सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भीड़ से इलाज में दिक्कत
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सर, जल्दी देखल जाय
सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भीड़ से इलाज में दिक्कत पूर्णिया : सदर अस्पताल का आपातकालीन कक्ष मरीजों का लाइफ लाइन माना जाता है, क्योंकि यहां पहुंचने वाले मरीजों के जीवन व मौत के बीच बहुत ही कम फासला रहता है. डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मियों की तत्पतरतासे किसी की जान बच जाती है, तो […]
पूर्णिया : सदर अस्पताल का आपातकालीन कक्ष मरीजों का लाइफ लाइन माना जाता है, क्योंकि यहां पहुंचने वाले मरीजों के जीवन व मौत के बीच बहुत ही कम फासला रहता है. डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मियों की तत्पतरतासे किसी की जान बच जाती है, तो वे तुरंत परिजनों की नजर में मसीहा बन जाते हैं, लेकिन जरा सी चूक उन्हें यमराज भी बना देती है.
स्ट्रेचर व टेबल नहीं था खाली : सदर अस्पताल का आपातकालीन कक्ष, समय दोपहर के 1.40 बज रहे थे. कक्ष के आगे मरीजों के तीन चार वाहन लगे थे. हालात ऐसे बन गये थे कि न स्ट्रेचर खाली था और न ही ट्रीटमेंट टेबल ही. मरीजों को टेबल व स्ट्रेचर के लिए इंतजार करना पड़ा. आठ-आठ मरीज एक साथ कक्ष के सामने टेबल व स्ट्रेचर के इर्द-गिर्द खड़े थे. वहां तैनात डॉक्टर की बेचारगी भी देखने लायक थी. डॉक्टर मरीज को देख कर चैंबर में घुसे ही थे कि एक महिला रोते हुए डॉक्टर से बोली‘
डॉक्टर साहेब हमर बाबू कैय जान केना बचतैय, बहुत सिरियस छैय. जल्दी देखल जाय’. यह सिलसिला दिन भर चलता रहा. एक-एक गंभीर मरीजों के साथ लगभग आधा दर्जन से भी अधिक परिजन आपातकालीन कक्ष में घुस कर अफरातफरी मचाये हुए थे. तभी अस्पताल प्रबंधक पहुंचीं और परिजनों से बाहर निकलने की अपील कीं. इस अपील का असर बस इतना हुआ कि अंदर की भीड़ बरामदे में आकर ठहर गयी. एक कर्मी ने बताया कि यदि परिजनों की भीड़ हमें तंग नहीं करे, तो हम सहजता से जल्दीबाजी में काम निबटा सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं होता है. वहीं सीएस डॉ एमएम वसीम ने बताया कि डॉक्टरों के कमी के कारण समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं. छोटी-मोटी परेशानियों को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. परिजन हमें डिस्टर्व नहीं करें, तो हम बेहतर सेवा देने में सक्षम हैं.
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