भूमिहीन परिवार अवैध रूप से कब्जा कर रहते हैं सरकारी जमीन पर
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खुले में शौच जाने पर दंड के होंगे भागी
भूमिहीन परिवार अवैध रूप से कब्जा कर रहते हैं सरकारी जमीन पर सभी के लिए शौचालय बने बिना ओडीएफ घोषित करने का औचित्य नहीं नवादा नगर : शहर में जगह-जगह पर बोर्ड लगा कर खुले में शौच करनेवालों पर जुर्माना लगाने की सूचना दी जा रही है. लेकिन, जिन परिवारों के पास अपना शौचालय नहीं […]
सभी के लिए शौचालय बने बिना ओडीएफ घोषित करने का औचित्य नहीं
नवादा नगर : शहर में जगह-जगह पर बोर्ड लगा कर खुले में शौच करनेवालों पर जुर्माना लगाने की सूचना दी जा रही है. लेकिन, जिन परिवारों के पास अपना शौचालय नहीं है वे खुले में शौच नहीं जाये तो कहां जाये यह बतलाने वाला कोई नहीं है. जिला मुख्यालय में सैकड़ों ऐसे भूमिहीन परिवार हैं इनके पास अपनी जमीन नहीं है इन परिवारों के लिए सामुदायिक शौचालय बनाने की घोषणा तो की है लेकिन सरकारी जमीन की एनओसी नहीं मिलने के कारण क्षेत्र के लोगों के लिए शौचालय बनाने के काम में कितनी देरी होगी इसके बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है. रेलवे स्टेशन, हरिश्चंद्र स्टेडियम, डोभरापर आदि क्षेत्रों में सरकारी आंकड़ों के अनुसार छह सौ से अधिक परिवार है
इनके लिए सामुदायिक शौचालय बनाया जाना है. इसके अलावे कई ऐसे परिवार भी है जिनके यहां शौचालय तो बना है लेकिन अब वे काम लायक नहीं है या परिवार के सदस्य इसका इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. नप के द्वारा शहरी क्षेत्र को ओडीएफ करने की घोषणा के बाद जुर्माना लगाने का प्रावधान तो शुरू हो गया है लेकिन सैकड़ों परिवारों के पास आज भी खुले में शौच करने के अलावे कोई दूसरा चारा नहीं है.
लोगों में जागरूकता लाना सबसे जरूरी : खुले में शौच मुक्त क्षेत्र बनाने का काम केवल सरकारी पैमाने पर कर पाना संभव नहीं है इसके लिए जन सहभागिता जरूरी है. ओडीएफ करने के लिए सरकार व प्रशासन की ओर से टारगेट तय करके काम किया जा रहा है. स्वच्छ नवादा, स्वास्थ्य नवादा का नारा लगाने से केवल काम नहीं होगा बल्कि इसके लिए हर स्तर पर काम करने की जरूरत है. हरिश्चंद्र स्टेडियम, रेलवे स्टेशन आदि के पास रहने वाले महादलित परिवारों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है. सफाई के अभाव में बीमारी जल्दी से इन क्षेत्रों में फैलती है. घर की महिलाओं व पुरुषों को आस-पास के क्षेत्रों में खुले में शौच जाने से रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर जल्द जमीन की एनओसी लेकर सामुदायिक शौचालय बनाया जाना चाहिए.
लोगों की मिल रही है प्रतिक्रिया :12 सितंबर तक जिनके घरों में पक्का शौचालय नहीं है वे अपना दावा आपत्ति नगर पर्षद कार्यालय में जमा करा सकते है. घोषणा के बाद भी यदि नप क्षेत्र के लोगों में से किसी के पास शौचालय नहीं है तो उनके लिए शौचालय बनाने में मदद की जायेगी. नप क्षेत्र में खुले में शौच मुक्त क्षेत्र होने में कोई आपत्ति या प्रतिक्रिया है तो वो 12 सितंबर तक नगर पर्षद कार्यालय में अपना दावा करने की घोषणा की गयी है.
प्रमुख चौक-चौराहों पर लगाये गये बोर्ड : स्वच्छ नवादा, स्वास्थ्य नवादा, बाहर शौच के लिए नहीं जायेंगे.. जैसे स्लोगन के साथ नगर परिषद के द्वारा जागरूकता पोस्टर लगाया गया है. खुले में शौच करने पर जुर्माना वसूली का पोस्टर लगाया गया है.
शहरी क्षेत्र में 1941 परिवारों के पास नहीं था अपना पक्का शौचालय
विभागीय आंकड़ों की माने तो शहरी क्षेत्र के 1941 परिवारों के पास अपना पक्का शौचालय नहीं था. नप के दावों के अनुसार, उन सभी जरूरतमंद परिवारों को पक्का शौचालय से जोड़ा जा चुका है. सरकारी योजना का लाभ दिये जाने के बाद नगर पर्षद को ओडीएफ घोषित किया गया है. शहर में सर्वे के अनुसार 608 ऐसे परिवार है जिनके जिनके पास जमीन नहीं है वे सरकारी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा करके किसी प्रकार से रह रहे हैं. ऐसे अधिकतर परिवार हरिश्चंद्र स्टेडियम के किनारे, रेलवे स्टेशन के किनारे व अन्य मुहल्लों में बसे हुए है. नप के द्वारा इन परिवारों को पक्का शौचालय दिलाने के लिए सरकारी जमीन पर सामुदायिक शौचालय बनाने का टेंडर पास कर दिया है. 938 परिवारों को पक्का शौचालय बनाने के लिए प्रोत्साहन राशि नप के द्वारा दिलाया गया. व्यक्तिगत शौचालय बनानेवाले परिवारों को 12 हजार रुपये की राशि दो गड्ढों वाली शौचालय बनाने के लिए दी गयी है.
सामुदायिक व सुलभ शौचालय का होगा निर्माण
सर्वे के बाद दिये गये आंकड़ों के अनुसार नप क्षेत्र के 1941 परिवारों के यहां शौचालय नहीं बने हुए थे. शहरी क्षेत्र में इनमें से 608 परिवारों के पास अपनी जमीन नहीं थी वे सरकारी जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा कर रह रहे हैं ऐसे परिवारों के लिए कुल 51 सामुदायिक शौचालय बनाने का टेंडर निकाला गया है. एक सामुदायिक शौचालय में 12 यूनिट शौचालय बने रहे है जो इन परिवारों में बांटा दिया जायेगा. 120 परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाभ लेकर उनके घरों में शौचालय बनाया गया है. 938 परिवारों ने व्यक्तिगत पर सरकारी सहयोग से शौचालय बनाया है. जबकि शेष 285 परिवारों ने खुद से अपना शौचालय बना लिया है. इस प्रकार छूटे हुए सभी घरों में पक्का शौचालय बनाने का काम पूरा कर लिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट में सरकार की दलील से शिक्षक आहत
छह सालों से नहीं दी गयी अनुदान की राशि
राज्य सरकार ने वित्तरहित व नियोजित शिक्षकों की स्थिति दयनीय बना दी है. नीतीश सरकार ने परीक्षाफल के आधार पर वित्तरहित कॉलेजों को अनुदान देने की घोषणा की थी, लेकिन पिछले छह सालों से अनुदान राशि बांटी ही नहीं गयी है. साथ में काम करनेवाले कई कर्मी अब रिटायर हो चुके हैं, ये मर चुके हैं. लेकिन, उनकी आर्थिक समस्या का समाधान नहीं हुआ है. राज्य में नियोजित शिक्षकों का भी यही हाल है. समान काम के लिए समान वेतन की लड़ाई को राज्य की सरकार सुप्रीम कोर्ट तक ले गयी है. शिक्षकों के प्रति सरकार का विरोधी रवैया उजागर हुआ है. सरकार की दोहरा चरित्र सामने आया है.
प्रो अमरकांत साह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय प्रगति पार्टी
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