लाखों रुपये राजस्व देने के बाद भी विक्रेताओं को नहीं है कोई सुविधा
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बिक्रमगंज में नहीं है सब्जी का एक भी स्थायी बाजार
लाखों रुपये राजस्व देने के बाद भी विक्रेताओं को नहीं है कोई सुविधा बिक्रमगंज : स्थानीय शहर को नगर पंचायत से नगर पर्षद बना दिया गया लेकिन यहां लोगों को मूलभूत सुविधा भी नसीब नहीं है. लगभग 50 हजार से अधिक के आबादीवाले इस शहर में न तो स्थायी सब्जी का बाजार उपलब्ध है और […]
बिक्रमगंज : स्थानीय शहर को नगर पंचायत से नगर पर्षद बना दिया गया लेकिन यहां लोगों को मूलभूत सुविधा भी नसीब नहीं है. लगभग 50 हजार से अधिक के आबादीवाले इस शहर में न तो स्थायी सब्जी का बाजार उपलब्ध है और न ही वाहनों के ठहरने के लिए पड़ाव की व्यवस्था है. सब्जी विक्रेता खुले में आकाश तले सड़क के किनारे सब्जी बेचने के लिए विवश है, वहीं सभी छोटे-बड़े सवारी वाहन सड़क पर ही खड़े होते हैं.
गौरतलब हो कि नगर पर्षद के द्वारा प्रत्येक वर्ष सब्जी बाजार के ग्राउंड कर की वसूली के लिए बंदोबस्त किया जाता है. इससे प्रत्येक वर्ष लाखों रुपये की आय होती है. लेकिन यहां नगर पर्षद का न तो कोई सब्जी का स्थायी ग्राउंड है और न ही सब्जी विक्रेताओं को कोई सुविधा दी जाती है. गर्मी के मौसम में धूप में बैठकर सब्जी बेचते हैं. सबसे अधिक परेशानी विक्रेताओं और आमलोगों को बरसात के मौसम में होती है. बारिश के समय पूरा बाजार कीचड़ से भर जाता है. विक्रेता उसी कीचड़ के बीच में अपने बैठनेवाले भाग को किसी तरह ऊंचा कर के अपनी दुकान लगाते हैं और क्रेता कीचड़ से होकर सब्जी की खरीदारी करते हैं.
जाड़े के दिन में कुहासे और शीतलहर की मार भी इन्हें झेलनी पड़ती है. सभी मौसमी प्रकोप झेलते हुए सब्जी बेचने को दुकानदार विवश होते हैं. चारों ओर सरकार स्वच्छता की अलख जगा रही है. पूरे देश और राज्य को खुले में शौचमुक्त करने को लेकर अपनी सारी ताकत झोंक दी है. लेकिन यहां विक्रेताओं के लिए न तो शौचालय की व्यवस्था है और न ही यूरिनल की. बाजार की चारों ओर गंदगी का साम्राज्य कायम है. पेयजल के नाम पर एकमात्र चापाकल लगाया गया है, जो अक्सर खराब रहता है.
क्या कहते हैं लोग : सब्जी विक्रेता संतोष कुमार का कहना है कि बाजार के ठेकेदार के द्वारा प्रतिदिन ग्राउंड कर के रूप में राशि की उगाही की जाती है, लेकिन कोई सुविधा नहीं दी जाती है. विक्रेता इरशाद खां कहते हैं कि बाजार में कोई सुविधा नहीं है. बैठने तक के लिए अपने खर्च से जमीन को ऊंचा करना होता है.
बारिश और धूप से बचने के लिए अस्थायी झोंपड़ी बनाते हैं. सब्जी विक्रेता सुरेंद्र सिंह का कहना है कि बाजार में न तो शौचालय की व्यवस्था है और न ही यूरिनल की, जिसके कारण परेशानी होती है. उमेश कुमार कुमार कहते हैं कि सब्जी बाजार में आने- जाने के लिए मार्ग की कोई व्यवस्था नहीं है. बरसात के दिनों में कीचड़ से होकर जाना होता है.
क्या कहते हैं अधिकारी : शहर में सब्जी बाजार के लिए कोई अपना ग्राउंड नहीं है. तेंदुनी चौक के पास सासाराम रोड और थाना चौक के पास नटवार रोड में अस्थायी बाजार लगता है. वहां किसी प्रकार का निर्माण कराना संभव नहीं है.
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