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40 साल पुराने खुश्कीबाग हाट की गंदगी-बदबू बन गयी पहचान

पूर्णिया : खुश्कीबाग हाट सीमांचल का सबसे बड़ा हाट माना जाता है. करीब 40 वर्ष पूर्व इस हाट की स्थापना हुई थी. यह हाट थोक सब्जी व फलों के लिए मशहूर है, जो करीब पांच एकड़ में फैला हुआ है. हालांकि यहां खुदरा कारोबार भी होता है. लेकिन विडंबना यह है कि हाट में न्यूनतम […]

पूर्णिया : खुश्कीबाग हाट सीमांचल का सबसे बड़ा हाट माना जाता है. करीब 40 वर्ष पूर्व इस हाट की स्थापना हुई थी. यह हाट थोक सब्जी व फलों के लिए मशहूर है, जो करीब पांच एकड़ में फैला हुआ है. हालांकि यहां खुदरा कारोबार भी होता है. लेकिन विडंबना यह है कि हाट में न्यूनतम बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं है. गंदगी और बदबू और जाम इसकी स्थायी पहचान बन चुकी है. यह अलग बात है कि प्रत्येक वर्ष लाखों की राजस्व की प्राप्ति नगर निगम को इस हाट से प्राप्त होती है. बावजूद हाट अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. बरसात के महीने में इस हाट की गलियों से गुजरना आसान नहीं है. वहीं देर शाम के बाद यहां अंधेरा छा जाता है. इसकी सूरत बदलने की कवायद आज तक आरंभ नहीं हो सका, लिहाजा यह हाट उपेक्षित है.

न्यूनतम सुविधा भी नहीं है उपलब्ध : नगर निगम को लाखों रुपये का राजस्व देने वाले हाट में आज तक बिजली सुविधा उपलब्ध नहीं हो पायी है. दुकानदार प्राइवेट जेनरेटर के माध्यम से काम चलाते हैं. रात के 09 बजे के बाद जेनरेटर बंद हो जाने के कारण पूरा क्षेत्र अंधेरे में डूब जाता है. वहीं सुरक्षा व्यवस्था भी नदारद है. दुकानदार अपने दुकान की सुरक्षा खुद करते हैं. हाट क्षेत्र में नियमित सफाई नहीं होने से दुर्गंध फैला हुआ रहता है. सफाई के लिए कुल तीन सफाईकर्मी तैनात हैं,
जिन्हें किसी प्रकार की सुविधा उपलब्ध नहीं है. खास बात है कि उन्हें तीन माह से मानदेय भी नहीं मिला है. व्यवसायी हो या खरीदार, उन्हें पेयजल के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है. एक शौचालय है, जिसका हाल बेहाल है. लोगों के आवागमन के लिए पांच फीट का एक रास्ता है, लेकिन वह भी कारोबारियों के कब्जे में है. कारोबारी द्वारा रास्ते पर ही दुकान लगा दिया गया है, जिससे लोगों को आवागमन में परेशानी होती है.
बरसात के मौसम में झील में तब्दील हो जाता है हाट : बरसात का समय आते ही हाट झील में तब्दील हो जाता है. हाट के अंदर पानी निकासी के लिए नाला तो बना है, लेकिन सफाई के अभाव में नाला में कीचड़ व कचरा जम जाता है. नाला के उपर दुकान का शेड बना लिया गया है. पानी निकास बंद होने के कारण बारिश का पानी हाट में जमा हो जाता है. वहीं बारिश के समय में पूरे क्षेत्र में जलनिकास नहीं होने से कीचड़ फैल जाता है. वहीं कचरे के कीचड़ में मिलने के बाद जो बदबू फैलती है, वह लोगों के लिए परेशानी का सबब होता है.
प्रतिवर्ष लाखों का राजस्व पाता है नगर निगम : नगर निगम प्रतिवर्ष खुश्कीबाग हाट से करीब 13 लाख रूपये बतौर राजस्व वसूल करता है. हाट में करीब 370 दुकान व्यवसायियों को आवंटित है. यहां प्रति स्क्वायर फीट के हिसाब से राजस्व की वसूली होती है. एक दुकान न्यूनतम 40 स्क्वायर फीट की है. वहीं जानकार बताते हैं कि हाट पर कई लोग चोरी-छुपे बिना आवंटन का भी दुकान का निर्माण कर चुके हैं, जिसका कोई हिसाब-किताब नगर निगम के पास नहीं है. बताया जाता है कि इन अवैध दुकानदारों से प्राप्त राशि की बंदरबांट निगम से जुड़े रहनुमाओं द्वारा की जाती है. हाट क्षेत्र में फुटपाथी दुकान भी सजती है, जिसकी संख्या करीब 300 है. ऐसे दुकानदारों से भी राजस्व की वसूली होती है. बावजूद नगर निगम का यह हाट बदहाल है.
हर साल लाखों का राजस्व देने वाले हाट में न्यूनतम सुविधाएं भी नहीं
रात नौ बजते ही कट जाती है जेनरेटर की लाइन, पूरे हाट में िफर छा जाता है अंधेरा
बरसात के महीनों में हाट की गलियों का झील-सा नजारा

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