नहीं चल रही है. कारण तो कई हैं, लेकिन मुख्य समस्या वही लेदे कर चिकित्सकों की कमी है.

यहां चाह कर भी आम लोगों को इस व्यवस्था का लाभ नहीं मिल पा रहा है. रोहतास जिले के दक्षिणी भाग में स्थित रोहतास प्रखंड नक्सलग्रस्त क्षेत्र है. यहां आये दिन कई तरह की मानवजनित समस्याएं भी उत्पन्न होती रहती हैं. इसके बावजूद सरकार के पास इन इलाकों में स्वास्थ्य सेवा में सुधार के कोई उपाय नहीं सूझ रहे हैं.

एक डॉक्टर के सहारे केंद्र

रोहतास केंद्र में परमानेंट चिकित्सक मात्र एक है, जबकि ठेके पर एक और एक आयुष चिकित्सक है. वहीं, नर्स से लेकर कंपाउंडर तक सभी पद वर्षो से रिक्त पड़े हैं. हालत यह है कि प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी शायद ही कभी केंद्र में बैठते हो मजबूरी में आयुष चिकित्सक को ही एलोपैथ की दवा भी देनी पड़ती है.

एएनएम के तौर पर जरूर यहां पांच कार्यरत हैं, जिनके ऊपर कई उप स्वास्थ्य केंद्रों को चलाने की जिम्मेवारी भी है. यह उस अस्पताल की हालत है, जो जिले का सर्वाधिक पिछड़ा इलाका माना जाता है और जिनकी तरक्की के लिए सरकार हमेशा प्रयत्नशील रही है.

जांच की कोई सुविधा नहीं

जांच के लिए एक्सरे मशीन तो है, लेकिन प्रभारी पदाधिकारी ने इसे भाड़े पर दे दिया है. बिजली की कमी दूर करने के लिए जेनेरेटर भी है, लेकिन यह सिर्फ रात में ही चलाया जाता है. हालांकि हर माह इस पर लगभग 48000 रुपये खर्च किये जाते हैं. एंबुलेंस भी है, लेकिन पिछले एक माह से खराब होने की स्थिति में बनने के लिए गया है.

इसके अलावे पैथोलॉजी जांच की यहां कोई व्यवस्था नहीं है. दवा की स्थिति कुछ ठीक है, लेकिन एंटीबायोटिक यहां भी उपलब्ध नहीं है. कोई मरीज रेफर होने की स्थिति में आया, तो भगवान ही मालिक है.

सफाई की स्थिति खराब

पूरे अस्पताल परिसर में गंदगी का अंबार सालों भर लगा रहता है, जबकि सफाई के नाम पर हर माह यहां हजारों रुपये खर्च किये जाते हैं. सफाई का जिम्मा निजी हाथों में देने से समस्या और गंभीर होती जा रही है. अस्पताल परिसर में गरीबों से बेवजह पैसे लेने की शिकायतें भी आये दिन मिलते हैं.

दो रुपये में परची काटने के बजाय प्रसव के मामले में यहां 30 रुपये तक लिये जाते हैं. टीकाकरण जैसे मामलों में भी यह केंद्र बेहद पिछड़ा हुआ है. वहीं, सामान्य ऑपरेशन जैसे बंध्याकरण या नसबंदी कराने के लिए भी मरीजों को डेहरी जाना पड़ता है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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