इतिहास. वर्ष 1900 में बना था सोन नदी पर नेहरू सेतु
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मिट जायेगा एशिया के सबसे बड़े रेल पुल का अस्तित्व
इतिहास. वर्ष 1900 में बना था सोन नदी पर नेहरू सेतु पुल के जर्जर होने से रेलवे ने समानांतर नया पुल बनाया 93 करोड़ में हुई पुराने पुल के लोहे की नीलामी नेहरू सेतु के लोहे को काटने के लिए रेलवे ने प्राइवेट कंपनी को दिया काम लोहे के गाटर का इस्तेमाल कर बने पुल […]
पुल के जर्जर होने से रेलवे ने समानांतर नया पुल बनाया
93 करोड़ में हुई पुराने पुल के लोहे की नीलामी
नेहरू सेतु के लोहे को काटने के लिए रेलवे ने प्राइवेट कंपनी को दिया काम
लोहे के गाटर का इस्तेमाल कर बने पुल में थे 93 खंभे व 3059 मीटर लंबाई
डेहरी : डेहरी शहर के पूर्वी हिस्से में सोन नदी पर 27 फरवरी, 1900 में बने रेलवे पुल जवाहर सेतु अब इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जायेगा. उक्त पुल के जर्जर होने के कारण रेलवे द्वारा सोन नदी में इसके समानांतर नया पुल का निर्माण कर पुराने पुल पर रेल का परिचालन बंद कर दिया है. 93 खंभों पर लोहे के गाटर से निर्मित जवाहर सेतु के लोहे को करीब 26 करोड़ रुपये में चिनार स्टील सिग्मेंट सेंटर प्राइवेट लिमिटेड, कोलकाता, की कंपनी को नीलाम कर रेलवे ने उसे प्राइवेट कंपनी को दे दिया है. सोमवार को रेलवे के अधिकारियों ने लोहे की कटाई के लिए उक्त प्राइवेट कंपनी को पुल हैंडओवर कर दिया. विधान परिषद के पूर्व सदस्य हुलास पांडे व कंपनी के अधिकारियों द्वारा सोमवार को पूजा किये जाने के उपरांत ब्रिज में लगे लोहे की कटाई का कार्य शुरू कर दिया गया.
विशालकाय ऐतिहासिक लोहे के बने ब्रिटिशकालीन ब्रिज की कटाई के कार्य शुरू किए जाने के साथ ही अब उक्त ब्रिज का फोटो ही इतिहास के पन्नों में भी दिखती नजर आयेगी.
नेहरू सेतु का है गौरवशाली इतिहास : आजादी से पूर्व ब्रिटिश काल में 27 फरवरी, 1900 में बने नेहरू सेतु का इतिहास गौरवशाली रहा है. निर्माण के समय उक्त पुल एशिया के सबसे लंबा रेल पुल था. मुगलसराय-गया ग्रांडकॉर्ड रेल लाइन पर डेहरी ऑन सोन स्टेशन से सोन नगर जंक्शन को जोड़ने के लिए सोन नदी पर बना उक्त रेल पुल वर्तमान में एशिया महादेश में रेलवे का दूसरा सबसे लंबा पूर्ण बन गया था. वर्तमान में इससे लंबा रेल पुल बेंबानाड रेल ब्रिज है जो भारत के केरल में 11 फरवरी, 2011 में बना है. नेहरू सेतु की कुल लंबाई 3059 मीटर है. सोन नदी पर स्टील गाटर से बना उक्त पुल पत्थर के 93 पिलर पर स्थित है.
इसमें एक पिलर से दूसरे पिलर की दूरी लगभग 33 मीटर है.
रेलवे के अधिकारियों ने कंपनी को किया हैंडओवर : रेलवे के वरीय अधिकारियों ने सोन नदी में बने नेहरू सेतु के पास सोमवार को पहुंच कर चिनार स्टील सेगमेंट सेंटर प्राइवेट लिमिटेड के एमडी रवि कुमार के साथ कागजी कार्रवाई पूरा कर ब्रिज को कंपनी को हैंडओवर कर दिया. ब्रिज को हैंडओवर करने के समय रेलवे के सीनियर आईएसी शिवजी प्रसाद, त्रिपुरारि पांडे, सीनियर सेक्शन इंजीनियर ब्रिज प्रभाष कांत मिश्रा, आरपीएफ इंस्पेक्टर शाहिद खान आदि उपस्थित थे. जबकि, कंपनी के तरफ से कंपनी के एमडी रवि कुमार, धीरज कुमार, विनोद ठाकुर आदि उपस्थित थे.
पूजा के बाद लोहे की कटाई का काम शुरू
सोन नदी में नेहरू सेतु के नीचे सोमवार को वैदिक मंत्रों के उच्चारण से सोन नद का इलाका गूंज उठा. रेलवे के अधिकारियों की उपस्थिति में आचार्य विनय कुमार मिश्रा उर्फ विनय बाबा के नेतृत्व में वाराणसी से आये पंडित द्वारा कंपनी के लोगों के हाथों विधिपूर्वक पूजा अर्चना कराया गया. प्रधान यजमान बने रामानुज पांडेय व उनके सहायक यजमान के रूप में विधान परिषद के पूर्व सदस्य हुलास पांडे, कंपनी के एमडी रवि कुमार, धीरज कुमार, विनोद ठाकुर आदि ने विधिपूर्वक पूजा अर्चना किया.
पूजा की समाप्ति के उपरांत ब्रिज के पश्चिमी हिस्से में लोहे के गाटर की कटाई का कार्य अधिकारियों की उपस्थिति में शुरू कर दिया गया. इस मौके पर रेलवे जेडआरसीसी सदस्य मनीष कुमार सिन्हा, दिल्ली से आये रेलवे के कांट्रेक्टर दीपक गांधी, जिले के बड़े व्यवसाई नकीब खान, गोरा दादा, विमलेश सिंह, ओम प्रकाश राय, विपिन पांडे, श्रीकांत तिवारी, गुड्डू शास्त्री, विजय पांडे, अमित कुमार आदि उपस्थित थे.
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