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अवैध ढंग से पोड़ा बनाने से निकल रहे विषैले धुएं से सांस लेने में तकलीफ
अब भी कई जगहों पर कोयला जला कर अवैध ढंग से बनाया जा रहा पोड़ा डेहरी (कार्यालय) : शहर के पश्चिमी हिस्से में अवैध कोयले को जला कर पोड़ा बनाने का धंधा वर्षों से चल रहा है. उक्त धंधे के धंधेबाजों के विरुद्ध पुलिस द्वारा कार्रवाई किये जाने के बाद कुछ समय तक कोयले को […]
अब भी कई जगहों पर कोयला जला कर अवैध ढंग से बनाया जा रहा पोड़ा
डेहरी (कार्यालय) : शहर के पश्चिमी हिस्से में अवैध कोयले को जला कर पोड़ा बनाने का धंधा वर्षों से चल रहा है. उक्त धंधे के धंधेबाजों के विरुद्ध पुलिस द्वारा कार्रवाई किये जाने के बाद कुछ समय तक कोयले को जलाना बंद किये जाने से शहर सहित आसपास के गांवों के लोगों को काफी राहत मिलती है,लेकिन पुनः उक्त धंधे के शुरू होने के बाद क्षेत्र के वायु प्रदूषित होने से फसल, जानवरों व मनुष्यों के स्वास्थ्य पर प्रदूषित वायु का बुरा प्रभाव पड़ता है. चंद रुपयों की खातिर पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करने का परिणाम क्षेत्र में बहुत ही बुरा निकल रहा है.
रुपये कमाने की लालच में यहां के लोग उसको नहीं समझ पा रहे हैं. प्रशासन,स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों, स्थानीय जनप्रतिनिधियों को कोयले को पका कर पोड़ा बनाने से होने वाले दुष्परिणाम के प्रति लोगों को जागरूक करना चाहिए,लेकिन ऐसा होता उस इलाके में कभी नहीं देखा गया. पिछले दिनों अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी अनवर जावेद अंसारी द्वारा इस अवैध धंधे के विरुद्ध चलाये गये अभियान में पुलिस को बहुत बड़ी सफलता मिली थी. छापेमारी के दौरान 7 ट्रकों पर अवैध पोड़ा पुलिस द्वारा जब्त किया गया था. इसका क्षेत्र के लोगों ने काफी सराहना किया.
लेकिन, लोगों का इस बात को लेकर प्रशासन से शिकायत है कि पोड़ा लगाने के धंधे कई जगहों पर जारी है बावजूद इसके केवल एक ही साइड पर प्रशासन द्वारा छापेमारी किया गया. पुलिस प्रशासन द्वारा छापेमारी किये गये साइट पर तो कोयला को पकाकर पोड़ा बनाना बंद हो गया परंतु उसके बगल में स्थित मनोरा,गरवट बीघा आदि जगहों पर आज भी कोयले को जलाने से निकलने वाले जहरीले धुएं के कारण क्षेत्र के लोगों का खुली हवा में सांस लेना काफी मुश्किल कार्य हो गया है.
क्या है परेशानी
राष्ट्रीय राज्य मार्ग व ग्रैंड कोड रेल लाइन के बीच के हिस्सों में डेहरी शहर से पश्चिम गरवट बीघा से लेकर तेंदुआ बोरिंग तक के इलाके में कई जगहों पर कोयले को जलाकर पोडा बनाने का अवैध धंधा वर्षों से चल रहा है. कोयले को पकाने से निकलने वाले धुएं से पर्यावरण प्रभावित हो रहा है.
इससे क्षेत्र में होने वाले कृषि कार्य में फसलों पर बुरा प्रभाव पड़ने के साथ ही जनजीवन भी काफी प्रभावित हो रहा है. शहर से सटे इलाके में कोयले को जलाने से उठने वाले धुआं का कुप्रभाव शहर में रह रहे लोगों के ऊपर भी पड़ रहा है. यही नहीं कोलकाता से दिल्ली को जाने वाली ग्रैंड कोड रेल सेक्शन पर चलने वाली ट्रेनें व फोरलेन पर चलने वाले वाहनों के ऊपर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है. सबसे चिंता का विषय पोड़ा लगाने वाले इलाके में प्राथमिक विद्यालय मनोरा व नरायणबीघा में पढ़ने वाले बच्चों व शिक्षकों को लेकर है जहां पोड़ा बनाने के दौरान निकलने वाले धुएं के कारण उन्हें प्रदूषित हवा में रहना पड़ रहा है.
लोगों का कहना है कि पोड़ा लगाने के स्थल के बिल्कुल करीब उक्त दोनों विद्यालयों के होने से पड़ने वाले बुरा प्रभाव के प्रति प्रशासन को स्थानीय लोगों को जागरूक करना चाहिए. सब कुछ जानते हुए भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों या स्थानीय प्रशासन के लोगों द्वारा पोड़ा लगाने वालों के विरुद्ध किसी भी प्रकार की कार्रवाई का नहीं किया जाना लोगों की समझ में नहीं आ रहा है.
क्या कहते हैं अधिकारी
अनुमंडल पदाधिकारी पंकज पटेल कहते हैं कि कानून के विरुद्ध कार्य करने वालों पर प्रशासन द्वारा अवश्य ही कार्रवाई की जायेगी
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